हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” असुर ” यह एक Darawani Kahani है। अगर आपको Horror Stories, Bhutiya Stories या Real Haunted Stories पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
शहर से दूर हाइवे के किनारे बने इस क्लब की चर्चा दूर-दूर तक फैली है, जिसके बारे में लोग बस इतना जानते हैं कि यहाँ लोग भगवान की भक्ति में लीन हो झूमते रहते हैं।
खासकर विदेश से आए फिरंगी। पर अब तक किसी को इसके अंदर की सच्चाई के बारे में भनक नहीं थी कि यहाँ क्या-क्या होता है?
ये पूछिए कि क्या-क्या नहीं होता? लोग अंदर झूमते तो हैं भगवान के रीमिक्स गाने पर, लेकिन हरकतें राक्षसों वाली होती हैं।
यह क्लब इस शहर का नहीं, बल्कि राज्य का वो अड्डा बन गया था, जहाँ खुलेआम जुआ, बाज़ी, नशाखोरी, ड्रग्स डीलिंग और यहाँ तक की जिस्मफरोशी भी होती है।
इन सभी चीजों के पीछे जो शख्स है, उसे लोग “असुर” के नाम से जानते हैं। अब असुर उसका असली नाम नहीं है,
पर वो चाहता है कि लोग उसे एक असुरी समझें, जो पल भर में ज़िंदा को मुर्दा कर देता है।
लोग असुर के क्लब में चुपचाप आते मज़े करते और अपने हिस्से का पैसा लेकर वापस चलते थे। जो ज्यादा चूँ-चपड़ करता, असुर उसकी बोलती बंद कर देता।
असुर सिर्फ गुनाहों का देवता ही नहीं, बल्कि एक तपा हुआ साधक भी है जिसने कड़ी साधना कर किसी से ना परास्त होने की सिद्धि हासिल की है।
वो चाहता है कि एक दिन पूरे जहाँ पर उसका सिक्का चले, क्योंकि ये कलयुग है, जहाँ पैसा बोलता है।
इसीलिए वो हर उस धंधे में घुसा पड़ा है, जहाँ से वह पैसे बटोर सके। साथ ही खुद को और सक्षम बनाने के लिए वो रोज़ साधना भी करता है।
अपने क्लब की एक सीक्रेट रूम में, जहाँ उसने एक बड़ी सी राक्षसी प्रतिमा बना रखी थी और उसके आगे शाष्टांग खड़ा हो मंत्रों के बुदबुदाने लगा
और फिर अपनी आँखों को बंद कर किसी अनजान शक्ति का आह्वान करने लगा।
जिसके बाद प्रतिमा की आँखों की चमक लाल होने लगी, और उसके चारों तरफ से काले साये निकलकर असुर का चक्कर काटने लगे।
असुर ज़ोर-ज़ोर से चीख कर कहने लगा, “चामुंडा चामुंडा, आ मुझमें समा जा। चामुंडा चामुंडा,आ मुझमें समा जा!”
असुर के चीखते ही प्रतिमा के पीछे की रौशनी तेज़ होने लगी और घूम रहे सभी काले साये असुर के शरीर में प्रवेश कर गए।
इसके बाद उसके चेहरे पर एक अजीब तेज़ आ गया और उसकी आँखें दबदबा कर लाल हो गईं।
असुर ने सामने से कुमकुम की थाल उठाई और उसे प्रतिमा पर अर्पित कर दिया। तभी कोई झटके से दरवाजा खोलता हुआ अंदर आया, और उसके साथ दो राइफल धारी गार्ड भी।
असुर, “तू इस तरह से अपनी मनमानी नहीं चला सकता। अरे! तुझे मैंने सड़क के गुंडे से शहर का राजा बनाया और अब तू चाहता है कि मैं तुझे गद्दी दे दूँ?
ये मत भूल कि सीएम की ये गद्दी तुझे मेरी बदौलत ही मिली थी। वक्त आ गया है वापस लौटाने का, तो प्यार से दे दे।
आगे भी तुझे राजा बनाकर रखूँगा। वरना तुम्हे मेरी शक्तियां का अंदाजा नहीं है। “
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सीएम, “एक सीएम के सामने क्या है रे तेरी शक्ति? मेरे इशारे पर ये दोनों तुझे यहीं गोलियों से छलनी कर देंगे और तुझ जैसे गुंडे को कोई पूछने वाला भी नहीं होगा, समझा?
