हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” जादुई पेड़ ” यह एक Jaadui Kahani है। अगर आपको Hindi Kahani, Pati Patni Ki Kahaniyan या Majedar Hindi Kahaniyan पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
Hindi Kahani | Magical Hindi Stories | Moral Story in Hindi | Bed Time Story | Jaadui Kahaniyan
जादुई पेड़
बहुत समय पहले की बात है… वाजिद नगर में एक राजा राज्य करते थे। चंद्रिका वहां की दासी थी। चंद्रिका की एक छोटी बेटी भी थी। चंद्रिका महारानी की सेवा करती और उसकी बेटी महारानी की बेटी के साथ खेलती रहती।
यह सब देख महारानी ने चंद्रिका से कहा,” देखो चंद्रिका, तुम्हारी बेटी मेरी बेटी के साथ कितने प्यार से खेल रही है। “
इस पर चंद्रका कहती है, ” जी महारानी, मैं एक दासी हूं और मेरी बेटी राजकुमारी के साथ खेल रही है। मुझे यह सब अजीब लग रहा है। कहीं कोई अनर्थ ना हो जाए। “
” क्या बोल रही हो तुम भी ? देखो कितने प्यार से खेलने में व्यस्त हैं दोनों। “
अगले दिन सभा में राजा बैठे हुए होते हैं। अचानक एक सैनिक आकर राजा को समाचार देता है,” हे राजन… हमारे राज्य में एक बहुत ही गंभीर बीमारी फैल गई है। यह एक बहुत ही अजीब प्रकार का बुखार है। अगर इसके संपर्क में कोई दूसरा व्यक्ति आता है तो वह भी इस बीमारी से ग्रसित हो जाता है। “
यह सुनकर राजा अत्यंत दुविधा में पड़ जाते हैं और कहते हैं,” हमारे राज्य के राज्यवैद्य कहां है ? ”
इतने में राज्यवैध वहां उपस्थित हो जाते हैं।
” महाराज ! मैं यहां हूं। दरअसल मैं रोगियों को परख रहा था। मेरे पास इस बीमारी का अभी कोई इलाज नहीं है। मैंने देखा है कि यह बीमारी बहुत तेजी से बढ़ रही है। और आसपास के लोगों को भी अपना शिकार बना रही है। “
महाराज कुछ समय तक सोचते हैं और कहते हैं,” सेनापति, पूरे राज्य में एलान करवा दो कि कोई भी व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से नहीं मिलेगा। सभी आपस में दो हाथ फैसला बनाकर रखेंगे। “
महाराज के आदेशानुसार सेनापति कुछ सैनिकों को लेकर राज्य में जाता है और ढोल बजाकर आदेश करता है कि गांव का कोई भी व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के नजदीक नहीं जाएगा और परस्पर दो हाथ की दूरी भी बनाकर रखेगा।
महाराज सभा में से अपने कक्ष में आते हैं। वह देखते हैं कि चंद्रिका की बेटी राजकुमारी के साथ खेल रही है। वह कहते हैं कि चंदा तुम्हें पता नहीं है राज्य में गंभीर बीमारी चल रही है ? जब तक बीमारी है तब तक तुम राजकुमारी के साथ नहीं खेलोगी और अपने घर पर ही रहोगी।
ये भी पढ़ें :-
Hindi Kahani | Magical Hindi Stories | Moral Story in Hindi | Bed Time Story | Jaadui Kahaniyan
यह सुनकर राजकुमारी कहती है,” लेकिन महाराज… मैं अकेले कैसे खेलूंगी ? “
इतने में चंदा खड़ी होकर अपने घर जाने वाली होती है कि तभी राजकुमारी बेहोश हो जाती है। राज्यवैध आते हैं और बताते हैं कि राजकुमारी को भी वही गंभीर बीमारी हो गई है। इसका तो मेरे पास अभी इलाज भी नहीं है।
यह सब देख महाराज दुविधा में पड़ जाते हैं। वह कुछ सोच ही रहे होते हैं तभी एक सैनिक आता है और कहता है,” महाराज ! बाहर एक बाबा आए हैं और आपको शीघ्र ही बुलाया है। “
” बाबा..?? और इस वक्त। चलो मैं आता हूं। “
” बाबा ! आप यहां कैसे ? क्या काम है आपको ? “
” सुना है राजकुमारी इस गंभीर बीमारी का शिकार हो चुकी है। मेरे पास इस बीमारी का इलाज है। “
” इलाज… कैसा इलाज ? बताइए ना बाबा। “
” आपके राज्य के घने जंगल में एक बड़ा सा पेड़ है। यह कोई साधारण पेड़ नहीं है बल्कि एक जादुई पेड़ है। इस पेड़ से एक फल लेकर अपनी राजकुमारी को खिलाइए। वह तुरंत ठीक हो जाएगी। “
” ठीक है बाबा। धन्यवाद ! आपका, इस बीमारी का उपाय बताने के लिए। “
सुझाव देकर बाबा चले जाते हैं।
” सेनापति ! सैनिकों को लेकर जंगल में उस बड़े से पेड़ को ढूंढो और उसके फल को लेकर आओ। “
” जी ! महाराज “
सेनापति कुछ सैनिकों के साथ जंगल में जाते हैं और उन्हें वह पेड़ नजर आता है।
