हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” जादुई मछली ” यह एक Jadui Kahani है। अगर आपको Hindi Kahaniya, Moral Story in Hindi या Jaadui Kahaniya पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
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जादुई मछली
एक गांव में भीमा नाम का गरीब मछुआरा रहता था। भीमा के परिवार में उसकी पत्नी और दो छोटे-छोटे बच्चे थे। भीमा मछलियां पकड़कर अपने परिवार का गुजारा करता था।
भीमा,” रमा मैं मछलियां पकड़ने के लिए समुद्र पर जा रहा हूं। आज अगर ज्यादा मछलियां मिल जाए तो ज्यादा कमाई हो जाएगी। और वैसे भी मेरा जाल बहुत पुराना हो गया है। पैसे जोड़कर में एक नया जाल लेना चाहता हूं। “
रामा,” भगवान करे आपको आज समुद्र में खूब मछलियां मिले और खूब कमाई हो। वैसे भी हर रोज के खर्चे से पैसे बच ही नहीं पाते। “
इसके बाद भीमा अपना जाल उठाता है और समुद्र पर पहुंचता है। समुद्र के किनारे उसकी नाव खड़ी होती है जिसमें बैठकर वह बीच समुद्र में चला जाता है।
वहां पर उसका दोस्त किशन भी मछलियां पकड़ रहा होता है। दोनों बातें करते हुए मछलियां पकड़ना शुरू कर देते हैं।
भीमा,” भैया, कुछ ज्यादा मछलियां मिल जाए तो अच्छी कमाई हो जाए। मेरा तो जाल भी पुराना हो चुका है। पैसे बचे तो एक नया जाल लेना चाहता हूं। “
किशन,” हां भाई… मेरा भी यही हाल है। मेरे घर की तो छत ही टूटी हुई है। मुझे अपने घर की छत को ठीक करवाना है लेकिन पैसे ही नहीं जुड़ते। मुझे तो बहुत डर लग रहा है; क्योंकि बारिश का मौसम आने वाला है और बारिश के मौसम में तो समुद्र में तूफान भी आते रहते हैं। “
इस तरह वे दोनों रोजाना की बातें करते हुए मछलियां पकड़ते रहते हैं। मछलियां पकड़ने के बाद भीमा काफी देर तक बाजार में बैठा रहता है ताकि उसकी सभी मछलियां अच्छे दामों में बिक जाएं।
भीमा शाम को देरी से घर पहुंचता है।
रमा,” अरे ! आज तो आपको बहुत देर हो गई। क्या हुआ ? कुछ ज्यादा पैसे जमा हुए या नहीं ? “
भीमा,” अरे कहां ? देर शाम तक मैं बाजार में भी बैठा रहा ताकि मछलियों की अच्छी कीमत मिल जाए लेकिन कुछ खास फर्क नहीं पड़ा। यही कुछ दो चार पैसे फालतू बचे होंगे। इन पैसों को अलग जमा करते रहना। धीरे-धीरे करके मैं एक नया जाल लूंगा। “
रमा,” आप चिंता ना करें। भगवान के यहां देर है अंधेर नहीं। चलिए अब आप हाथ मुंह धो लीजिए। मैं खाना लगा देती हूं। “
भीमा और किशन हर रोज साथ साथ ही मछलियां पकड़ने जाते थे और इधर उधर की बातें भी करते रहते थे।
किशन,” भैया, मुझे तो लगता है आज तूफान आने वाला है। “
भीमा,” हां मुझे भी तूफान जैसे ही आसार नजर आते हैं। परंतु तूफान ना ही आए तो बेहतर है। वरना हमारी तो आज की रोजी-रोटी मारी जाएगी। “
किशन,” क्या करें भैया ? मछुआरे की जिंदगी तो ऐसी ही है। अब आंधी और तूफान का क्या भरोसा ? कभी भी आ जाते हैं। दोनों बातें कर ही रहे थे तभी अचानक समुद्र में ऊंची ऊंची लहरें उठने लगी और बिजली भी चमकने लगी। “
