जेठानी बनी सौतन | Jethani Bani Sautan | Saas Bahu Story | Family Stories | Moral Stories in Hindi

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” जेठानी बनी सौतन ” यह एक Family Story है। अगर आपको Hindi Stories, Family Stories या Saas Bahu Kahaniyan पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।


प्रभा देवी के दो बेटे थे, जिसमें से बड़ा बेटा विनोद और छोटा बेटा मोहित था।

प्रभा देवी की बड़ी बहू चांदनी, एक मॉडर्न और छरहरी काया वाली सुंदर लड़की थी, तो वहीं मोहित की पत्नी काजल गरीब घर की सांवली सूरत वाली लड़की थी।

काजल अपने परिवार की जिम्मेदारियों को भली भांति निभाती थी, जबकि चांदनी का सारा ध्यान सिर्फ अपने मेकअप और फिगर को बनाने में ही रहता था।

एक रोज़…

काजल, “ये लीजिए मम्मी जी, आपकी मनपसंद अदरक, लोंग, इलायची वाली चाय।”

प्रभा देवी, “छोटी बहू, तू हम सभी की जरूरतों का कितना ख्याल रखती है? अरे! ज़रा अपने शरीर को आराम भी दिया कर।

सुबह पहली किरण के साथ उठती है और सारा दिन घर के कामकाज ही निपटाती रहती है।

अरे! थोड़ा कष्ट अपनी जेठानी को भी उठाने दिया कर और उसे भी कुछ जिम्मेदारियां निभाने दिया कर। वैसे है कहाँ वो?”

काजल, “माँजी, जेठानी जी तो अभी सो रही हैं। और पूजा-पाठ करने के बाद आपको चाय चाहिए होती है, इसलिए मैंने ही बना दी।”

प्रभा देवी, “जन्मदिन की ढेरों मुबारकबाद छोटी बहू! अब आज के दिन तो इस घर-गृहस्थी से छुट्टी ले और अपने पति के साथ कहीं बाहर घूम आ।”

काजल, “शुक्रिया माँजी!”

अपनी सास के पांव छूकर काजल खुश होकर अपने कमरे में चली जाती है। तभी प्रभा देवी भगवान का शुक्रियादा करते हुए कहती है,

प्रभा देवी, “तेरा लाख लाख शुक्र है भगवान! जो तूने मेरी झोली में काजल नाम के इस हीरे को डाला है।

तुने मेरे बुझे घर में चंदा का प्रकाश भेजा है छोटी बहू के रूप में, जिसकी रौशनी पूरे घर में फैली हुई है।

बस मेरी यही दुआ है तुझसे कि इसके जीवन में कभी अंधेरा ना आए।

मोहित और काजल का रिश्ता सदा सलामत रहे और इनके बीच कभी कोई खटास ना आए।”

पीछे खड़ी चांदनी उनकी सारी बातें सुन रही होती है और अपने मन में हँसते हुए कहती है,

चांदनी, “जितनी दुआएं देनी हैं, इसे दे लो सासुमा। भले ही ये सारे घर में प्रकाश फैलाए, लेकिन इसकी खुद की जिंदगी में तो अंधेरा ही होगा,

क्योंकि इसके चाँद के चाँदनी तो मैं हूँ। मोहित तो आखिरकार मुझ पर ही लट्टू है।”

उधर काजल अपने कमरे में मोहित से कहती है,

काजल, “मोहित, आप आज के दिन भी ऑफिस जा रहे हैं?”

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मोहित, “क्यों, आज क्या दिवाली है, जो घर पर बैठ कर पूजा करूं तुम्हारी? या तुमसे शाहरुख खान की तरह रोमांटिक बातें करूं?

