स्त्री | Stree | Horror Kahani | Darawani Kahani | Chudail Ki Kahani | Horror Story in Hindi

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” स्त्री ” यह एक Chudail Ki Kahani है। अगर आपको Horror Stories, Bhutiya Stories या Chudail Ki Kahaniyan पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।


चंदेरी गांव में एक पेड़ के नीचे एक बूढ़ा और उसके सामने दो बच्चे बैठे हुए थे।

बच्चे, “बाबूजी… बाबूजी! हमें बताइए ना कि हमारे गांव के हर घर पर ‘ओह स्त्री रक्षा करना’ ऐसा क्यों लिखा हुआ है?”

बाबूजी, “बच्चों, मुझे तुमको यह बात बताना ठीक नहीं लगता। कहीं तुम लोगों के दिमाग पर डर ना बैठ जाए।”

बच्चे, “कैसा डर, बाबूजी? बताइए ना!”

बाबूजी, “वो डर, जो आज से 10 साल पहले पूरे गाँव के दिल पर बैठा था… स्त्री का डर। स्त्री हर घर के एक मर्द को अपने साथ ले जाया करती थी।

वह घर का दरवाजा ना खटखटाए, इसलिए सभी ने अपने घरों की दीवारों पर लिख रखा था कि ओ स्त्री कल आना। सभी ने स्त्री को एक चुड़ैल के रूप में देखा था।

लेकिन जब राजवीर ने अपने दोस्त पुनीत के साथ मिलकर स्त्री के बारे में जानकारी निकाली, तो उस पुरानी किताब में उसे उसका जवाब मिला।

स्त्री को उसकी ज़िन्दगी में मर्दों से इज्जत और प्यार नहीं मिला, इसीलिए वो अब मरने के बाद मर्दों को ही अगवा करके ले जा रही है।

लेकिन फिर भी शहर को बचाना जरूरी था। इसलिए राजवीर ने उसकी चोटी काटकर उसकी शक्ति खत्म कर दी और स्त्री उस रात के बाद नजर आना बंद हो गई थी।

तभी से हम सभी ने स्त्री की आत्मा की शांति के लिए उसकी चोटी का एक मंदिर बनवाया, जहाँ उसकी चोटी को एक ताबूत में रखा गया और उस ताबूत पर लिखा गया ‘ओ स्त्री रक्षा करना।’

धीरे-धीरे सभी गांव के लोगों ने अपने घरों के बाहर यही अल्फाज़ लिख दिए।”

ये रात पुनीत की जिंदगी की सबसे खूबसूरत रात थी। उसकी दुल्हन सेज पर बैठी थी और वो उसके करीब जा रहा था।

पुनीत को अपने करीब आता देख दुल्हन सिमट कर बैठ गई।”

दुल्हन, “अरे! शर्मा रही हो? हमने तो तुमको एक बार देखा हुआ है सुगना। शर्माने की क्या जरूरत है?”

यह कहते हुए पुनीत ने दुल्हन का घूंघट उठाया। उसका सौंदर्य देखकर पुनीत की आँखों में चमक उभर आई।

वो अभी उसकी तरफ बढ़ ही रहा था कि तभी उसके घर की दीवार पर अजीब सा शोर होने लगा।

पुनीत, “अरे! कौन है यहाँ?”

पुनीत हैरान रह गया। इतनी ज़ोर से कोई दरवाजा भी नहीं पीट सकता था जितनी ज़ोर से दीवार को पीटने की आवाज आ रही थी।

ऐसा लग रहा था कि दीवार अभी टूट कर गिर जाएगी। तभी खिड़की खुली और एक कटा हुआ सिर अंदर आया, जिसे देखकर दुल्हन और दूल्हा दोनों ही डर गए।

उसके बाद ही शरीर भी अंदर आ गया, लेकिन यह सिर से बिल्कुल अलग था। उसके लंबे घने बाल हवा में लटक रहे थे।

वो सिर अब दुल्हन की तरफ बढ़ गया और उसके बालों ने दुल्हन के दोनों हाथों को जकड़ लिया। उसने अपने बालों के बल दुल्हन को हवा में उठा लिया।

जो दीवार अभी तक धमधम कर रही थी, उसमें तेज़ रोशनी चमकने लगी। ऐसा लगने लगा जैसे वह दीवार शीशे की बन गई हो और वह सिर दुल्हन को लेकर उसके अंदर चला गया।

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अगले ही पल दीवार एकदम ठीक हो गई और पुनीत चक्कर खाकर जमीन पर गिर गया।

सुबह हो चुकी थी। पुनीत की माँ और पिता, साथ में कुछ पड़ोसी, घर में मौजूद थे और उसे हैरानी से देख रहे थे।

माँ, “पुनीत, दुल्हन कहाँ है? और तुम यहाँ जमीन पर क्यों पड़े हो?”

