जादुई जलपरी | Jadui Jalpari | Hindi Kahaniya | Moral Stories | Hindi Story | Jadui Kahani | Hindi Fairy Tales

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” जादुई जलपरी ” यह एक Jadui Kahani है। अगर आपको Hindi Stories, Moral Story in Hindi या Hindi Kahaniya पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
जादुई जलपरी | Jadui Jalpari | Hindi Kahaniya | Moral Stories | Hindi Story | Jadui Kahani | Hindi Fairy Tales

Jadui Jalpari | Hindi Kahaniya | Moral Stories | Hindi Story | Jadui Kahani | Hindi Fairy Tales

एक बार की बात है। विट्ठलपुर गांव में एक छोटी सी लड़की नैना रहा करती थी। नैना बहुत ही प्यारी लड़की थी। 
वो रोज़ समुद्र के किनारे जाती और घंटों बैठकर समंदर को देखा करती थी। नैना की माँ नहीं थी। 
उसके पिता शहर में काम किया करते थे और वो गांव में अपने चाचा और चाची के साथ रहा करती थी। नैना के चाचा और चाची दोनों ही उसे बहुत तंग किया करते थे। 
जब नैना के पापा आते हैं तो सभी घर में अच्छा बनने का नाटक करते हैं। और जैसे ही नैना के पिता चले जाते है फिर से वे दोनों नैना को परेशान करने लगते हैं। 
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उस परिवार में केवल नैना के चाचा का बड़ा बेटा कल्लू नैना का ध्यान रखता था। 
कल्लू,” नैना, तुम रोज़ यहाँ शाम को बैठ जाती हो। ऐसा क्या अच्छा लगता है समुन्दर में, जो तुम यहाँ यूं ही घंटों तक बैठी रहती हो ? “
नैना,” मुझे यहाँ पर बैठकर मछलियों को देखना अच्छा लगता है। मुझे भी उनकी तरह पानी में तैरना है। “
कल्लू,” तो तुम ऐसा कर लो पहले तैरना सीख लो। फिर तुम भी इन मछलियों की तरह समुद्र में तैर पाओगी। “
चाची,” नैना, उठी नहीं क्या ? कितना काम पड़ा है ? जल्दी उठ। इस घर में तो मुझे सिर्फ नौकर बनाकर रखा हुआ है। ओ महारानी ! उठ भी जाओ। “
कल्लू,” ये मटका इधर लाओ, इसे मैं रख दूंगा कमरे में। तुम जाओ, खाना खाओ। “
नैना,” भैया, रहने दीजिये। चाची को पता चला तो वो बहुत डांटेगी। “
कल्लू,” तुम चिंता मत करो, मैं संभाल लूँगा। “
चाची,” हाय हाय ! मेरे लड़के से काम करा रही है। एक काम दिया है तुझे और वो भी नहीं कर पा रही है। 
सुन कल्लू… तू ना इसकी बातों में मत आयाकर, समझा..? “