अबे! खुद को असुर कहने से कुछ नहीं होता। असली पावर गद्दी में होती है, इसीलिए धमकी मत दे मुझे।”
सीएम ने इतना कहा ही था कि असुर ने उसका गला पकड़ा और उसे दीवार की तरफ फेंक दिया।
और ताज्जुब की बात यह थी कि इतना होने के बाद भी सीएम के बॉडीगार्ड्स ने सीएम को बचाने की कोशिश तक नहीं की और न ही असुर पर हमला किया।
और जब सीएम ने उन्हें मारने का ऑर्डर दिया, तो वे दोनों उल्टे सीएम की तरफ ही बढ़ने लगे।
उसके पास पहुँचकर दोनों ने एक-दूसरे को ही गोलियों से भून दिया। पर क्यों..? ये सीएम की समझ से भी परे था।”
तभी सीएम की नजर असुर के कुटिल मुस्कान वाले चेहरे पर गई, जो उसकी तरफ आ रहा था।
असुर, “पता चल गया ना तुझे कि शक्ति सीएम की ज्यादा है या असुर की? फिर भी मुझे सीएम बनना है ताकि सिर्फ ये शहर ही नहीं,
बल्कि पूरा राज्य मुझे राजा समझे। असुर हूँ मैं, असुर। जो भी मुझसे टकराएगा, उसका सर्वनाश तय है।”
असुर का यह विकराल रूप देख सीएम की हालत किसी शेर के चंगुल में फंसे मेमने की तरह हो गई थी।
फिर भी उसने हिम्मत नहीं हारी और अपने खून से लथपथ चेहरे को पोंछते हुए कहा, “महिषासुर को भी यही लगता था कि उसे कोई मार नहीं सकता,
पर देवी दुर्गा ने अवतार लिया और उस राक्षस का संहार किया। असुर, मैं तो चला जाऊंगा। पर एक बात हमेशा याद रखना,
बुरे कर्मों का फल इसी ज़िन्दगी में भुगतना होता है। मैं तो भुगत रहा हूँ, तेरी बारी भी आएगी।”
असुर, “अबे सीएम! कलयुग की यही तो खास बात है। यहाँ सभी बुरे कर्म करने वाले भरे पड़े हैं। कोई देवता नहीं है।
अच्छा रुक, तुझे मैं एक देवी से मिलवाता हूँ। देख रहा है ना सीएम, इसका नाम देवी है और कर्म असुर वाले हैं।”
असुर यह बातें एक लड़की को देखते हुए कहता है, जो देखने में अच्छे घर की लगती थी, लेकिन हालत किसी नशेड़ी की तरह थी… शॉर्ट जीन्स, ढीली ढाली टी-शर्टऔर आँखों में नशे का सुरूर।
फिर भी भगवान का नाम लेकर क्लब में झूम रही थी। असुर के एक इशारे पर देवी ने माल नीचे फेंका और सीएम का कॉलर पकड़ते हुए उसे कमरे से बाहर खींच पब में ले गई,
जहाँ फिरंगी से लेकर कई अमीरजादों की औलादें नशे में चूर झूम रहे थे। वहाँ पहुँच कर देवी सीएम के कान में कहती है, “मज़े कर, या फिर निकल जा,
पर असुर के रास्ते में मत आना क्योंकि मैं हूँ यहाँ रास्ते का हर काँटा साफ़ करने के लिए।”
इतना कहते ही देवी ने सीएम को झटक दिया और असुर के कमरे में जाकर दरवाजा बंद कर लिया।
असुर की शक्तियां का जान सीएम की हालत ऐसी हो रही थी जैसे उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही हो।
वो थरथराते हुए वहीं कोने में गिर गया और ज़ोर ज़ोर से हांफने लगा। उसके सामने नशे में झूम रहे लोग अब उसे ऐसे देखने लगे,
जैसे वो सभी इंसान नहीं बल्कि अजीब शक्तियां से भरा हुआ राक्षस हों और उसे मारने के इरादे से उसकी तरफ बढ़ रहे थे।