जस्ट लुक ऐट यू, काली तो तुम थी ही, अब तो तुम मोटी और भद्दी भी हो गई हो। पता नहीं मेरी किस्मत खराब थी जो ऐसे बीवी मेरे पल्ले पड़ गई।”

अपने जन्मदिन पर पति के मुँह से बधाई की जगह बेइज्जती की बातें सुनकर काजल दुखी हो जाती है,

तो वहीं दरवाजे के बाहर खड़ी चांदनी यह सब सुनकर खुश हो जाती है और मन में सोचती है,

चांदनी, “अरे वाह! मेरी काली देवरानी के जन्मदिन की ऐसी शुरुआत..? सचमुच सुनकर मज़ा ही आ गया। अब यही सही समय है आग में घी डालने का।”

चांदनी उनके कमरे में जाती है और कहती है,

चांदनी, “अरे! क्या हुआ मेरे हैंडसम देवर जी? क्यों मेरी सांवली-सलोनी देवरानी पर भड़क रहे हैं?”

मोहित, “ज़रा कुछ सीखो मेरी भाभी से, शादी के इतने वक्त बाद भी इन्होंने अपने फिगर को कितने अच्छे से मेंटेन करके रखा है?”

काजल, “मोहित, शायद आप भूल रहे हैं कि मैं एक बच्चे की माँ हूँ और माँ बनने के बाद एक औरत के शरीर में परिवर्तन आते हैं।

उसकी त्वचा और शरीर में फर्क पड़ जाता है। मैं एक पत्नी होने के साथ-साथ माँ भी हूँ, जबकि जेठानी जी अभी माँ के सुख से वंचित हैं।”

यह बात सुनकर चांदनी गुस्से में वहाँ से चली जाती है। मोहित भी बैग उठाकर ऑफिस के लिए निकलने लगता है।

तभी उसका बेटा बंटी स्कूल के लिए तैयार होकर आता है और मोहित से कहता है,

बंटी, “पापा, आज मेरी स्कूल वैन नहीं आई। क्या आप मुझे ऑफिस जाते हुए स्कूल ड्रॉप कर देंगे, प्लीज़?”

मोहित, “बस माँ की तरह बेटा भी मुझे बस परेशानी देने आता है। मुझसे ये सब चोंचलेबाजी नहीं होती। चल अब भाग यहाँ से।”

इसी तरह मोहित अपने बेटे को झिड़कते हुए वहाँ से चला जाता है। बंटी रोते हुए अपनी माँ से कहता है,

बंटी, “माँ, सभी के पापा उन्हें स्कूल छोड़ने जाते हैं। फिर मेरे पापा कभी मुझे छोड़ने क्यों नहीं जाते? और वो हमेशा ही हम दोनों से गुस्से में बात क्यों करते हैं?”

काजल, “नहीं बच्चे, पापा को ऑफिस के लिए देर हो रही थी ना? इसलिए वो थोड़े गुस्से में थे। चलो, मैं तुम्हें स्कूल ड्रॉप कराती हूँ।”

ऐसे ही कुछ दिन बीत जाते हैं। एक रोज़, जब काजल बाजार से सब्जी लेकर घर आ रही होती है,

तो वह चांदनी और मोहित को हाथों में हाथ डाले होटल से बाहर निकलते हुए देख लेती है।

यह दृश्य देखकर काजल हैरान रह जाती है और उसके मन में हजारों सवाल उमड़ पड़ते हैं।

काजल (सोचते हुए), “ये दोनों होटल में एक साथ? कहीं इन दोनों के बीच कुछ गलत..? नहीं नहीं, मैं बेकार में ये सब बातें सोच रही हूँ।

देवर-भाभी के बीच तो माँ-बेटे का रिश्ता होता है। बिना किसी सबूत के कोई लांछन लगाना गलत होगा।”

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इसी कसमकश में काजल घर पहुँच जाती है, लेकिन दिन भर उसके मन में यही कश्मकश चलती रहती है।

रात को जब काजल अपने कमरे में सो रही होती है, तो आधी रात को बंटी को प्यास लगती है और वह काजल से पानी मांगता है।

काजल उठकर किचन में पानी लेने जाती है। तभी उसे चांदनी के कमरे से किसी के हंसने की आवाज़ आती है।

काजल, “अरे! जेठ जी की तो आज नाइट शिफ्ट है, फिर ये जेठानी जी के कमरे से किसकी आवाज आ रही है?”

