जादुई गांव | Jadui Gaon | Hindi Kahaniya | Moral Stories | Hindi Story | Jadui Kahani | Hindi Fairy Tales

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” जादुई गांव ” यह एक Jadui Kahani है। अगर आपको Hindi Stories, Moral Story in Hindi या Hindi Kahaniya पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
जादुई गांव | Jadui Gaon | Hindi Kahaniya | Moral Stories | Hindi Story | Jadui Kahani | Hindi Fairy Tales

Jadui Gaon | Hindi Kahaniya | Moral Stories | Hindi Story | Jadui Kahani | Hindi Fairy Tales

एक बार की बात है। चंदन नगर में बबलू नाम का एक दुकानदार रहा करता था। उसकी दुकान पर बहुत अच्छे अच्छे कपड़े होते हैं। 
वह रोजाना अपनी दुकान खोलकर बैठता परंतु उसके दुकान से एक भी कपड़े नहीं बिकते। रोज़ की तरह दुकान बंद करके वह घर पहुंचता है।
अगले दिन…
बबलू (आवाज लगाते हुए),” हर माल ₹100 का, हर माल ₹100 का ले लो। भारी लूट मची है। “
आदमी,” अरे भाई ! क्या हुआ, उदास का हे हो ? सुबह से कुछ बिका नहीं क्या? “
बबलू,” का बताएं भैया..? कुछ भी नहीं बिका। सुबह से बस सब आ रहे हैं और देख के चले जा रहे हैं। समझ नहीं आता कि इस महंगाई में गुज़ारा कैसे करें ? “
आदमी,” अरे भाई ! चिंता मत करो, सब ठीक हो जाएगा। चलो भाई, अब मैं चलता हूँ ध्यान रखो अपना। “
घर आने के बाद…
बबलू,” नहीं अम्मा, आज भी कुछ नहीं बिका। बहुत कोशिश कर रहा हूँ पर कुछ बिकता ही नहीं है। “
तभी अचानक बबलू का बेटा लड्डू दौड़ता हुआ आता है और गिर जाता है। बबलू उसे उठता है।
बबलू,” बेटा लड्डू, तुम दौड़ क्यों रहे थे ? क्या हुआ ? “
लड्डू,” पापा, आप मेरे लिए किताब लाने वाले थे। आप लाए वो किताब ? कल गुरूजी उसी किताब में से पढ़ाने वाले हैं। “
बबलू,” बेटा, मैं गया था लेने पर दुकान बंद थी इसलिए मैं ला नहीं पाया। “
लड्डू,” पापा, पूजा दीदी के पापा ने तो थोड़ी देर पहले ही उन्हें लाकर दी है। “
बबलू,” बेटा, मैं कोशिश करूँगा कि कल तुम्हारी किताबें ले आऊं। “
बबलू,” सुनो… क्या तुम्हारे पास कुछ पैसे है जो तुमने बचाया हो ? कल लड्डू के लिए किताबे लानी हैं। कुछ दिनों से कुछ भी बिक्री नहीं हो पा रही है। “
पत्नी,” अरे ! आप परेशान क्यों हो रहे हो ? भगवान पर भरोसा रखो, सब ठीक हो जाएगा। “
बबलू,” कब तक ऐसे ही चलता रहेगा ? “
पत्नी,” आप सब्र तो रखो। और हाँ… मेरे पिताजी का संदेश आया है। उन्होंने आपको मेरे गांव बुलाया है। संदेश में लिखा था कि उन्हें आपसे कुछ ज़रूरी काम है। “
बबलू,” मेरी जेब में एक फूटी कौड़ी भी नहीं है। मैं उन तक कैसे जाऊं ? “
पत्नी,” जी, मेरे पास पिताजी के दिए हुए कुछ पैसे है जिन्हें लेकर आप गांव हो आइए। साथ ही वहाँ से लड्डू की किताब भी ले आइएगा। 
वहाँ यही किताब आधे दाम पर मिल जाएंगी और आपका काम भी हो जाएगा। “
अब बबलू का दूसरे दिन उस गांव में जाना तय होता है। तभी सब लोग सो जाते हैं। सुबह होते ही बबलू के निकलने का समय होता है।
बबलू,” अरे ! सुनती हो, कहाँ गई ? “
पत्नी,” हाँ हाँ, आती हूँ। “
लड्डू,” पापा, मेरी किताब… मेरी किताब ? “
बबलू,” हाँ बेटा, आज ला दूंगा। “
पत्नी,” आप ध्यान से जाना। मेरे पिताजी से थोड़े बहुत पैसे भी मांग लेना, वो मना नहीं करेंगे। “

