शमशान | Shamshaan | Horror Story | Bhutiya Kahani | Chudail Ki Kahani | Horror Stories in Hindi

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – शमशान। यह एक Haunted Story है। तो अगर आपको भी Darawani Kahaniya, Bhutiya Kahani या Horror Story पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।

शमशान | Shamshaan | Horror Story | Bhutiya Kahani | Chudail Ki Kahani | Horror Stories in Hindi

Shamshaan | Horror Story | Bhutiya Kahani | Chudail Ki Kahani | Horror Stories in Hindi

शमशान

मेरा नाम दुष्यंत है और मैं हरिद्वार के शमशान घाट में 12 सालों से काम कर रहा हूँ।
यहाँ लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार करना, उनकी चिताओं को आग लगाना, फिर श्मशान घाट की सफाई करना मेरा काम होता था।
लेकिन मेरे साथ एक ऐसी घटना घटी जिसने मेरी जिंदगी को हमेशा हमेशा के लिए बदलकर रख दिया। मैं आज भी उस दिन को याद कर सहम जाता हूँ।
अक्सर हम लोग लाशों को आग लगाने के बाद उनकी अस्तियों को इकट्ठा कर बाकी बची राख को गंगा में बहा दिया करते थे।
मेरे पास अक्सर हवलदार और पुलिस इंस्पेक्टर का आना जाना लगा रहता था क्योंकि मैं लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार सबसे कम खर्चे में किया करता था और मुझे ज्यादा मेहनत भी नहीं करनी पड़ती थी।
पर फिर एक शाम शमशान घाट में एक इंस्पेक्टर मेरे पास एक अनजान लड़की की लाश को लेकर आया।
इंस्पेक्टर,” दुष्यंत, ऊपर से ऑर्डर है जल्दी से निपटा डाल इसे। बहुत बड़ा सिरदर्द है ये। 
और सुन… अस्तियां बस्तियां वाला ताम जाम नहीं चाहिए। बस लाश को फूँक और सारा कुछ गंगा में बहा दे। गंगा मां सब माफ़ कर देगी। “
ये कहते हुए इंस्पेक्टर ने कफन में लिपटी हुई लाश को गाड़ी से उतारकर मेरे सामने रख दिया जिसे देख मैंने इंस्पेक्टर से फिर कहा।
दुष्यंत,” पर साहब शाम के 6 बज गए। अर्थी सजाते सजाते ही रात हो जाएगी और रात को अंतिम संस्कार भी नहीं कर सकते हैं। 
वेदों में उसकी सख्त मनाही है। पाप लगता है साहब। “
मेरी इस बात पर इंस्पेक्टर कुछ सोचते हुए बोला। 
इंस्पेक्टर (नोटों की गड्डी थमाते हुए),” अच्छा ऐसा है क्या..? तो ये ले, रख ले। गंगा और गाँधी इन दोनों से या तो पाप धुल जाते हैं या फिर हमेशा हमेशा के लिए दफन हो जाते हैं। 
अब फालतू की तानेबाज़ी बंद कर, मुझे ऊपर भी जवाब देना होता है। “
इंस्पेक्टर ने अपनी पैंट की जेब से अनगिनत नोट निकाल मेरी शर्ट की जेब में ठूंस दिये और खुद कोने में जाकर बीड़ी पीने लगा।
शायद सच ही कहा था उसने… गंगा और गाँधी से अपने पापों को छिपाया और मिटाया जा सकता था। तभी तो मैं बिना कोई सवाल किए उस लड़की को जलाने के लिए अस्थियां सजाने लग गया। 
मैं कफन में दबी लाश को देख ही रहा था कि इतने में इंस्पेक्टर ने मुझे फिर से कहा।
इंस्पेक्टर,” यार दुष्यंत, वैसे ज्यादा लकड़ियां लगने नहीं वाली है। जवान थी ये। देख तो कितनी दुबली पत्नी सी है ? 
इसीलिए बोल रहा हूँ जल्दी से फूंक डाल इसे। कुछ देर बाद मैंने इंस्पेक्टर से फिर कहा।
दुष्यंत,” इंस्पेक्टर साहब, सब सेट कर दिया है मैंने। आप ज़रा लाश को हाथ लगाओ, चिता पर लिटाते हैं इसको। “
मैं अंतिम संस्कार के सारे इंतजाम कर चुका था। अब बस लाश को चिता पर लिटाकर उसे अग्नि देनी थी। 
इसलिए मैंने इंस्पेक्टर को अपने पास बुलाया था। इंस्पेक्टर भी मेरे बुलवाने पर मेरी मदद करने आ गया। 
हम दोनों ने लड़की की लाश को उठाकर उसको चिता पर लिटा दिया। उसका जिस्म तप रहा था। हाँ, लड़की का जिस्म तप रहा था।
दुष्यंत,” साहब, कितना टाइम हुआ है इसे मरे हुए ?
इस पर इंस्पेक्टर ने कहा।
इंस्पेक्टर,” तुझे क्या करना..? ज्यादा पुलिस वाला मत बन। ज्यादा बोलेगा ना तो इसके खून में तुझको ही अंदर कर दूंगा। समझा..? “
मैं भी इंस्पेक्टर की बात सुन चुप हो गया। मैं हाथ में मशाल लेकर लंच को जलाने आगे बढ़ा ही था कि अचानक लाश के मुँह पर से कपड़ा उड़ गया और मेरी नजर उस लाश के चेहरे को ताकने लगी, जिसे देख मेरी रूह कांप गई। 
मैंने देखा कि वो लाश अपनी पलकें झपका रही थी। ऐसा लग रहा था कि शायद वो लाश रो रही थी क्योंकि उसकी आँखों से निकले आंसू थम नहीं रहे थे। 
उस लाश को देख मैं भी एक पल को जिंदा लाश बन गया था और यही सोच रहा था कि ऐसा कैसे हो सकता है ? 