भीमा और किशन किसी तरह से अपनी नाव को किनारे पर लगाते हैं और एक पेड़ के नीचे जाकर बैठ जाते हैं।
किशन,” आज बहुत तेज तूफान आएगा। हम लोगों को यहीं सुरक्षित बैठना चाहिए। समुद्र के पास जाने में बहुत खतरा है। “
भीमा,” हां भैया, बिल्कुल सही कह रहे हो। हे भगवान ! हमारी रक्षा करना। “
इस तरह वे दोनों पेड़ को अच्छी तरह पकड़कर वहीं बैठ जाते हैं। कुछ देर बाद एक भटकती हुई नाव किनारे के कुछ ही दूरी पर बह रही होती है।
उसमें से एक आदमी मदद के लिए चिल्लाता है,” बचाओ, बचाओ… कोई हमारी मदद करो। हमारी नाव रास्ता भटक गई है और तूफान में फस गई है। कोई है तो हमारी मदद करो। “
भीमा,” अरे ! लगता है कोई रास्ता भटक गया है और तूफान में फस गया है। हमें चलकर उनकी मदद करनी चाहिए और उनकी नाव को किनारे लगाना चाहिए। कहीं इस भयंकर तूफान में वह लोग मौत के मुंह में ना फंस जाएं ? “
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किशन,” क्या तुम पागल हो गए हो भाई ? ऐसे भयंकर तूफान में वहां जाना अपनी मौत को दावत देना होगा। क्या तुम्हें अपनी जान की कोई परवाह नहीं ? देख नहीं रहे हो कितना भयंकर तूफान है ? यहां जान के लाले पड़े हुए हैं और तुम मदद की बात कर रहे हो। “
कुछ देर सोच विचार करने के बाद भीमा उन लोगों की मदद करने का निश्चय करता है और अपनी नाव उठाकर समुद्र में फंसी नाव की ओर बढ़ना शुरू कर देता है। किशन मौका देखकर वहां से रफूचक्कर हो जाता है।
भीमा,” आप लोग चिंता ना करें। अपनी नाव को किनारे की दिशा में घुमाएं। मैं अपनी नाव से रस्सी फेंक रहा हूं, उसे पकड़कर मेरी नाव की दिशा में बढ़ना शुरू करें। मैं पूरी कोशिश करूंगा कि आपकी नाव सुरक्षित किनारे तक पहुंच जाए। “
भीमा रस्सी को घुमाते हुए दूसरी नाव पर फेंकता है। दूसरी नाव पर बैठे आदमी ने तुरंत उस रस्सी को पकड़ लिया और भीमा अपनी पूरी जान लगाकर किनारी की तरफ बढ़ना शुरू कर देता है।
कड़ी मशक्कत के बाद भीमा उस नाव को सुरक्षित किनारे तक ले आया। उस नाव में एक व्यापारी दीनानाथ और उसका एक साथी होता है।
दीनानाथ,” भैया, आपने अपनी जान पर खेलकर हम दोनों की जान बचाई। आप बहुत बहादुर हो। हम लोग आपका शुक्रिया अदा कैसे करें ? यदि आप हमारी मदद नहीं करते तो इस नाव में रखा लाखों का सामान इस समुद्र में ही डूब जाता और हम भी अपनी जान से हाथ धो बैठते।
परंतु आपने अपनी जान पर खेलकर इतनी बहादुरी से हम लोगों की जान बचाई। आज के समय में ऐसा कौन करता है भला ? हम आपके हमेशा अहसानमंद रहेंगे। अगर हम आपके किसी काम आ सके तो खुद को खुशनसीब समझेंगे। “
भीमा,” अरे ! नहीं नहीं… जब एक इंसान मुसीबत में फंसा हो तो दूसरा इंसान मदद ना करें तो वह इंसान इंसान नहीं रहता। आपने मदद के लिए आवाज लगाई तो मैं मदद करने के लिए आगे आया। आगे भगवान की मर्जी जो उसने आपको और मुझे सही सलामत किनारे तक पहुंचा दिया। “
दीनानाथ,” मै 2 साल व्यापार करके अपने परिवार के लिए धन इकट्ठा करके ले जा रहा था। मेरे शहर पहुंचने तक का सफर केवल दो ही दिन का था। हम बस शहर पहुंचने ही वाले थे कि बीच में यह तूफान आ गया।