काजल खिड़की से झाँक कर देखती है, तो वह नज़ारा देखकर दंग रह जाती है।

कमरे में चांदनी और मोहित एक-दूसरे की बाहों में बाहें डाले बिस्तर पर लेटे हुए होते हैं। मोहित चांदनी से कहता है,

मोहित, “सच कहूं चांदनी, तुम्हारे साथ ये रात सचमुच कयामत की रात लग रही है।”

चांदनी, “अब बातें बनाना बंद भी करो, स्वीटहार्ट। और ये बताओ कि कब तक हमें यूँ ही दुनिया से छुपते-छुपाते मिलना होगा?

भगवान ने हमारी शादी दो अलग-अलग लोगों से करवा दी और वो भी बिना हमारे टाइप के लोगों से।

तुम तो बिल्कुल मेरे टाइप के हो—हैंडसम एंड डेयरिंग देवर। इसीलिए मैं तुम्हारे भैया को बिल्कुल भी भाव नहीं देती।”

मोहित, “जानता हूँ, जानेमन। अब मुझे जाना होगा। कहीं काजल की आँख खुल गई तो मुश्किल हो जाएगी।”

मोहित जैसे ही बाहर जाने के लिए दरवाजा खोलता है, काजल वहाँ खड़ी होती है।

काजल, “बिल्कुल भी शर्म नहीं है तुम दोनों में? देवर-भाभी के पाक रिश्ते को कलंक लगा दिया तुमने। मैंने ये कभी नहीं सोचा था कि मेरी जेठानी मेरी सौतन बनेगी।”

चांदनी, “ओह! तो तुमने सब कुछ देख लिया? चलो अच्छा है, आज नहीं तो कल सच तुम्हारे सामने आना ही था।”

काजल, “हाँ, और अब यही सच्चाई मैं दुनिया के सामने लाकर रहूंगी। बहुत धोखा दे लिया तुमने हम सबको।”

चांदनी, “खबरदार, जो तुमने ऐसा कुछ सोचा भी! वरना तुम्हारे बंटी को इस दुनिया से रुखसत होने में देर नहीं लगेगी।”

काजल, “मोहित, ये औरत तुम्हारे सामने तुम्हारे बच्चे को जान से मारने की धमकी दे रही है और तुम चुपचाप तमाशा देख रहे हो?”

मोहित, “अरे! कौन बच्चा? किसका बच्चा? तुम और बंटी तो बस मेरी एक भूल हो।

तुम दोनों जियो या मरो, इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता, समझी?”

इस तरह उन दोनों की मिली धमकी से काजल अपने बच्चे को खोने से डर जाती है और वह अपना मुँह बंद रखकर सब कुछ चुपचाप सहती रहती है।

इसका नतीजा यह होता है कि देवर-भाभी की हवस को शह मिल जाती है और अब वे एक-दूसरे के साथ और ज्यादा समय बिताते हैं।

एक रोज़ बंटी अपनी माँ से पूछता है।

बंटी, “माँ, आजकल आप इतनी उदास और खोई-खोई क्यों रहती हो? पापा ने आपसे कुछ कहा क्या?”

काजल, “नहीं मेरे बच्चे, वो मेरी तबियत ठीक नहीं है ना, इसलिए। तू जा, बाहर जाकर खेल।”

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बंटी बाहर खेलने चला जाता है। तभी काजल की सास उसके कमरे में आती है और उससे कहती है।

प्रभा देवी, “क्या बात है बहू, तेरे और मोहित के बीच सब कुछ ठीक तो है ना? आज जो बात तुमसे बंटी ने पूछी, वो मैं भी कई दिनों से पूछना चाह रही थी।

आजकल तुम हर वक्त खोई-खोई सी क्यों रहती हो? पता नहीं क्यों, लेकिन तेरा उदास चेहरा देखकर ऐसा लगता है कि जैसे कोई नौतन तुझे ढा रही हो।

अगर ऐसा कुछ है, तो एक बात हमेशा याद रखना। विश्वास से भरी पत्नी अगर चाहे, तो यमराज से भी अपने पति के प्राण वापस ला सकती है। फिर एक औरत से क्या डरना?”

