जादुई वरदान | Jadui Vardan | Hindi Kahaniya | Moral Stories | Hindi Story | Jadui Kahani | Hindi Fairy Tales

व्हाट्सएप ग्रुप ज्वॉइन करें!

Join Now

टेलीग्राम ग्रुप ज्वॉइन करें!

Join Now

हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” जादुई वरदान ” यह एक Jadui Kahani है। अगर आपको Hindi Stories, Moral Story in Hindi या Hindi Kahaniya पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
जादुई वरदान | Jadui Vardan | Hindi Kahaniya | Moral Stories | Hindi Story | Jadui Kahani | Hindi Fairy Tales

Jadui Vardan | Hindi Kahaniya | Moral Stories | Hindi Story | Jadui Kahani | Hindi Fairy Tales

रीतमगढ़ राज्य के एक गाँव में चेतन नाम का एक कुम्हार रहता था। वह बहुत ही सुन्दर मिट्टी के बर्तन बनाता था। 
लेकिन उसकी कला से गाँव के बाकी कुम्हार बहुत जलते थे। इसलिए उसे गाँव से मिट्टी भी नहीं लेने देते थे। 
घर की खराब हालत देखकर एक दिन चेतन की बहन समझाते हुए बोली। 
बहन,” भैया, घर में खाना बनाने के लिए बिल्कुल भी अनाज नहीं है। तुम्हारे बर्तन इतने सुन्दर हैं। 
पड़ोसी गाँव में विदेशी व्यापारी आते हैं। तुम जंगल पार पड़ोसी गाँव में बर्तन क्यों नहीं बेचते ? “
चेतन,” वृन्दा, देख… तू सच कहती है। मेरे बर्तन सुन्दर है, लेकिन इन्हें खरीदने वाला कोई भी नहीं। अब से मैं जंगल में ही बर्तन बनाकर पड़ोसी गाँव में बेचा करूँगा। “
प्रीतमगढ़ राज्य में राजकुमारी का स्वयंवर हो रहा था। दूर दूर से राजकुमार वहाँ आये थे। जादूगर मनोरंजन तरह तरह के जादू दिखा रहा था।
महाराज,” वाह वाह ! क्या बात है ? हम बहुत खुश हैं। बोलो मनोरंजन, तुम क्या चाहते हो ? “
मनोरंजन,” रहने दें महाराज। जो इच्छा में रखता हूँ, आप नहीं दे पायेंगे। “
महाराज,” राज दरबार में खड़े हो तुम और राजा ने तुम्हें कुछ मांगने को कहा है, निसंकोच मांगो। “
मनोरंजन,” महाराज, मैं राजकुमारी से विवाह करना चाहता हूँ। “
महाराज,” मुर्ख, तेरा इतना दुस्साहस। “
मनोरंजन,” क्षमा महाराज ! लेकिन जो मेरी इच्छा थी, मैंने आपसे जाहिर की। “
मनोरंज की बात सुनते ही सभी स्वयंबर में आये हुए राजाओं ने अपनी तलवार खींच ली। 
महाराज,” मनोरंजन, तुम्हारी इतनी हिम्मत कि तुम राजकुमारी से विवाह करने की बात सोचो। एक बार अपनी औकात तो देख लेते। 
तुम्हारी भलाई इसी में है कि आज के बाद कभी इस राज्य में नज़र मत आना। “
मनोरंजन,” महाराज, आपने मेरे गुण को देखने के बदले मेरी गरीबी को देखा है। जब तक मैं अपने इस अपमान का बदला नहीं ले लेता, तब तक मैं चैन से नहीं बैठूंगा। “
महाराज,” निकाल दो इसे धक्के मारकर। “
सैनिक मनोरंजन को धक्के देकर राज दरबार से बाहर कर देते हैं। ऐसा कहकर मनोरंजर वहां से गायब हो जाता है और फिर कभी किसी को नहीं दिखाई देता। 
दूसरी तरफ चेतन बड़ी मेहनत से जंगल में अपने खूबसूरत बर्तन बनाता और फिर उन्हें ले जाकर पड़ोसी गांव में बेचता था। 
धीरे धीरे घर की हालत ठीक होने लगी थी। एक दिन जब वो बर्तन बना रहा था तो उसे एक राजकुमारी के चिल्लाने की आवाज आई, जिसके सामने खूंखार भूखा शेर खड़ा था। 
राजकुमारी,” बचाओ… मेरी मदद करो, नहीं तो ये शेर मुझे अपना आहार बना लेगा। मेरी मदद करो। “
चेतन,” हे भगवान ! यह तो किसी देश की राजकुमारी लग रही है। मेरे पास तो कोई हथियार भी नहीं, ऐसे में मैं शेर का मुकाबला कैसे करूँगा ? 
अब क्या करूँ ? भला मैं इसे कैसे बचाऊँ ? “
चेतन अपने बनाये हुए मिट्टी के बर्तनों को शेर की तरफ फेंकने लगा। शेर घबराकर राजकुमारी को छोड़कर भाग गया। 
राजकुमारी,” तुम कौन हो नौजवान ? तुमने मेरे लिए अपनी मेहनत से बनाये हुए बर्तनों को तोड़ दिया और अपने प्राणों की भी तनिक परवाह नहीं की। “
चेतन,” प्रणाम राजकुमारी ! मैं आपके राज्य का एक गरीब कुम्हार (चेतन) हूँ। “
राजकुमारी,” चेतन, तुमने मेरी जान बचाई है‌। तुम्हारा यह अहसान मैं कभी नहीं भूलूंगी। तुम सच में एक निडर और साहसी पुरुष हो। “
यह बोलकर राजकुमारी वहाँ से चली जाती है। धीरे धीरे समय बीतने लगा और चेतन पडोस के गाँव में बर्तनों की एक छोटी सी दुकान खोल लेता है। एक दिन एक साधू गाँव में आया। 
साधू,” चेतन, मैंने सुना है तुम बहुत दयालु हो। मुझे बहुत भूख लगी है। क्या तुम मुझे भोजन दे सकते हो ? “