कल्लू,” मैंने ही उससे मांगा था। मुझे कुछ काम था इसलिए मैंने ले लिया। इसमें क्या बड़ी बात हो गयी ? जब देखो आप उसे ही डांटती रहती हो। “
इसके बाद नैना भी अपने काम पर लग गयी। दिन बीतते गए। अब नैना 18 साल की सुन्दर कन्या में बदल गई और अब वो भी मछलियों की तरह तैरने में माहिर हो गई थी। 
इसी कौशल का इस्तेमाल कर अब वह समुद्र में मोती ढूंढने के लिए जाने लगी। नैना तैरने में इतनी कुशल हो गई थी कि जितनी बार पानी में डुबकी लगाती, कुछ ना कुछ लेकर जरूर आती। 
एक दिन जब वह समुद्र तट की ओर जा रही थी। 
कल्लू,” और बता मेरी जलपरी… आज क्या मिला तुझे ? “
नैना,” ये देखना भाई, कितने सारे मोती मुझे मिले हैं ? “
कल्लू,” एक बात समझ नहीं आती, हम भी तो तेरी तरह तैरते हैं। लेकिन हमें तो कभी इतने सारे मोती नहीं मिलते। “
नैना ,” क्योंकि आप इन सब चीजों के लिए पानी में जाते हो और मैं पानी में खुद को पाने के लिए। पानी की दुनिया इतनी सुंदर है कि मेरा मन करता है, काश ! मैं भी मछली ही होती और वहाँ जितना चाहती, रह पाती। “
कल्लू,” मेरी जलपरी, अब घर चल। माँ इंतज़ार कर रही होगी। “
चाची,” नैना, इधर आ। क्या क्या मिला है, सब यहाँ पर रख दे ? और कुछ भी छुपाने की कोशिश मत करियो। और चल मेरे साथ काम करने में थोड़ा मेरा हाथ बंटा दे। “
 चाची,” मेरा बेटा, चल तू हाथ मुँह धो ले। तेरे लिए खाना लगाती हूँ। “
कल्लू,” वो भी मेरी तरह थक कर आई है न ? क्या हो जायेगा अगर वो भी खाना खा लेगी तो ? 
मुझे तो खाना खिला रही हो और उससे काम करवा रही हो। वहां जो अंदर लेटी पड़ी हुई है, उससे भी कुछ करवा लिया करो। 
जब देखो तब सोती रहती है। मुझे तो समझ नहीं आता, वो मेरी बहन है या नहीं ? “
चाची,” ऐसा नहीं बोलते। थक गई होगी इसीलिए सो गयी होगी और तू इतना समझ ले, वो तेरी बहन है। “
कल्लू ,” ऐसा है तो मैं भी खाना नहीं खा रहा हूँ। मैं जा रहा हूँ। “
चाची,” कहां जा रहा है, ये तो बता दे ? “
कल्लू,” जहाँ क्लेश करने वाला कोई ना हो। “
चाची,” देखो तो… आज कल के बच्चे कैसे मुँह चला रहे हैं ? “
चाची,” तेरी वजह से हुआ है ये सब मेरे बच्चे को। जब देखो भड़का के रखती है। चल अब मुँह क्या देख रही है, काम कर ? “
एक दिन जब वह समुद्र तट की ओर जा रही थी। तभी उसे एक लड़की मिली। 
लड़की,” दीदी, क्या आप मुझे तैरना सिखाओगी ? मुझे भी आपकी तरह तैरना है। “
नैना,” अरे वाह ! क्यों नहीं ? कल से 5 बजे शाम को आ जाना तट पर, ठीक है ? “