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बबलू,” कैसी बातें करती हो तुम ? कैसा लगेगा कि मदद करने जा रहा हूँ और वहीं से पैसे लेकर आ रहा हूँ ? “
पत्नी,” मगर…। “
बबलू,” ये सब बातें मत करो, हाथ जोड़ता हूँ तुम्हारे आगे। “
रास्ते में…
बबलू,” अरे अतुल भैया ! जाने के लिए कोई तांगा या बैलगाड़ी नहीं दिख रही। “
अतुल,” का बताएं मामा..? आजकल रास्ते के डाकू ने लूट मचा रखी है। इसी वजह से खिपौना के रास्ते पर कोई भी सवारी गाड़ी ले जाने को तैयारी नहीं है। “
बबलू (मन में),” यार अभी पैदल निकल जाता हूँ। रास्ते में आराम भी कर लूँगा, तो भी शाम तक पहुँच जाऊंगा। 
कभी कोई रास्ते में कोई गाड़ी मिल जाएगी तो उसमें बैठकर गांव तक पहुँच जाऊंगा। “
लगभग आधा रास्ता तय करने के बाद उसे एक जंगल में एक नदी दिखाई देती है। वह उसमें पानी पीने जाता है। 
जैसे ही वह पानी पीकर उठता है वह देखता है कि उसके चारों तरफ डाकू खड़े हैं और जोर-जोर से हंस रहे हैं।
डाकू,” तुम्हारे पास जो भी हो, उसे हमें दे दो। नहीं तो हम तुम्हें छोड़ेंगे नहीं। “
बबलू,” सरदार, मैं बहुत गरीब हूँ। मेरे पास कुछ नहीं है। मैं आपको कुछ नहीं दे सकता हूँ ? “
बबलू बोल ही रहा होता है कि तभी एक डाकू बबलू के सर पर डंडा मारता है, जिसकी वजह से बबलू बेहोश हो जाता है। 
डाकू उसका सारा सामान चुरा लेते है और उसे एक पेड़ के नीचे बेहोश पड़ा हुआ छोड़ देते हैं। थोड़ी देर बाद बबलू को होश आता है और बबलू बहुत ज़ोर ज़ोर से रोने लगता है।
बबलू,” हे भगवान ! ये सब मेरे साथ ही क्यों हो रहा है ? मैंने सबका और तेरा क्या बिगाड़ा है जो तू मेरा इम्तिहान ले रहा है ? “
बबलू के साथ हुई यह सारी घटना वह पेड़ अपनी आंखों से देख रहा होता है। बबलू को रोता हुआ देख पेड़ को दया आ जाती है।
पेड़,” बेटा, तुम्हें रोने की कोई जरूरत नहीं है। मैं हूँ ना तुम्हारी मदद के लिए।
बबलू (घबराते हुए),” कौन… कौन ? “
पेड़,” बेटा, तुम्हें डरने की जरूरत नहीं है। जिस पेड़ के नीचे तुम बैठे हो, मैं उसी पेड़ की आत्मा हूँ। डरो मत, मैं तुम्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचाऊंगा। 
मैंने तुम्हारे साथ जो भी हुआ, वो सब देखा है। मैं तुम्हारे साथ जो भी हुआ वो सब जानता हूँ। मैं तुम्हें कुछ देना चाहता हूँ। “
बबलू,” मुझे कुछ नहीं चाहिए। तुम किस तरह से मेरी मदद कर सकते हो ? “
तभी पेड़ अपनी जादुई शक्ति से बबलू के सामने से जाता हुआ एक चमकीला रास्ता बना देता है।
पेड़,” तुम इस रास्ते में आ जाओ। “
बबलू उस रास्ते में अंदर चला जाता है। वो जैसे ही अंदर पहुंचता है, देखता है कि वहां बाहरी दुनिया से बिलकुल अलग और उल्टी दुनिया है। 
बहुत ही ज्यादा सुंदर जैसे कि स्वर्ग। वह अंदर जाता है। आगे जाकर देखता है कि उसके गांव जैसा हूबहू गांव है। 
उसका मुँह खुला का खुला रह जाता है। वह आगे देखता है कि गांव वाले भी हैं। 
सभी गांव वाले झुंड बनाकर बैठकर बातें कर रहे थे। सभी लोगों ने बबलू को देखा और उनका मुखिया उठकर उससे पूछता है।
मुखिया,” भाई कौन हो तुम ? कहाँ से आए हो ? “
बबलू,” मेरा नाम बबलू है। “
बबलू उसके साथ हुई घटना को बताता है कि मैं यहाँ ऐसे पहुंचा।
मुखिया,” अच्छा बेटा, तो ठीक है। अब से तुम हमारे साथ रहोगे। “
बबलू,” नहीं नहीं, मुझे अपने घर वापस जाना है। मुझे तो यहाँ पेड़ ने अंदर आने के लिए कहा था, इसलिए मैं यहाँ आया था। “
मुखिया,” जो यहाँ एक बार आ गया तो फिर यहाँ से जा नहीं सकता। मैंने भी कई बार कोशिश की पर वो जादुई जंगल मुझे यहीं ला छोड़ता है। “
बबलू,” मेरा भी परिवार है, मुझे उन्हें भी संभालना है। “
मुखिया,” बाहर जाने के लिए तुम्हें जादुई जंगल से जाना होगा। रास्ते में मिलने वाले जिन्न के सवालों का जवाब देना होगा। वही तुम्हें आगे का रास्ता बताएंगे। “
बबलू,” मैं तैयार हूँ। “
मुखिया बबलू को उसी रास्ते तक छोड़ देता है।
मुखिया,” यही जंगल पार करके तुम्हें जाना होगा। “
इतना कहकर मुखिया वापस गांव चला जाता है। बबलू वहाँ से आगे जाने लगता है। तभी वह किसी चिराग से टकराता है। 