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Shamshaan | Horror Story | Bhutiya Kahani | Chudail Ki Kahani | Horror Stories in Hindi

क्योंकि आज तक मैंने कभी किसी लाश को नहीं देखा था। मैंने इंस्पेक्टर से चीखते हुए कहा।
दुष्यंत,” इंस्पेक्टर साहब, ये मरी नहीं है। ये तो जिन्दा है। ये क्या अनर्थ करवा रहे हैं आप मुझसे ? “
मैं इंस्पेक्टर से कहता हुआ पीछे हट गया और मेरे हाथ से मशाल भी नीचे गिर गई। इस वक्त पूरे श्मशान घाट में सिर्फ हम लोग ही थे। 
इसलिए मेरी चीख सुनकर भी कोई हमारे आसपास भी नहीं भटका। धीरे धीरे मुझे समझ आने लगा था कि ज्यादा पैसों के लालच में आकर मैं पाप करने जा रहा था।
इस पर इंस्पेक्टर बोला।
इंस्पेक्टर,” दुष्यंत, पागल तो नहीं हो गया है ? कैसी बातें कर रहा है ? 
वो एक लाश है और लाश सांस नहीं लिया करती। तेरा ये रोज़ का काम है फिर भी तू ड्रामे कर रहा है। 
हालांकि रात हो गई है पर डर क्यों रहा है ? मैं हूँ तो तेरे साथ। अब जल्दी से चिता को अग्नि दे, समझा ? “
इंस्पेक्टर की बातें सुन मेरी साँसें तो शांत हो गयी पर मेरा मन नहीं‌। फिर मैंने अपना मन मारकर चिता को अवनी देने के लिए आगे बढ़ा ही था,
तभी मुझे ऐसा महसूस हुआ की मशाल के आसपास काले साहे मंडरा रह रहे हैं और चिता से भी लकड़ियां अपने आप गिर रही हैं। 
मेरा मन बेचैन होने लगा। पर इसे नज़र का धोखा मान मैं लाश के पास चला गया।
फिर अचानक ही मुझे महसूस हुआ कि लाश ने मेरा हाथ पकड़ लिया और रोते हुए मुझसे कहने लगी।
लाश,” प्लीज़ मुझे मत जलाओ, मैं जिंदा हूँ। ये सब मुझे जिंदा जलाने की कोशिश कर रहे हैं ताकि इनका राज़ सामने ना पाए। 
कम से कम तुम तो इनका साथ मत दो। मैं पेट से हूँ‌। माँ बनने वाली हूँ। 
मुझसे बदला लेने के लिए मेरे इस बच्चे को तो मत मारो, प्लीज़। मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूँ। “
लाश की बातें सुन मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई। तभी इंस्पेक्टर ने मुझे फिर टोकते हुए कहा।
इंस्पेक्टर,” अरे ! चिता के पास खड़ा खड़ा क्या कर रहा है ? अब क्या फिर लेक्चर दूं तुझे ? एक बार में बात समझ नहीं आती क्या ? 
बोला लाश को जला तो जलाता क्यों नहीं है ? अगर तेरे से नहीं होता है तो ला मुझे दे ये मशाल, मैं खुद ही फूंक डालता हूँ उसे। “
इतना कहकर वो इंस्पेक्टर मेरे हाथ से मशाल लेने आगे बढ़ा ही था कि तभी मैंने उसी मशाल से इंस्पेक्टर का चेहरा जला दिया जिसके दर्द से वो ज़ोर ज़ोर से छटपटाने लगा था।
इंस्पेक्टर,” कोई बचाओ मुझे, मेरा चेहरा जला गया है। “
इंस्पेक्टर,” दुष्यंत, तूने मेरा आधा चेहरा जला दिया है। ये तूने अच्छा नहीं किया। “
इंस्पेक्टर अपना चेहरा छुपाए दर्द के मारे इधर उधर भटक रहा था और ज़ोर ज़ोर से चीख रहा था। 
पर जैसा कि मैंने पहले कहा था, हम लोगों के अलावा पूरे श्मशान घाट में कोई नहीं था जो उसकी मदद के लिए आ पाता। 
लाश की आँखे भी बस एकटक इंस्पेक्टर को ही तड़पते हुए देख रही थीं।
उसकी आँखों में सुकून साफ़ झलक रहा था और मैंने भी अब ठान ली थी कि चाहे कुछ भी हो जाए, मुझे अब इस लड़की के बारे में जानना था जिसको इंस्पेक्टर जिंदा ही जलाना चाहता था। 
मैं भी अपने हाथ में मशाल लिए सीधा उस इंस्पेक्टर की ओर चल दिया और उसकी मशाल से उसे जिंदा चलाने की धमकी देते हुए बोला।
दुष्यंत,” अभी तो तेरा आधा चेहरा ही आग से झुलसाया है। अगर सच नहीं बताया तो लड़की के बजाय मैं तुझे ही जिन्दा जला दूंगा। “
इंस्पेक्टर को आग में अपनी मौत दिखाई दे रही थी। उसने भी लड़खड़ाते हुए कहा।
इंस्पेक्टर,” हां, ये लड़की मरी नहीं है जिंदा है। “
जैसे ही मैंने सुना, मेरा रोम रोम शिहर उठा था।