ये भी पढ़ें :-

Jadui Vardan | Hindi Kahaniya | Moral Stories | Hindi Story | Jadui Kahani | Hindi Fairy Tales

चेतन,” महाराज, मैं ठहरा गरीब आदमी। घर में चावल रखे हैं, उन्हीं की खिचड़ी बनाई है। आप बुरा न मानो तो मैं आपको खिचड़ी खिला सकता हूँ। “
खिचड़ी खाने के बाद…
साधू,” तेरा दिल एक राजा के समान बड़ा है। एक दिन तू इस देश का राजा बनेगा। “
चेतन ,” यह आप क्या कह रहे हैं, महाराज ? मैं तो ऐसा सपना भी नहीं देखता। यह तो पूरी तरह से असम्भव है। “
साधू ,” बेटा, इस दुनिया में कुछ भी असम्भव नहीं है। मैं तुझे आशीर्वाद देता हूँ कि तेरा हर बर्तन जादूई होगा। “
चेतन ने सोचा ऐसा भला कहाँ हो सकता है ? वह चुपचाप बर्तन बनाने लगा। 
सभी जादूई बर्तन अपने आप उड़कर दुकान में सज गए। तभी वहाँ पर एक गंजा आदमी आया और बोला। 
आदमी,” अरे चेतन ! तेरे बर्तन तो जादूई लगते हैं। जरा देखूं तो तेरे बर्तनों की गहराई कितनी है ? 
अपने हाथ से नाप कर देखता हूँ। अरे ! मेरा पूरा हाथ इसमें चला गया। काश ! इतने लम्बे मेरे बाल भी होते, तो क्या बात थी ? “
उसके ऐसे कहने की ही देर थी कि उसके सिर पर लम्बे बाल उग गए। चारों तरफ शोर मच गया। 
गांव में…
आदमी,” अरे ! चेतन के बनाये गए बर्तन जादुई हैं। उनमें हाथ डालकर जो भी मांगो, वो मिल जाता है भैया। “
गंजा आदमी,” तुझे पता भी है, मैं कौन हूँ ? मैं महाराज का मंत्री हूँ। मैं तेरे जादूई बर्तनों के बारे में महाराज को बताऊँगा, वो तुझे बहुत बड़ा इनाम देंगे। “
मंत्री ने चेतन की जादूई मिट्टी के बर्तनों की बात महाराज को बताई तो वह भी अपनी किस्मत आजमाने चेतन के पास चले आये और बोले। 
महाराज,” अरे चेतन ! सुना है तू जादुई बर्तन बनाता है। बहुत दिनों से मैं उड़ना चाहता हूँ। देखूं… तेरा घड़ा मेरी क्या मदद कर सकता है ? “
चेतन,” यह लीजिये महाराज, यही वो घड़ा है। आप जो चाहे मांग लीजिए। 
देखो, मैं पिछले 4 वर्षों से आसमान में उड़ने की कोशिश कर रहा हूँ। क्या तुम मुझे हवा में उड़ा सकते हो ? “
महाराज घड़े में अपना हाथ डालते हैं और उनके हाथ में एक जादुई टोपी आ जाती है। वह टोपी को लगा लेते हैं और अचानक उड़ने लगते हैं। 
महाराज,” वाह ! कमाल हो गया। मैं तो सच में उड़ने लगा। “
सेनापति,” वाह चेतन ! तेरा जादूई बर्तन तो कमाल का है। ज़रा मुझे भी मांगने दे, मैं भविष्य में जाना चाहता हूँ। क्या मैं भविष्य में जा सकता हूँ ? “
जादुई घड़े में हाथ रखते ही उनके हाथ में घड़ी आ जाती है। सेनापति घडी को बांध लेता है और जैसे ही घड़ी की सुइयों को घुमाता है, वहाँ से वो गायब हो जाता है। 
सेनापति,” अरे ! ये तो कमाल हो गया। “
मंत्री,” सेनापति जी आखिर चले कहाँ गए ? “
सेनापति,” मैं यहाँ हूँ। मैंने घड़ी की सुई को 5 मिनट आगे बढ़ा दिया तो उसने मुझे यहाँ पहुँचा दिया। मुझे नीचे उतारो। “
महाराज,” अरे ! मुझे ऊपर से नीचे उतारो। मैं कब से हवा में उड़ रहा हूँ ? “
मंत्री,” चेतन, मेरे बाल लम्बे होते जा रहे है। ये देख कितने लम्बे हो गए ? सब मेरा मजाक उड़ा रहे हैं। “
महामंत्री,” महाराज, जादू के घड़े से मैंने जादूई माला मांगी। इस माला को पहनते ही मेरे अन्दर बहुत ज्यादा शक्ति आ जाती है। 
मैं पत्थरों को तोड़ सकता हूँ, पेड़ों को हिला सकता हूँ और अगर चाहूं तो नदियों को भी सुखा सकता हूँ। पर मैं शांत नहीं बैठ सकता। “
महाराज,” कुम्हार, जल्दी से जल्दी हमें इस जादू से बाहर निकालो, वरना पूरा देश बर्बाद हो जाएगा। “
चेतन,” महाराज, मुझे इस जादू का तोड़ नहीं आता। मैं आप लोगों को नीचे नहीं ला सकता, न ही मैं सेनापति जी के समय को बदल सकता हूँ और न ही मंत्री जी के बढ़ते हुए बालों को रोक सकता हूँ। “
महाराज,” मूर्ख कुम्हार, तुम्हारे जादूई घड़े के कारण हमारी यह दशा हुई है। अब अगर तुमने यह सब ठीक नहीं किया तो हम तुम्हारा वो हाल करेंगे कि तुम्हारी रूह कांप जाएगी। “