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उस चिराग में से एक बादलनुमा इंसानी आकृति निकलती है, जिसे देख बबलू पीछे हटने लगता है। बबलू मुखिया की बात याद करता है और रुक जाता है।
बबलू,” जिन्न बताओ, तुम मुझसे क्या पूछना चाहते हो ? “
जिन्न,” ये तुम्हें कैसे पता कि मैं तुमसे कुछ पूछना चाहता हूँ ? “
बबलू,” मुझे ये बात मुखिया जी ने बताई है। साथ ही मुझे जंगल से निकलना है। “
जिन्न,” पर मेरी एक शर्त है। कभी तुमने मेरे सवालों का जवाब नहीं दिया तो मैं तुम्हें वापस जादुई गांव ना भेजकर तुम्हें खा जाऊंगा। “
बबलू,” तुम्हें मुझे तो क्या… सारे गांव वालों को छोड़ना होगा। मंजूर हो तो बता दो नहीं तो मैं भी इन्हीं गांव वालों के साथ रह लूँगा। “
जिन्न,” अच्छा तो ठीक है, मैं भी तैयार हूँ। तो सुनो, तुम्हें इस पहेली का जवाब देना होगा। देखी रात अनोखी वर्षा, सारा खेत नहाया… पानी तो पूरा शुद्ध था, पर पी ना कोई पाया। “
बबलू (दोहराते हुए),” देखी रात अनोखी वर्षा पर पी ना कोई पाया, ये कोई सवाल नहीं हुआ। “
जिन्न,” तुम्ही ने मानी है मेरी शर्त। “
बबलू भी जानता था की इस प्रश्न का उत्तर नहीं दिया तो उसकी जान तो चली ही जाएगी और लोगों के बचने की उम्मीद भी खत्म हो जाएगी।
पहेली को सोचते हुए बबलू को उसके खेतों की याद आती है। जब वह उसके पिता के साथ खेतों में जाया करता था, वहाँ पूरा खेत और पत्तों पर ओस जमा हुआ करता था, जो कुछ पहेली की लाइन में मेल खा रही थी।
बबलू,” इसका उत्तर है ओस। ओस सिर्फ रात्रि और भोर के समय ही गिरती है। उसकी वजह से खेतों में पानी जमा हो जाता है। 
ओस का पानी शुद्ध और साफ़ होता है पर इसे एकत्र करना बहुत मुश्किल होता है। “
जिन्न (दूसरी पहेली),” मैं तो जादुई बड़े से बड़ा जहाज बना सकता हूँ, लेकिन मैं एक बार भी नहीं उड़ सका, मैं हूँ कौन ? “
बबलू,” पानी का जहाज जो सिर्फ पानी पर तैर सकता है उड़ नहीं सकता। रहा आपके इसी प्रश्न में दूसरा सवाल… मैं हूँ कौन ? 
इसका जवाब है, मनुष्य। वो बड़े से बड़ा जहाज़ बना तो सकता है लेकिन खुद कभी नहीं उड़ सकता है। “