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अगले दिन…
लड़की,” दीदी, मैं आ गई। “
नैना,” आओ आओ, सबसे पहले हमें सांसों को अपने नियंत्रण में करना है। इसीलिए तुम रोज़ थोड़ा थोड़ा सांस रोकने का कार्य करोगी और जब तक मैं ना कहूं तब तक पानी में मत जाना। अकेले पानी में जाने में खतरा है। “
लड़की,” ठीक है दीदी। “
इसी तरह 5 बजे से नैना उसे सिखाती और 6 बजे घर चली जाती। एक दिन जब वह घर जा रही थी, उसने देखा कोई दर्द में चिल्ला रहा है। वह आवाज के पीछे गयी। उसने वहाँ एक जलपरी देखी। “
नैना,” जलपरी, क्या हुआ तुम्हें ? डरो मत, मैं कुछ नहीं करूँगी। “
जलपरी,” तुम कितनी अच्छी हो। मेरा नाम जिया है। तुम्हारा नाम क्या है ? ” 
नैना,” मेरा नाम नैना है। “
जलपरी,” मुझे तुमसे मिलकर अच्छा लगा, नैना। लेकिन अब मुझे जाना होगा। घर वाले मेरा इंतज़ार कर रहे होंगे। “
नैना,” ठीक है। आती रहना, मैं रोज़ शाम को तुमसे यहाँ मिलने आउंगी। “
जलपरी,” ठीक है, कल मिलते हैं। “
अगले दिन…
जलपरी,” नैना, कैसी हो ? “
नैना,” मैं ठीक हूँ। तुम कैसी हो ? “
जलपरी,” मैं भी ठीक हूँ। “
नैना,” तुम्हारी चोट कैसी है ? “
जलपरी,” मैं अब ठीक हूँ नैना। “
नैना,” तुम जलपरी हो। तुम्हारे लिए पानी में सांस लेना कितना आसान है और एक मैं हूँ। “
जलपरी,” देखो नैना, हर किसी में कोई ना कोई गुण जरूर होता है। जैसे तुम जमीन में जहाँ चाहो वहाँ जा सकती हो लेकिन मैं नहीं।क्योंकि ऊपर वाले ने हमें हमारी जरूरत के हिसाब से अलग अलग बनाया है। 
इसलिए तुम दुखी मत हो और रही बात पानी में सांस लेने की है तो मैं तुम्हें कुछ दे सकती हूँ जिससे तुम पानी में सांस ले सकती हो। “
नैना,” क्या सच में ऐसा हो सकता है ? “
जलपरी,” क्यों नहीं ? क्या तुम हमारी दुनिया में आना चाहोगी, नैना ? “
नैना,” क्यों नहीं ? “
जलपरी,” कल सुबह सुबह सूरज उदय होने से ठीक थोड़ी देर पहले आना, मैं तुम्हे लेने आ जाउंगी। “
नैना,” ठीक है। वैसे तुम्हारे बाल कितने मुलायम है और तुम्हारी पूंछ भी ? “
जलपरी,” तुम्हें तैरना तो आता है ना नैना ? “
नैना,” हाँ। “
जलपरी,” ये लो, इसे पहन लो। “
नैना,” ये क्या है ? “
जलपरी,” इसे पहनने से तुम लंबे समय तक पानी में सांस ले सकोगी। “
नैना,” तुम्हें पता है… मैं हमेशा से मछली बनना चाहती थी ताकि जितना चाहूं, उतना पानी में रह सकूँ ? तुम्हें पता है मेरा भाई तो मुझे जलपरी बुलाता है ? “
जलपरी,” इस लौकिट की वजह से तुम कभी भी जब चाहो पानी में आ जा सकती हो। “
चाची,” आज तू कहाँ गई थी ? सुबह से गायब है तू। घर पर भी नहीं आयी। बोल, कहां गयी थी ? 
मैंने तुझे बहुत सिर पर चढ़ा रखा है। रुक… तुझे आज बताती हूँ। “
नैना,” बस थोड़ा सा काम था आज। आज के बाद इतनी देर बाहर कभी नहीं रहूंगी। “
चाची,” इसके बाद अगर बिना बताए गई तो टांगे तोड़ दूंगी तेरी। “
कल्लू की मां,” अजी, सुनिए ना… ये जाती कहां है रोज़ शाम को ? बाहर जाती है और देर से वापस आती है। कहीं कुछ छुपा तो नहीं रही हमसे ? “
कल्लू के पिता,” ये तो मैं भी सोच रहा हूँ। बहुत दिनों से समुद्र से कुछ ला भी नहीं रही। कहीं खुद ही बेचकर पैसे तो जमा नहीं कर रही ? “
कल्लू की मां,” सुनिए जी… आप ऐसा करिए, हम इसे कल जहाँ जाना चाहती है वहाँ जाने देंगे और आप इसका पीछा करना। देखें तो ये क्या गुल खिला रही है ? “
कल्लू के पिता,” ठीक है, कल पता चल जाएगा महारानी करती क्या है ? “