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दुष्यंत,” पर क्यूँ इंस्पेक्टर साहब ? आप ये अनर्थ क्यों करवाना चाहते थे, बताइए ? 
अगर मेरे हाथों ये पाप हो जाता तो मैं कभी खुद को माफ़ नहीं कर पाता। क्यों किया आपने ऐसा, बोलिए ? “
इस पर इंस्पेक्टर ने एक लम्बी सांस लेते हुए कहा।
इंस्पेक्टर,” दुष्यंत, तुम शायद भूल रहे हो कि कानून अंधा होता है। हमें बस ऊपर से ऑर्डर दिए जाते हैं, जिन्हें हर हाल में हमें फॉलो करना होता है। 
और रही बात इस लड़की की तो इसका भाई एक रिपोर्टर था जिसने कमिश्नर की नाक में दम कर दिया था। 
फिर कमिश्नर के कहने पर मैंने इसके भाई का एनकाउंटर कर दिया। लेकिन इसकी बहन काला जादू जानती थी जिसकी मदद से इसने अपने भाई की आत्मा को वापस बुलाया और कमिश्नर को जान से मारने की कोशिश की। 
उसे इतना डराया क वो पागल हो गया। और तो और इसने मेरी पत्नी को भी पागल कर दिया। 
मन तो किया कि इसका भी इसके भाई की तरह एनकाउंटर कर दूं लेकिन मैं कमिश्नर की शपथ लेने वाला हूँ। इसलिए बोल रहा हूँ, तुझे और पैसे चाहिए तो बता। 
मैं करोड़पति बना दूंगा तुझे बस किसी भी तरह से लड़की को फूंक डाल अभी के अभी। “
इंस्पेक्टर की बात सुन मेरे होश उड़ गए थे। मेरे मन में बस इंस्पेक्टर की कही हुई बातें घूम रही थी, जिसके बारे में सोचते हुए मैंने खुद से कहा। 
दुष्यंत (मन में),” मतलब कि वो मेरा भ्रम नहीं था। इस लड़की ने काले जादू की मदद से सच में ही मुझसे बातें की थीं। “
पर मेरे मन को एक सवाल और नोच रहा था जिसका जवाब मैंने इंस्पेक्टर से पूछा।
दुष्यंत,” अगर ये लड़की जिंदा है तो तुमने इसके साथ ऐसा क्या किया जो ये हिल भी नहीं पा रही है ? और इसने तो कहा था कि ये पेट से है, मरना नहीं चाहती है। “
इस पर इंस्पेक्टर ने हँसते हुए कहा।
इंस्पेक्टर,” अच्छा तो काले जादू की मदद से ये तेरे से भी बातें करने लगी। 
अरे ! जब मैंने इसे घर से उठाया तो बहुत छटपटा रही थी तो इसे शांत करने के लिए मैंने इसमें इतने इन्जेक्शन ठोके कि पैरालाइज़ हो गई। 
और रही बात बच्चे की तो गरीब की झोली में कौन सा दान किसका है, क्या मालूम ? “
इंस्पेक्टर की सारी बात सुनने के बाद मैं खुद से बस यही कह रहा था।