जिन्न,” तुम बहुत तेज दिमाग और बुद्धिमान हो। यदि मेरे आखिरी सवाल का उत्तर दे दिया तो तुम और गांववासी सभी स्वतः ही अपने अपने गांव पहुँच जाओगे। 
तो सुनो प्रश्न, लाल बुझक्कर बोझ के और ना बोझो कोए… पैर में चक्की बांध के हिरना कूदो होए। “
बबलू इसे सुनकर बहुत चकित रह जाता है। उसने लाल बुझक्कर की बहुत ढेर सारी कहानियों पड़ी और सुनी रहती थी। 
ये लाइन उसने उसके बेटे लड्डू की किताब से पढ़ी और लड्डू को समझाई भी थी। इसे याद करके वह अपने बेटे के साथ अच्छे दिनों की याद कर मुस्कुराने लगता है। 
उसकी आँखों में आंसू आने लगते हैं जिसे देख जिन्न भी उसके साथ हुई घटनाओं को देख लेता है।
बबलू,” जिंदगी में कभी किसी के बारे में बिना देखे, बिना जाने कुछ नहीं कहना चाहिए जब तक उस पहलू को आप जान ना लें।
आमतौर पर लाल बुझक्कड़ कहते हैं जो अपनी दुनिया के अलावा बाहरी दुनिया को ना देखते हुए अपने आप को ही सही सिद्ध करता है अर्थात वो जो सीखने और समझने को तैयार नहीं होता है। “
बबलू के इतना कहते ही एक तेज रौशनी के साथ एक तेज आवाज आती है। बबलू को तेज रौशनी के कारण उसे कुछ भी नहीं दिखाई दे रहा होता। 
उसके बाद वह देखता है कि वह उसके गांव के पास खड़ा होता है। उसे सभी के घर दिखाई देते हैं पर खुद का घर नहीं दिखाई देता। 
वह जहाँ पर खड़ा होता है, वहाँ एक बहुत बड़ा और सुंदर घर होता है।
अतुल,” बबलू भैया, ये तो भगवान की लीला है। जो भगवान को करना है, वो करके ही रहता है। “
बबलू,” ये सब कैसे हुआ ? “
पत्नी,” मैंने कहा था ना सब्र रखो, भगवान सब ठीक कर देगा। हम सभी लोग रात में सोये हुए थे तभी कोई जैसे आया और जादू करके चला गया। साथ ही ये चिट्टी आपके नाम छोड़कर गया है। “

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बबलू (चिठ्ठी पढ़ते हुए),” मैं तुमसे बहुत खुश हुआ। तुमने सिर्फ अपने बारे में ही नहीं, सभी के बारे में सोचा। 
साथ ही सभी को छोड़ने के लिए कहा। इसी उदारता के लिए मैं तुम्हें ये सुख और सुविधा और धन दे रहा हूँ। 
ध्यान रहे कि जो भी तुम्हारे साथ घटा है वो तुम किसी से ना कहो। यदि तुम किसी को भी कुछ बताते हो तो ये सब तुमसे छिन जायेगा। “

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