देखते ही देखते उन सभी लोगों ने सी एम को घेर लिया, और उसे डराने लगे। जिसके बाद सी एम की हालत ऐसी हो गई कि उसे अपना अस्थमा पंप निकालना पड़ गया,
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जो हड़बड़ाहट में उसके हाथ से छूट उन राक्षसों के बीच कहीं खो गया। सीएम अपनी फूलती सांसों के साथ उन सभी के बीच लोटपोट होकर ढूंढने लगा,
पर तभी किसी ने पीछे से उसके कंधे को पकड़ के अपनी तरफ खींचते हुए उसे कोने में ले गया और उसके मुँह में अस्थमा पंप लगा दिया।
एक-दो सांसों के बाद सीएम का हांफना थोड़ा कम हुआ और उसे वहाँ सभी चीजें पहले ही तरह नॉर्मल दिखने लगीं, पर उसका सिर अब भी चकरा रहा था।
तभी एसीपी कबीर ने सीएम से कहा, “सर… चलिए सर, यहाँ से बाहर निकलते हैं।”
सीएम को वहाँ से बाहर निकाल कबीर उनको कार में ले गया और उसने कहा, “सर, छोटा मुँह बड़ी बात, पर आज जो आपकी हालत है, उसकी वजह आप खुद हैं।
आपके साये तले सड़क का बंटी ‘असुर’ बना बैठा है, पर अब और नहीं। बहुत जल्द हम उसे खत्म कर देंगे सर।
मेरी एक अंडरकवर एजेंट अंदर है उसके साथ। मौका देखते ही वो उसे खत्म कर देगी।”
सीएम, “इतना आसान नहीं है उसे मारना। वो अब सिर्फ एक गुंडा नहीं, एक मायावी इंसान बन गया है। अद्भुत शक्ति आयी है उसमें।
उसे उसके ही घर में मारना आसान नहीं होगा, पर एक रास्ता है। कबीर, मैं जा रहा हूँ वहाँ चलो मेरे साथ, अभी।”
सीएम के कहते ही कबीर उसके साथ चलने लगा। दोनों पहाड़ी के ऊपर एक गुफा में पहुँच गए, जहाँ एक तपस्वी बैठा हुआ था। वहाँ पहुँचते ही सी एम ने जैसे ही हाथ जोड़े।
तपस्वी कहने लगा, “इस कलयुग में सभी राक्षस हैं और सबको मरना है। और उसका विनाश भी तय है, फिर चाहे वो असुर ही क्यों ना हो, बच्चे?
जो भय से ना डरे, उसे छल से मारो। पर उसके ही घर में उसे मारना नामुमकिन है, तुम्हें उसे बाहर निकालना होगा।”
इतना कहते ही तपस्वी वापस अपने ध्यान में चला गया। फिर सीएम और कबीर उठकर बाहर अपनी गाड़ी में आ गए।
फिर सीएम ने असुर को राज्य के मुख्यमंत्री की गद्दी का लालच देकर उसे उसके ही घर से बाहर निकालने में सफल हो गया।
उसने असुर को शहर से दूर अपने फार्महाउस पर बुलाया, ये कहकर कि वो उसे अपने बाकी सदस्यों से मिलवाना चाहता है।
और सदस्यों के नाम पर सीएम ने नेता के रूप में अपने अंडरकवर ऑफिसर को तैयार रखा था, ताकि वो असुर को खत्म कर सके।
सब कुछ सेट था। सीएम का पूरा विश्वास था कि आज वो असुर नाम के राक्षस को खत्म कर देगा। सब कुछ सेट था, इंतजार था असुर का।
तभी कबीर ने इशारा किया कि असुर पहुँचने वाला है। और फिर सीएम के इशारे पर सभी ने अपने पिस्तौल को तैयार करके छुपा लिया।
अगले ही पल एक चमचमाती काली विंटेज कार फार्महाउस के अंदर घुसी और सीएम के पास आकर रुक गई।
चारों तरफ नेताओं के वेश में ऑफिसर तैयार थे और असुर अंजान और बेखौफ़ होकर बाहर निकला। दूसरी तरफ देवी भी हाथ में लाल कपड़े से ढके थाल लिए बाहर निकली।