पुनीत, “वो… वो सुगना को ले गया, ले गया वो सुगना को।”

पिता, “अरे! कौन ले गया?”

पुनीत, “वो वो… सर कटा।”

यह सुनकर सभी की जुबान से ‘राम राम’ निकलने लगा।

पुनीत अब इन सभी के साथ राजवीर के पास गया और उसे सारी बात बता दी।

राजवीर, “ये क्या बोल रहा है तू? दुल्हन को उठा ले गया?”

पुनीत, “हाँ, मेरी आँखों के सामने उठा के ले गया।”

राजवीर, “तो अब तू मुझसे क्या चाहता है?”

पुनीत, “क्या चाहता है, क्या मतलब? अरे! जैसे हम दोनों ने मिलकर स्त्री से इस गाँव को छुटकारा दिलाया था, वैसे ही सरकटा को हराकर उससे मेरी सुगना को वापस ले आते हैं।”

तभी राजवीर की बीवी रिया आती है।

रिया, “तब यह सिर्फ इस गांव का एक नौजवान लड़का था और अब यह मेरा पति है। और मैं नहीं चाहती कि यह कोई भी जोखिम भरा काम करें।”

पुनीत के पिता, “रिया बेटा, तुम हमारी बात को समझो।”

रिया, “मुझे कुछ नहीं समझना। आप सभी मेरे घर से बाहर निकलिए।”

रिया ने सभी लोगों को घर से निकाल दिया और खटाक से दरवाजा बंद कर दिया।

रिया, “अगर फिर से तुमने किसी भूत को पकड़ने या भगाने की कोशिश की, तो मैं खुद भूत बन जाऊंगी।”

यह कहकर उसने चादर तानी और सो गई। राजवीर को पुनीत की फिक्र हो रही थी, लेकिन अपनी बीवी के गुस्से के आगे वह मजबूर था।

रात तकरीबन 3 बजे रिया की आँख खुली। उसने पास में रखा हुआ पानी का ग्लास उठाया, तो वह खाली था।

रिया, “अरे यार! इस गांव में शादी करके तो मैंने मेरी ही किस्मत फोड़ ली।”

राजवीर सो रहा था, इसलिए उसने उसे उठाना जरूरी नहीं समझा और पानी का मटका उठाकर घर से निकली। बरामदे में एक कुआँ था।

उसने बाल्टी पानी में फेंक दी। जब बाल्टी पूरी तरह से नीचे पानी में गिर गई, तो उसने वापस रस्सी खींचना शुरू किया। अचानक से हंसने की आवाज आई, तो वह डर गई।

रिया, “ये किसकी आवाज है?”

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उसने साँस ली और वापस पानी खींचना शुरू किया। तभी वह आवाज और ज्यादा तेज़ होने लगी और उसने देखा कि बरामदे में लगे एक पेड़ के तने पर अजीब सी चमक हो रही है, जैसे उस पर हजारों जुगनू बैठे हों।

उसको प्यास बहुत तेज़ लगी थी, इसलिए उसने तेजी से बाल्टी को खींचा और जैसे ही रस्सी पूरी ऊपर आई, तो उसने बहुत भयानक दृश्य देखा। उस बाल्टी के अंदर कोई काली चीज़ नजर आई।

रिया, “ये क्या है?”

उसने उस काली चीज़ को उठाया, तो पाया कि वही कटा हुआ सिर था, जिसने सुगना पर हमला किया था।

उस पर लिपटे हुए काले बालों ने रिया के हाथ और पैरों को जकड़ लिया और हंसने लगा।

रिया का दिल बुरी तरह दहल चुका था। उसकी साँसें भी ऊपर-नीचे हो रही थीं।

उसने साँस को पूरी तरह से अंदर लिया और उसके कंठ से एक खौफ भरी चीख निकली।

वो चीख सुनकर राजवीर जाग उठा।

राजवीर, “रिया, तुम कहाँ हो?”