दुष्यंत (मन में),” लोग तो पहले ही कब के मर चुके होते हैं, अंदर से। ये शमशान तक आना, चिताओं का अंतिम संस्कार होना, ये सब तो सिर्फ एक रस्म है। 
खुद को झूठी उम्मीद और तसल्ली देने की, मोक्ष पाने की‌। “
मैं खुद से कह ही रहा था कि मेरा ध्यान भटकते ही इंस्पेक्टर ने अपनी रिवॉल्वर मुझ पर तानते हुए कहा।
इंस्पेक्टर,” दुष्यंत, तेरा एनकाउंटर तो मैं अपने हाथों से ही करूँगा। मेरा चेहरा बर्बाद कर दिया तूने। “
इंस्पेक्टर मुझ पर गोली चलाने वाला था कि तभी तेज हवाएं चलने लगीं।
चिता पर लेटी हुई लड़की का कफन उड़कर मेरी रक्षा के लिए मेरे सामने आ गया। इंस्पेक्टर ने गोली चलाई भी, पर एक भी गोली कफन को चीर नहीं पाई। 
मैं सही सलामत ही कफन के दूसरी तरफ खड़ा रहा। मानो जैसे वो कफन कोई कपड़ा नहीं बल्कि कोई लोहे की दीवार हो। 
इंस्पेक्टर ने अपनी रिवॉल्वर की छः की छ: गोलियां मुझ पर चढ़ा दी थी। पर एक भी मेरा बाल भी बांका नहीं कर पाई और अगले ही पल वो कफन इंस्पेक्टर के जिस्म से लिपटकर उसका कदम घोटने लगा। 
इंस्पेक्टर का जिस्म उस कफन में कटने लगा था। वो दर्द के मारे चीख रहा था, तड़प रहा था, अपनी जान की भीख मांग रहा था। 
इंस्पेक्टर के जिस्म से लिपटा कफन उसके खून में भीग पूरी तरह से लाल हो चुका था।
जाने मेरे मन को भी क्या सूझी, मैंने भी नीचे गिरी मशाल को उठाकर उसके फन में आग लगा दी ? वो इंस्पेक्टर जिंदा ही जलने लगा था। 
कुछ देर तो उसकी चीखों की गरमाहट हवा में रही लेकिन फिर धीरे धीरे सब कुछ रात के सन्नाटे की तरह शांत हो गया।
इंस्पेक्टर के जलने के बाद मैंने उसकी अस्थियां गंगा में बहा दी और उस लड़की को लेकर घर चला आया। आज उस घटना को 8 साल हो चुके हैं।
मैंने अब श्मशान में काम करना छोड़ दिया है। अब मैं एक छोटी सी नौकरी करता हूँ और मीना का ख्याल रखता हूँ। ये नाम मैंने उस लड़की को दिया है।

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उसके पेट में पल रहा बच्चा दवाइयों के रिएक्शन से पेट में ही मर गया था। पर वह आज भी मुझसे पलके झपकाकर बातें ही किया करती है।
सच कहूं तो मैं मीना से प्यार करने लगा हूँ। पर ये बात मैं उसे तब बताऊँगा जब वो पूरी तरह से ठीक हो जाएगी। 
पर आप उससे कुछ मत कहना, पता है ना वो जादू जानती है ?
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