आपने केवल मेरी जान को ही नहीं बल्कि मेरी 2 साल की कड़ी मेहनत से इकट्ठा किये हुआ धन को भी बचाया है। अगर आप बुरा ना माने तो मैं इनाम के तौर पर आपको कुछ धनराशि भेंट करना चाहता हूं। इससे आपकी भी कुछ मदद हो सकेगी। “
भीमा,” अरे ! नहीं नहीं जी… मैं इस काम के आपसे पैसे नहीं ले सकता। मेरे सामने कोई मदद के लिए चिल्लाया और भगवान ने मुझे उसकी मदद करने लायक बनाया। हम सबको ईश्वर का धन्यवाद करना चाहिए। “
और इस तरह भीमा उन सब से विदा लेता है। तूफान थम जाने के बाद दीनानाथ और उसका साथी अपनी अपनी जमा पूंजी के साथ अपने शहर निकल जाते हैं।
भीमा घर जाकर अपनी पत्नी को अपने साथ हुई सारी घटना विस्तार से बताता है। रमा अपने पति का साहस और मदद करने की भावना को देखकर बहुत खुश होती है। दिन फिर से पहले की तरह गुजरने लगते हैं।
1 दिन भीमा समुद्र के किनारे पेड़ के नीचे उदास बैठा हुआ था; क्योंकि उसका जाल अब बहुत ही कमजोर हो चुका था और नया जाल खरीदने के लिए भी उसके पास पैसे नहीं थे। उस दिन उसे कोई मछली भी नहीं मिली थी। वह उदास मन से घर की तरफ वापस लौट रहा था।
तभी तेज बारिश और आंधी चलना शुरू होती है। भीमा अब तेजी से घर की तरफ बढ़ना चालू कर देता है। जैसे ही वह घर पहुंचता है तो वह देखता है कि उसके घर की छत उड़ गई है और उसकी बीवी और बच्चे एक पेड़ के नीचे खड़े हैं।
भीमा,” अरे बाप रे ! यह क्या हो गया ? इस तरह तो मेरा परिवार बीमार पड़ जाएगा। हे भगवान ! यह तूने क्या किया ? अब मैं क्या करूं ? “
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रमा,” आप चिंता ना करें। भगवान सभी की रक्षा करता है। आज की रात तो हमें इसी तरह गुजारनी होगी। सुबह होने पर हम सोचेंगे कि छत को कैसे ठीक करना है ? “
भीमा अपने परिवार की इस दशा को देखकर बहुत दुखी होता है और मन ही मन अपनी ईश्वर से मदद मांगता है।
अगली सुबह भीमा जल्दी मछलियां पकड़ने के लिए घर से निकल जाता है ताकि कुछ ज्यादा पैसे जमा हो सके और वह घर की मरम्मत दोबारा से करा सके।
रास्ते में उसे एक घायल कबूतर दिखाई देता है जो खून से लथपथ होता है और दर्द से कराह रहा होता है।
भीमा,” अरे ! यह कबूतर तो घायल है। लगता है किसी जानवर ने इस पर हमला बोल दिया है। “
भीमा पास ही एक तालाब से थोड़ा पानी लेकर आता है और उस कबूतर को पिलाता है। उसकी चोट को साफ करके उसकी मरहम पट्टी करता है। थोड़ी देर बाद कबूतर अच्छा महसूस करता है और दोबारा से उड़ने लायक हो जाता है।
कबूतर,” हे नेक आदमी ! खुद भी मुसीबत में होते हुए तुमने मेरी जान बचाई है। मुझे पता है तुम इस वक्त बहुत ज्यादा परेशान हो और समुद्र में मछलियां पकड़ने के लिए जा रहे हो। आज तुम जैसे ही समुद्र में अपना जाल फेंकोगे तो उसमें एक सुनहरी मछली फंसेगी।
यह कोई मामूली मछली नहीं होगी बल्कि एक जादुई मछली होगी। इस जादुई मछली को अपने घर ले जाकर रखना; क्योंकि यह जादुई मछली हर रोज एक मोती देगी जिसकी कीमत काफी ज्यादा होगी। मगर ध्यान रहे इस बात के बारे में किसी और को पता नहीं चलना चाहिए। “