उसने खिड़की से देखा कि रिया कुएं के पास है। वह भाग कर बाहर गया, तो सामने का नजारा देखकर उसकी भी रोंगटे खड़े हो गए।

राजवीर, “रिया!”

वह रिया की तरफ भागा, लेकिन उस सर ने बालों के सहारे ही रिया को हवा में उठा दिया।

पेड़ में जो लाइट जल रही थी, वही एक गोल घेरा खुल गया और वह सरकटा रिया को उसके अंदर ले गया।

राजवीर, “नहीं!”

राजवीर भागकर उस पेड़ के पास पहुंचा, तो अचानक से वह पेड़ पहले जैसा हो गया।

अब राजवीर की नजर घर की दीवार पर पड़ी, तो उसने स्त्री रक्षा करने वाली लाइन को मिटा हुआ पाया।

अगली सुबह, पुनीत और गांव के सभी लोग एक जगह जमा हुए। राजवीर के चेहरे पर परेशानी साफ नजर आ रही थी और उसके हाथ में वही किताब थी।

राजवीर, “रिया ने इस किताब को खोलने तक से मुझे साफ मना किया गया था, लेकिन अब उसी की जान खतरे में है। इसीलिए रिया, मुझे माफ़ कर देना।”

ऐसा कहकर उसने किताब का वो आखिरी पन्ना खोला जो उसने पढ़ा ही नहीं था।

स्त्री बनने से पहले वो एक अच्छी नृत्यक थी और उसे मार कर ‘स्त्री’ बनाने वाला एक सरकटा था।

जब तक ‘स्त्री’ शहर में घूम रही थी, तब तक सरर्कटा नहीं आ सकता था। लेकिन अगर आपने ‘स्त्री’ को भगा दिया तो सरकटा वापस आएगा।

ये सरकटा कौन है, इसके बारे में हम जानेंगे इस किताब के अगले भाग में…।

राजवीर, “अगले भाग में?”

आदमी,” अगला भाग? क्या इस किताब के बाद कोई दूसरी किताब भी लिखी गई थी?”

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राजवीर, “पता नहीं। जब मैं और पुनीत उस अंधेरी गुफा के अंदर गए थे, तो हमें तो वहाँ पर एक ही किताब मिली थी।”

आदमी, “तो फिर इसमें क्यों लिखा है कि…?”

राजवीर, “पुनीत, मुझे लगता है अब हमें वापस उसी गुफा में जाना पड़ेगा।”

पुनीत, “क्यों? अब तू क्यों उस सरकटे को ढूंढना चाहता है? क्योंकि अब तेरी बीवी गायब हुई है इसलिए?”

राजवीर, “बीवी तेरी भी गायब हुई है। ये गिले सिकवे करने का वक्त नहीं है यार।

अगर तू चाहे तो मेरे साथ चल सकता है या फिर मैं अकेले भी अपनी पत्नी के लिए वहाँ जा सकता हूँ।”

यह कहकर राजवीर वहाँ से निकल गया और पुनीत किसी सोच में डूब गया।

रात के 12 बजे,श सुनसान जंगल और अंधेरी रात। ऐसे में एक अकेले इंसान की चहलकदमी उसके लिए माहौल को बहुत डरावना बना रही थी।

काफी देर चलने के बाद वो गुफा पर पहुंचा। उस गुफा को उसने आज 5 साल बाद देखा था और उसे देखते ही उसकी आँखों के सामने वह सारा मंजर ऐसे घूमने लगा जैसे कि ये कल ही की बात हो।

राजवीर, “मुझे जाना ही पड़ेगा। रिया पता नहीं किस हाल में होगी।”

यह कहकर वो उस गुफा के अंदर दाखिल हो गया। अभी कुछ कदम बढ़ाने के बाद ही एक चील तेज शोर करती हुई सामने से आई।

राजवीर नीचे झुककर उस चील से बच गया और वो पीछे निकल गई। राजवीर की सांसे तेज चल रही थीं और माथे पर पसीने की बूंदें छलक आई थीं।

राजवीर, “ये तो पहले से भी ज्यादा वीरान हो गया यार।”

तभी किसी ने उसके कंधे पर हाथ रखा और वो अचानक से डर गया। उसने पलट कर देखा तो वो पुनीत था।

राजवीर, “तुम… तुम आ गए?”