” आओ, आओ। मेरे ही फल लेने आए हो। “
” यह क्या ? तुम बोलते भी हो जादुई पेड़ ? “
” हां ! हां ! मैं बोलता भी हूं। और मुझे यह भी पता है कि तुम यहां क्यों आए हो ? “
Hindi Kahani | Magical Hindi Stories | Moral Story in Hindi | Bed Time Story | Jaadui Kahaniyan
” चलो अच्छा है। तो फिर तुम ही अपने फल तोड़ दो। “
” फल तो मैं दे दूंगा लेकिन इससे पहले तुम्हें मेरी 3 पहेलियों का जवाब देना होगा। तीनों पहेलियों का सही जवाब देने के बाद ही तुम्हें एक फल मिलेगा। “
” तीन जवाब देने पर एक फल ? चलो कोई नहीं… मैं राजकुमारी को एक ही फल से ठीक कर दूंगा। “
” चलो पूछो अपनी पहेलियां। “
” वह क्या है जिसका कर्ज चुकाया जा सकता है लेकिन माता-पिता के बिना इस कर्ज को नहीं चुकाया जा सकता ? “
” अरे ! नहीं… मुझे तो इस पहेली का जवाब नहीं पता। चलो अगली पहेली पूछो।
” ऐसा क्या है जो समुद्र के तल में रहता है और मां के छूने से ही मर जाता है ? “
” मुझे इस पहेली का भी जवाब नहीं पता। “
” तो चलो तीसरी पहेली बताओ। “
जादुई पेड़ तीसरी पहेली पूछता है,” ऐसा कौन है जिसके हाथ और पैर नहीं है लेकिन फिर भी देश – विदेश घूमता है, इसके बिना लोग भूखे मर जाते हैं ? “
सेनापति कुछ समय तक सोचता है और बिना कुछ कहे राजमहल वापस लौट आता है। वह सारी घटना महाराज को बताता है। महाराज कुछ सोचते हुए पूरी सभा में एलान करते हैं कि जो भी इन तीनों पहेलियों का जवाब बताएगा, उसे भेंट में उपहार दिए जाएंगे।
लेकिन सभा में बैठे हुए किसी भी दरबारी को इन पहेलियों का जवाब नहीं आता है। महाराज गुस्सा होते हुए कहते हैं कि मेरी सभा में सभी मूर्ख ही भरे हैं। चलो तुम्हें तो मैं बाद में देख लूंगा।
इधर चंद्रिका अपनी बेटी को डांटते हुए कहती है,” मना किया था ना मैंने। वह बड़े लोग हैं, अगर उनकी राजकुमारी को कुछ भी हो गया तो सारा इल्जाम तुम पर ही आएगा। “
” नहीं मां,, राजकुमारी मेरी वजह से बीमार है। मैं जाऊंगी और उन्हें ठीक करके ही वापस लौट आऊंगी। “
Hindi Kahani | Magical Hindi Stories | Moral Story in Hindi | Bed Time Story | Jaadui Kahaniyan
चंदा महाराज के पास जाती है और कहती है,” महाराज ! मैं जाऊंगी उस जादुई पेड़ के पास और उसकी तीनों पहेलियों का जवाब दूंगी। और बदले में उस जादुई फल को लेकर आऊंगी जिससे राजकुमारी ठीक हो जाएगी। “
महाराज थोड़ा सोचते हुए बोलते हैं,” अच्छा ठीक है। वैसे मुझे पता है तुमसे नहीं होगा लेकिन फिर भी तुम्हें एक अवसर देता हूं। “
चंदा जंगल में जाती है। उसे वह जादुई पेड़ दिखाई देता है। वह उससे कहती है,” हे ! जादुई पेड़… आप अपनी तीनों पहेलियां पूछिए। “
जादुई पेड़ एक-एक करके तीनों पहेलियों को पूछता है।
चंदा थोड़ा देर रुक रुक कर उन सभी पहेलियों का जवाब दे देती है। वह पहली पहेली का जवाब ( वैध जी या गुरु जी ) , दूसरी का ( नमक ) और तीसरी का ( मोहर या पैसा ) देती है। यह सुनकर जादुई पेड़ बहुत खुश होता है और अपने जादुई फल को तोड़कर चंदा की झोली में डाल देता है।
चंदा अभी भी वहां खड़ी हुई देख रही होती है।
जादुई पेड़ कहता है,” बेटी तुम अभी गई नहीं ? “
चंदा कहती है कि हमारे राज्य में राजकुमारी के अलावा भी बहुत सारे लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं। मैं उनके लिए भी फल ले जाना चाहती हूं। चाहो तो और भी पहेलियां पूछ सकते हो।
चंदा का ऐसा स्वभाव देखकर जादुई पेड़ बहुत खुश हुआ और उसने पल भर में अपने जादुई फल जमीन पर बिखेर दिए।
चंदा ने उन सभी फलों को समेटा और राज्य वापस लौट गई।
राज्य पहुंचने के बाद राज्यवैध ने उस फल के रस को राजकुमारी के मुंह में डाला और देखते ही देखते राजकुमारी उठ खड़ी हो गई।
यह देखकर महाराज और महारानी बहुत खुश हुए। महाराज चंदा से कहते हैं,” बेटी मुझे माफ कर दो। मैं तुम्हें समझ नहीं पाया। “
आज से तुम भी मेरी बेटी हो। अब से मेरी एक नहीं बल्कि दो दो बेटियां हैं। महाराज चंदा को गले लगाते हैं और राजकुमारी यह सब देखकर बहुत खुश होती है।
इस कहानी से आपने क्या सीखा ? नीचे Comment में हमें जरूर बताएं।