ये भी पढ़ें :-

Jadui Vardan | Hindi Kahaniya | Moral Stories | Hindi Story | Jadui Kahani | Hindi Fairy Tales

चेतन (मन में),” हे भगवान ! अब मैं उस साधू को कहाँ ढूंढूं ? मैंने कभी किसी का बुरा नहीं किया। मेरी मदद करो। मुझे जादूई बर्तन नहीं चाहिए। “
उदास कुम्हार सोचने लगा। 
चेतन,” अब राजा मेरा गला कटवा देगा और मेरी मदद भी कोई नहीं कर सकता। मेरी मौत तो निश्चित है। 
वृंदा के लिए कुछ बर्तन बनाकर रख देता हूँ। कम से कम कुछ दिनों तक तो उसका पेट भरेगा। 
कुछ समय बाद…
चेतन,” राजकुमारी, जादूई बर्तनों की वजह से मैं बहुत बड़ी मुसीबत में पड़ गया हूँ। महाराज अभी तक हवा में उड़ रहे हैं। 
मंत्री जी के बाल बढ़ते बढ़ते पूरे शहर में फैल गए हैं। महामंत्री जी के पास इतनी ताकत आ गयी है कि वो उठा उठाकर चट्टाने और पेड़ इधर उधर फेंक रहे हैं। पूरे शहर में उथल पुथल हो गयी है। “
राजकुमारी,” चेतन, मैं तुम्हारी रक्षा कर सकती हूँ क्योंकि तुमने मेरी रक्षा की थी। उसके लिए मुझे क्या करना होगा ? 
आप राज्य में भंडारा कराइये जिसमें सभी साधु आयेंगे और मुफ्त खाना खायेंगे। शायद वो साधू भी आ जाए जिन्होंने मुझे ये वरदान दिया था। “
राजकुमारी कुम्हार की मदद करने के लिए पूरे राज्य में भंडारा कराती है। दूर दूर से साधू महात्मा आकर राज्य में मुफ्त खाना खाने लगते हैं। 
लेकिन वह साधू नहीं आता। यह देखकर चेतन जोर जोर से रोने लगता है। तभी वह साधू वहां प्रकट होते हैं।
चेतन,” महाराज, आप आ गए ? अपना वरदान वापस ले लीजिये, मैं बहुत मुसीबत में पड़ गया हूँ। “
साधू,” ऐसा क्या हो गया है बेटा ? “
चेतन,” पिछले 2 दिनों से हमारे महाराज हवा में उड़ रहे हैं, मंत्री जी के बाल बड़े होते जा रहे हैं। न जाने क्या क्या हो रहा है ? “
साधू,” अपना आशीर्वाद मैं वापस तो ले सकता हूँ लेकिन उसके लिए तुम्हें एक वादा करना होगा। “
चेतन,” कैसा वादा महाराज ? आप जो कहेंगे मैं सब करने को राजी हूँ। “
साधू,” तो फिर चलो… मेरा आशीर्वाद याद है न ? अब तुम्हें राजा बनाने का समय आ गया है। “
महाराज,” आ गए चेतन ? बहुत खूब… अब चलो हमें जल्दी से पहले की तरह बना दो। 