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अगले दिन… 
कल्लू की मां,” सुन, काम हो गया ? “
नैना,” हाँ चाची, हो गया। बस कपड़ों पर प्रेस करना बाकी है। “
कल्लू की मां,” अच्छा ठीक है। सुन, इसके बाद जा लियो जहाँ तेरा मन करे। लेकिन समय से घर पर आ जाना वरना कल से जाने नहीं दूंगी। समझ गयी..? “
जलपरी,” ये चोट कैसी लगी तुम्हें ? “
नैना,” वो में गिर गयी थी। “
जलपरी ,” तुम्हारी चाची ने मारा है ना ? “
नैना,” तुम्हें कैसे पता ? “
जलपरी,” हम चोट देखकर उससे जुड़ी यादों को महसूस कर सकते हैं। “
नैना ,” ऐसा करते हैं, पानी में चलते हैं। किसी ने देख लिया तो मुसीबत हो जाएगी। “
जलपरी,” ठीक है। “
नैना,” लेकिन मैं जल्दी बाहर आ जाउंगी। घर जल्दी नहीं पहुंची तो चाची मारेगी। “
जलपरी,” ठीक है। “
अगले दिन…
जलपरी,” मुझे बचाओ नैना, मेरी जान खतरे में है। कुछ लोगों ने मुझे यहाँ बांध कर रखा है। मेरी मदद करो। “
 नैना,” जिया, तुम कहाँ हो ? “
जलपरी,” मुझे नहीं पता। पर यहाँ बहुत से लोगों के आने जाने की आवाज़ सुनाई दे रही है। ये जगह काफी पुरानी लगती है। मुझे बचाओ नैना। “
नैना,” तुम डरो मत, मैं तुम्हें ढूंढ लूँगी। भरोसा रखो मुझ पर। “
नैना ने कई दिनों तक उसे ढूंढा पर उसे जिया कहीं नहीं मिली। एक दिन वो और उसकी चाची मछली खरीदने बाजार आये थे। तभी उसकी नजर पीछे खंडहर घर पर पड़ी। 
नैना (मन में),” जिया ने कहा था कि वो जगह पुरानी है। कहीं जिया यहाँ तो नहीं ? मुझे एक बार कैसे भी करके वहाँ जाना चाहिए ? “
नैना,” चाची, मैं अभी आती हूँ। “
चाची,” कहाँ जा रही है ? “
नैना,” बस वो सब्जी एक ठेले पर भूल गयी, उसे अभी लेकर आती हूँ। “
चाची,” एक काम ठीक से नहीं होता। जा जल्दी लेकर आ। “
इसके बाद नैना उस खंडहर के अंदर गई। तभी जिया ने देखा कि कहीं से पानी आ रहा है। 
नैना अंदर जाने लगी तो उसने देखा कि जिया को किसी ने बांध के रखा है और तुरंत जिया के गले लग गई। उसने जिया के हाथ खोल दिए। तब तक वहाँ पर उसके चाचा आ गए। 
चाचा,” इसे यहां छोड़कर चली जा नैना। मैं तुझसे इस जलपरी के लिए नहीं लड़ना चाहता। “
नैना,” चाचा, ये आप क्या कर रहे हो ? आपने इसे क्यों बांधा है ? “
चाचा,” तू नहीं जानती नैना। पूरी दुनिया को पता चल जायेगा कि मैं वो पहला इंसान हूं जिसके पास जलपरी है। 
तू सोच उसे देखने के लिए कितने लोग पागल हो जाएंगे ? और मैं बन जाऊंगा यहाँ का सबसे अमीर आदमी। “
नैना,” ऐसा मत करो चाचा। ये भी हमारी ही तरह है। इसे रहने दो। इसको अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करना सही नहीं है। आप इसे जाने दीजिये। “
चाचा,” मैंने बोला ना… चली जा, समझ नहीं आता तेरी ? घर जाके चाची से इतनी मार पढ़वाऊंगा कि याद रखेगी, समझी..? “
तभी जलपरी एक पत्थर फेंकती जो नैना के चाचा के सिर पर लगता है और वो बेहोश हो जाते हैं। फिर नैना जलपरी को खोलती है और समुन्दर के पास ले जाती है।
जलपरी,” मैं तुम्हारा अहसान कभी नहीं भूलूंगी। आज से तुम्हारी हर मुश्किलें ये लौकिट हल कर देगा। “
नैना,” लेकिन मेरे चाचा को तुम्हारे बारे में कैसे पता चला ? “
जलपरी,” उस दिन जब हम पूरा दिन साथ थे। उसके कई दिनों तक तुम नहीं आई। मैं हर रोज़ तुमसे मिलने आती थी। 
इस वजह से एक दिन तुम्हारे चाचा की नज़र मुझ पर पड़ गई और उन्होंने धोखे से मुझे पकड़ लिया। अब मुझे जाना होगा। पिताजी ठीक कहते हैं कि दुनिया हम जैसों के लिए नहीं बनी है। 
इसीलिए आज के बाद मैं यहाँ कभी नहीं आऊंगी। लेकिन तुम्हें मुझसे जब भी मिलने का मन करे तुम आ जाना। इस लॉकेट को संभालकर रखना, समझी ? “
नैना,” ठीक है। “
दूसरी तरफ नैना के पापा भी घर आ गए। नैना ने अपने पापा को सारी बात बता दी। नैना के पिता जी ने पुलिस को फ़ोन किया और नैना के चाचा चाची दोनों को ही बचपन से नैना को परेशान करने के जुर्म में जेल में डलवा दिया। 
इसके बाद नैना अपने पिताजी के साथ शहर चली गयी और अपनी बाकी की पढ़ाई पूरी करने लगी। लेकिन जब भी नैना गांव आती, समुद्र के किनारे जलपरी से जुड़ी अपनी यादों को याद करती। 
क्या वो जानती थी कि अगर फिर से वो जिया से मिली तो फिर से कोई ना कोई उसे नुकसान जरूर पहुंचाएगा ? 

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कभी कभी आप कुछ रिश्तों की सलामती उनके अपने पास होने से ज्यादा चाहते हैं। उस वक्त आप उनके दूर होने से भी खुश होते हैं।
क्योंकि आप उन्हें कोई भी तकलीफ पहुंचते हुए नहीं देख सकते। इसलिए प्यारी नैना उस जगह पर जाती और अपनी प्यारी सी दोस्त को महसूस करके वापस जिंदगी में लौट आती।

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