यह कहते हुए कबूतर आसमान में उड़ जाता है।
भीमा,” अरे वाह ! कबूतर भी आजकल बोलने लगे हैं। मैंने तो पहली बार ऐसे कबूतर को बोलते हुए देखा है। लेकिन क्या इसने जो कहा है वह सच है ? क्या सच में मेरी जाल में एक जादुई मछली फसेगी ? चलो चल कर देखते हैं।
बीमा जैसे ही समुद्र में अपना पहला जाल फेकता है तो उसमें वजन महसूस होने लगता है। वह तुरंत जाल को खींचने लगता है परंतु उसके जाल में कोई साधारण मछली नहीं थी बल्कि एक जादुई मछली फंसी थी जो सुनहरे रंग के कारण काफी चमक रही थी।
यह देखकर भीमा की आंखें फटी की फटी रह जाती है। वह तुरंत उस मछली को लेकर घर की ओर भागता है।
रामा,” अरे ! क्या हुआ ? इस तरह भागते हुए क्यों आ रहे हो ? “
भीमा कुछ बोलने से पहले घर का दरवाजा बंद करता है और उस जादुई मछली को एक पानी से भरी हुई बाल्टी में डाल देता है।
भीमा,” रमा, देखो यह एक जादुई मछली है। आज मैंने एक घायल कबूतर की मदद की थी। उसने कहा था कि आज मेरे जाल में एक जादुई मछली फंसेगी। यह मछली हर रोज हमें एक कीमती मोती देगी जिसकी कीमत बाजार में बहुत ज्यादा होगी। अब देखते हैं कल तक क्या होता है ? “
रमा,” अरे वाह ! यह तो बहुत अच्छी बात है। कबूतर की कही हुई हर एक बात सच होती जा रही है। इस तरह से तो हमारी हर एक मुसीबत दूर हो जाएगी। कल जब यह मोती देगी तो तुम उसे जाकर बाजार में बेचा आना। इससे हमारी गरीबी और परेशानियां दूर हो जाएंगी। “
अगले दिन वह सुनहरी मछली एक मोती देती है जिसे भीमा बाजार जाकर बेच आता है।
भीमा,” रमा, उस कबूतर की कही गई बात तो सच है। सच में यह जादुई मछली बहुत ही कीमती मोती देती है। जब मैंने इसे बाजार में बेचा तो उससे मुझे बहुत सारे पैसे मिले जिससे मैंने घर की जरूरतों का सामान और अपना एक नया जाल खरीद लिया है। “
कल यह एक फिर से मोती देगी। कल मैं फिर से बाजार में इसे बेचकर अपने घर की मरम्मत का काम शुरू करवा दूंगा। अगले दिन मछली फिर से एक मोती देती है और भीमा उसे बाजार में बेच आता है।
इस तरह वह जादुई मछली हर रोज एक नया मोती देती और भीम और उसे बाजार में जाकर बेच आता था। इस तरह वह काफी पैसा इकट्ठा कर लेता है।
रमा,” देखिए जी… भगवान ने आपकी अच्छाई का आपको इनाम दिया है। अब आपके पास काफी धन है। अब आप इन पैसों से एक नया और अच्छा व्यापार कर सकते हो।
अब आप यह मछली पकड़ना छोड़कर कोई अच्छा सा व्यापार शुरू कर दीजिए और अपनी सुख भरी जिंदगी की शुरुआत कीजिए। “
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भीमा,” हां तुम सही कह रही हो। मैं इन पैसों से मैं कोई एक नया और अच्छा सा धंधा खोलूंगा। “
भीमा गांव में ताजे फलों की एक दुकान खोल लेता है जो देखने में काफी सुंदर लगती है। भीमा अपनी दुकान पर ताजे फलों के साथ-साथ ताजा जूस भी बेचने लगा और खूब पैसे वाला बन गया।
कहते हैं ना… नेकी कभी खाली नहीं जाती। हमें हमेशा हैं जरूरतमंद लोगों और घायल जानवरों की मदद करनी चाहिए ताकि मुसीबत में हमें भी कोई सहारा दे सके।
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