पुनीत, “हाँ, दिख रहा हूँ तो साफ सी बात है कि आ ही गया हूँ।”

राजवीर, “मैं सच में उस रात तुम्हारी बात सुनने वाला था, लेकिन…।”

पुनीत, “बस बस… अब आगे चलो, कहीं दूसरी चीज़ ना आ जाए।”

ये दोनों अब आगे बढ़ते रहे। कहीं कोई मरा हुआ जानवर मिलता, जिसके मांस को चील और कौवे खा रहे थे, तो कहीं मानव कंकाल की हड्डियाँ मिलतीं।

लेकिन फिर भी ये दोनों हिम्मत करके आगे बढ़ते रहे। आखिरकार ये एक जगह पहुंचे, जहाँ एक बक्सा रखा हुआ था।

राजवीर, “यही वो बक्सा था ना, जिससे हमने वो किताब निकाली थी?”

पुनीत, “हाँ, यही था।”

राजवीर ने उस बक्से को खोला, तो उसके अंदर उनको एक काला कपड़ा रखा हुआ मिला।

राजवीर, “ये वही कपड़ा है जो उस किताब पर लिपटा था, लेकिन… वो दूसरी किताब इसके अंदर नहीं है। तो कहाँ होगी?”

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ये कहते हुए राजवीर ने उस कपड़े को उठाया और उसके नीचे उन्हें एक चाबी और एक नक्शा नजर आया।

राजवीर, “अरे, ये तो हमने देखा ही नहीं था।”

इन दोनों ने अब उस नक्शे को ठीक से देखा, जो दिखने में काफी आसान था।

पुनीत, “ये नक्शा तो इसी गुफा का है और इसके हिसाब से हमें अभी और आगे जाना है, पर ज्यादा दूर नहीं है।”

ये दोनों गुफा के थोड़ा और अंदर गए। जितना अंदर ये जा रहे थे, उतना ही अंधेरा और गहरा होता जा रहा था।

लेकिन इन्होंने अपने कदमों को नहीं रोका और आगे बढ़ते रहे। आखिरकार वो एक कोने में पहुंचे, जहाँ एक और बक्सा रखा था। लेकिन इस बक्से पर एक ताला लगा था।

राजवीर, “तो ये चाबी शायद इसी ताले की होगी। इसे खोलते हैं ना?”

राजवीर ने जैसे ही ताले को हाथ लगाया, जमीन जोर से हिली और तेज़ शोर करते हुए काफी सारी मिट्टी छत से नीचे गिरने लगी।

राजवीर, “इसमें जरूर कुछ होगा।”

राजवीर ने हिम्मत करके ताला खोला और ढक्कन हटाते ही उन्हें एक किताब रखी हुई नजर आई।

राजवीर, “सरकटा भूत स्त्री भाग दूर।”

पुनीत, “तो यही… यही वो किताब है, जो उस किताब का दूसरा भाग है।”

राजवीर ने किताब जैसे ही उठाई, तो गुफा के अंदर भूकंप आ गया।

पुनीत, “अरे! ये क्या हो रहा है?”

तभी कुछ बड़े-बड़े पत्थर छत से गिरने लगे। ये दोनों गुफा के मुँह की तरफ भागे। धीरे-धीरे पूरी गुफा ढह रही थी

और अगर ये एक कदम भी रुकते, तो उसी में दब कर मर जाते। ये दोनों गुफा से बाहर आए और पूरी गुफा ढह गई।

इन दोनों की सांसें तेज़-तेज़ चल रही थीं। कुछ देर इन्होंने सांस ली और उसके बाद ये गांव में पहुंचे। चौक पर सभी पहले ही इनका इंतजार कर रहे थे।

राजवीर, “स्त्री के मरने के बाद ही सर्कटा भूत वापस आएगा, क्योंकि उसी की वजह से नृत्यक की मौत हुई थी और मरने के बाद वो ‘स्त्री’ बनी थी।

वो सर्कटा भूत अपने जीवन काल में चंदेरी गांव का राजा हुआ करता था। और उस राजा का स्मृतिकी के साथ क्या सम्बन्ध था? जानने के लिए इस कहानी का अगला पार्ट जरूर देखें।


दोस्तो ये Horror Story आपको कैसी लगी, नीचे Comment में हमें जरूर बताइएगा। कहानी को पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया!


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