यह कहकर उसकी सास वहाँ से चली जाती है। लेकिन उसकी बातों ने मानो काजल में एक नई शक्ति भर दी थी।

वह बिना देर किए अपने जेठ विनोद के पास जाती है और उसे सारी सच्चाई बता देती है।

विनोद, “काजल, तुम होश में तो हो? अपनी जेठानी के बारे में ऐसी बातें करते हुए तुम्हें शर्म नहीं आती?”

काजल, “जेठ जी, मुझे बस आज रात का समय दीजिए। आज रात जेठानी जी की सच्चाई आपके सामने होगी।”

इसके बाद विनोद के साथ मिलकर काजल एक प्लान बनाती है। काजल मोहित के फोन से चांदनी को मैसेज करती है और उसे अकेले में मिलने के लिए छत पर बुलाती है।

कुछ देर बाद चांदनी छत पर जाती है और पीछे से जाकर मोहित के गले से लिपट जाती है। वह कहती है।

चांदनी, “क्या हुआ मेरे हैंडसम देवर जी? आंधी रात तक सब्र नहीं हुआ, जो मुझे छत पर ही बुला लिया?

चलो अच्छा है, रोज़-रोज़ चारदीवारी में रोमांस करते-करते मैं भी बोर हो गई थी। आज खुले आसमान के नीचे रोमांस करने में मज़ा आएगा।

अब कुछ कहोगे भी, या यूँ ही पीठ घुमाए खड़े रहोगे? चलो, अब मुझे जल्दी से अपनी बाहों में भर लो।”

जैसे ही वह यह कहती है, मोहित के कपड़े पहने खड़ा विनोद उसे जोरदार थप्पड़ मारता है। इसी के साथ छत की लाइट जल उठती है और सभी वहाँ आ जाते हैं।

चांदनी, “विनोद, तुम..?”

विनोद, “हाँ, मैं। इतने दिनों से तुम मुझे धोखा दे रही थी, मुझे बेवकूफ बना रही थी।”

विनोद, “और तुम मोहित… अपने ही भाई की पीठ पर छुरा घोंप दिया तुमने। अगर आज काजल मुझे तुम्हारी सच्चाई नहीं बताती,

तो यह घिनौना सच कभी मेरे सामने नहीं आता। आज के बाद तुम दोनों से मेरे सारे रिश्ते खत्म।”

चांदनी, “नहीं विनोद, ऐसा मत कहो। मुझसे रिश्ता मत तोड़ो। मुझसे भूल हो गई।”

विनोद, “अपनी अय्याशी को भूल का नाम मत दो, समझी? अब निकल जाओ मेरे घर से।”

मोहित, “काजल, तुम तो मुझे समझो। आखिरकार मैं तुम्हारे बच्चे का बाप हूँ। तुम्हें हमारे बच्चे का वास्ता।”

काजल, “जिस बच्चे को मौत के घाट उतारने की बात कह रहे थे ,आप आज उसी का वास्ता दे रहे हो?”

मोहित, “बंटी बेटा, अपने पापा के पास आओ।”

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बंटी, “दूर रहो मुझसे। आपने मेरी माँ का दिल दुखाया है, उन्हें धोखा दिया है। चले जाओ हम दोनों की जिंदगी से।”

मोहित, ” मां, मैं तो आपका बेटा हूँ, आप तो मुझे माफ करेंगी, ना?”

प्रभा देवी, “अपना ये मनहूस चेहरा लेकर निकल जाओ मेरे घर से। अरे! तू मेरा बेटा नहीं, बल्कि मेरी कोख से जन्मा कलंक है, कलंक।”

इस तरह चांदनी और मोहित की हवस के कारण चार जिंदगियां बिखर जाती हैं। कुछ साल बीत जाने के बाद विनोद और काजल बंटी को माता-पिता का प्यार देने के लिए एक-दूसरे से शादी कर लेते हैं।

वहीं मोहित और चांदनी जेल में सड़ते हुए अपने आगे की जिंदगी काटते हैं।


दोस्तो ये Family Story आपको कैसी लगी, नीचे Comment में हमें जरूर बताइएगा। कहानी को पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया!


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