हम तुम्हें राज्य का शाही कुम्हार घोषित करते हैं और तुम्हें सारी सुख सुविधाएं दी जाएंगी। बोलो तुम और क्या चाहते हो ? “
चेतन,” महाराज, सब कुछ पहले की तरह करने से पहले मैं आपसे एक वरदान माँगना चाहता हूँ। “
महाराज,” अब और देर नहीं करो। जल्दी बताओ, तुम्हें क्या चाहिए ? “
चेतन,” जान को बक्श दें, तो बताऊं महाराज ? मुझे राजकुमारी से विवाह करना है। “
महाराज,” तुम्हारी इतनी हिम्मत कि तुम राजकुमारी से विवाह करने की बात सोचो ? अगर आज मैं हवा में यहाँ उड़ने को मजबूर न होता तो तुम्हारा सर कलम करवा देता। अरे कोई उतारो मुझे हवा से। “
राजकुमारी,” पिताजी, यह वही है जिसने जंगल में मेरी जान बचाई थी। अब तो मेरी जान इसकी अमानत है। “
महाराज,” ऐसा है तो हम इस शादी के लिए तैयार हैं। सुनो सभी… राजकुमारी की चेतन से शादी की तैयारी शुरू की जाए। “
साधू (रूप बदलते हुए),” महाराज देखा, अब आपके पास कोई चारा नहीं है। आपको राजकुमारी का विवाह साधारण कुम्हार चेतन से ही करना होगा। मेरी प्रतिज्ञा पूरी हुई। “
महाराज,” तुम… तुम यहाँ कैसे आ गए ? तो इसके पीछे तुम्हारी चाल थी ? जो भी हो, पहले हमें अपनी वास्तविक अवस्था में लेकर आओ। “
तभी मनोरंजन कुछ मंत्र पड़ता है और राजा सहित सेनापति और मंत्री पहले जैसे हो जाते हैं। 
मनोरंजन,” बिल्कुल सही कहा महाराज, गुस्से में मैंने शेर का रूप लिया और सोचा राजकुमारी को खत्म कर दूं। 
लेकिन जब चेतन को राजकुमारी को बचाते हुए देखा तो मुझे लगा बदला लेने का यह सबसे अच्छा मौका है। “
महाराज,” मुझे अपनी गलती का पछतावा है। मेरी बेटी में ही मेरी खुशी है और मेरा दामाद एक कुशल राजा। “
चेतन,” लेकिन साधू बाबा कहाँ हैं ? “

ये भी पढ़ें :-

Jadui Vardan | Hindi Kahaniya | Moral Stories | Hindi Story | Jadui Kahani | Hindi Fairy Tales

मनोरंजन (रूप बदलते हुए),” तुम बहुत भोले हो। राजकुमारी के साथ खुशी खुशी रहना और कभी किसी के साथ अन्याय नहीं करना। मेरी प्रतिज्ञा पूरी हो गयी है, इसलिए मैं यहाँ से जा रहा हूँ। “
चेतन और राजकुमारी खुशी खुशी शाही महल में रहने चले जाते हैं और चेतन शाही कुम्हार बनकर वैभवशाली जीवन बिताने लगता है।
इस कहानी से आपने क्या सीखा ? नीचे Comment में हमें जरूर बताएं।

Leave a Comment