असुर सी एम के पास पहुँच मुस्कुराते हुए हाथ जोड़ता है। फिर असुर ने देवी को इशारा किया और वो थाल लेकर आगे बढ़ गई।
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फिर जैसे ही सी एम ने पूछा कि इसमें क्या है? वैसे ही देवी ने उसके ऊपर से लाल कपड़ा हटा दिया,
जिससे कबीर के होश उड़ गए, क्योंकि उस थाल में उसके अंडरकवर एजेंट का कटा हुआ सिर था।
सीएम समझ गया कि असुर जान चुका है उसके षड्यंत्र के बारे में। इसी लिए उसने तुरंत इशारा किया और देखते ही देखते वहाँ मौजूद सारे अंडरकवर ऑफिसर की पिस्तौल असुर पर तन गयीं, जिसे देख असुर जोर से हंसने लगा और अपने दोनों हाथों को ऊपर कर चीखने लगा।
उसके हाथ से एक अद्भुत शक्ति निकलने लगी, जिसने आसमान में काले बवंडर का रूप ले लिया।
फिर उसने जैसे ही अपने हाथों को नीचे किया, बादल जोर से गरजने लगे,व और देखते ही देखते सभी ऑफिसर की गर्दन मुड़ गई और उन्होंने एक दूसरे पर गोली चलानी शुरू की।
सारे बॉडीगार्ड मारे गए। फिर असुर के सामने बचे सीएम और कबीर, जिस पर असुर ने भी अपनी शक्तियों का कहर बरसाना शुरू कर दिया।
असुर, “तुझे क्या लगा सीएम, तू आसानी से मुझे बाहर लाके मार देगा? असुर हूँ मैं असुर, यूं ही नहीं मरूँगा। अब तू देख मैं क्या करता हूँ?”
इतना कहते ही असुर घुटने के बल बैठ मंत्र बुदबुदाने लगा और ध्यान में खोने लगा। जिसके असर से सीएम और कबीर जमीन से ऊपर हवा में उड़ने लगे।
उनका शरीर ऐसे अकड़ने लगा था मानो जैसे कोई उसे जकड़ रहा हो। असुर की शक्तियाँ इतनी प्रबल हो रही थीं कि आसपास का माहौल ध्वस्त होने लगा।
तभी देवी गाड़ी से एक तलवार निकालकर आगे बढ़ने लगी। उसके हर कदम के साथ उसका तेज बढ़ता जा रहा था।
उस वक्त उसके स्वरूप में एक ऐसा तेज़ उभर रहा था जैसे खुद माँ दुर्गा राक्षस का वध करने आ रही है, पर दुर्भाग्य से वह थी असुर के साथ।
वो साथ थी, लेकिन उसका साथ देने के लिए नहीं, बल्कि उसका नरसंहार करने के लिए।
क्योंकि असुर की वजह से ही देवी जिसका असली नाम अंबिका था, उसके भाई की नशे की लत के कारण जान चली गई थी।
इसीलिए उसने खुद को न्यौछावर कर पहले असुर का विश्वास जीता और फिर उसे तलाश थी एक सही मौके की जिसमें वो असुर का नरसंहार कर सके, जिसने उसके परिवार के चिराग को बुझा दिया।
इसीलिए उसने बिना देरी किए एक झटके में असुर का सिर धड़ से अलग कर दिया और और बुराई का अंत किया।
असुर के अंत के साथ ही उसका वह अड्डा भी बंद हो गया, जहाँ सभी धर्म का ढोंग किया जाता था।
अंबिका थी तो कलयुग की, लेकिन असल में वो कलयुग की देवी थी, जिसने असुर का अंत कर शहर और राज्य को बर्बाद होने से बचा लिया था
दोस्तो ये Horror Story आपको कैसी लगी, नीचे Comment में हमें जरूर बताइएगा। कहानी को पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया!