गधे का नया जन्म | Gadhe Ka Naya Janm | Animal Story | Janwaro Ki Kahani | Jungle Stories

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” गधे का नया जन्म ” यह एक Animal Story है। अगर आपको Hindi Stories, Jungle Stories या Janwaro Ki Kahaniyan पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।


धोबी, “रज्जो, आजकल लोग हमारे काम और तेरी मेहनत की बहुत तारीफ कर रहे हैं। ये देख, आज हमें 10 घरों से और भी कपड़े मिले हैं।

इन्हें भी आज ही धोकर वापस करने हैं। चल, जल्दी नदी चलते हैं और काम निपटाते हैं। ये ले, अब चल रज्जो।”

धोबी, “रज्जो, मैंने सोचा है तू भी मेरे साथ इतनी मेहनत करता है। अब काम बड़ा है तो तेरे हिस्से में भी तो कुछ मिलना चाहिए।

अब से मैं तेरे लिए बाजरे और मकई भी लाऊंगा ताकि तू फिट रहे और मेहनत कर सके।”

धोबी और उसका गधा रज्जो धूप में चलते हुए नदी की ओर जा रहे थे। धोबी रास्ते भर रज्जो से बातें कर रहा था। जबकि धूप बहुत तेज थी और दोनों गर्मी से बेहाल थे।

रज्जो, “आज इस धोबी ने मेरी पीठ पर इतने सारे कपड़े ला दिए हैं। अगर दो चार कपड़े कम कर देता तो तेरा क्या बिगड़ जाता?

मेरी उम्र का थोड़ा तो ध्यान कर लेता, पर ये बात उसे कैसे समझाऊं? मेरी भाषा तो समझता नहीं।”

धोबी, “क्या सोच रहा है, रज्जो? आज धूप बहुत तेज है। अगर थक गया है तो थोड़ा आराम कर ले, फिर चलते हैं। चल, आ जा।”

धोबी ने गठरी को नीचे उतार दिया ताकि रज्जो थोड़ा आराम कर सके।

धोबी, “रज्जो, एक तू ही तो है मेरा साथी, जो मेरे हर काम में मेरा साथ देता है। मैं जानता हूं रज्जो, तेरी उम्र ढल चुकी है।

अब तुझ में पहले जैसी ताकत नहीं रही। फिर भी तू मेरे लिए जी जान से मेहनत करता है। लेकिन तू घबराना मत।

इस बार मेले से मैं तेरे लिए नया साथी लाऊंगा। फिर तुझे थोड़ा आराम मिलेगा।

अब चल, थोड़ी दूर और रह गई है। जल्दी काम खत्म करके आज तेरे मनपसंद का खाना खिलाऊंगा। चल, आजा।”

धोबी गधे की पीठ पर फिर से कपड़े का गट्ठर लाद देता है और दोनों नदी की ओर चलने लगते हैं।

रज्जो, “हे भगवान! इस धूप में तो आज मैं झुलस ही जाऊंगा। अब तो प्यास से गला भी सूखने लगा है।”

तभी अचानक चलते-चलते गधे का पैर फिसल गया और वह लड़खड़ाते हुए बगल के गड्ढे में गिर जाता है।

रज्जो, “मालिक… मालिक, मुझे बचाओ। मालिक बचाओ, मैं गड्ढे में गिर गया।”

धोबी, “अरे रज्जो! तू इस गड्ढे में कैसे गिर गए? ला अपनी गर्दन आगे कर, मैं तुझे अभी निकालता हूँ।”

धोबी बहुत कोशिश करता है, परंतु गड्ढा गहरा होने की वजह से उसके हाथ गधे तक नहीं पहुँचते। काफी कोशिश करने के बाद वह परेशान हो जाता है।

रज्जो, “ये सब मेरी गलती है, रज्जो। अगर मैंने इतने सारे कपड़े नहीं लादे होते तो तू इस गड्ढे में नहीं गिरता। घबरा मत रज्जो, मैं अभी कुछ करता हूँ।”

धोबी, “अरे! कोई है इधर, जो मेरी मदद कर सके? अगर कोई सुन रहा है तो आ जाओ भाई, मेरी मदद करो।”

इस तरह से धोबी ने अपनी सहायता के लिए आवाज़ लगानी शुरू की। धोबी की आवाज़ सुनकर बगल के खेतों में काम कर रहे दो किसान उसके पास आ गए।

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पहला किसान, “क्या हुआ भाई, क्यों चिल्ला रहे हो?”

धोबी, “भाई, मेरा गधा इस गड्ढे में गिर गया है। तुम भले आदमी मालूम पड़ते हो, इसे निकालने में मेरी मदद करो।”

पहला किसान, “तुम चिंता मत करो, धीरज रखो। हम इसे बाहर निकालने की कोशिश करते हैं।”

दोनों किसानों ने गड्ढे में हाथ बढ़ाया, पर उनके हाथ गधे तक नहीं पहुँच पाए। थक हार कर वे धोबी से बोले,

दूसरा किसान, “भाई, हमने कोशिश तो बहुत की, पर गड्ढा काफी गहरा है। अब इसे निकालना मुश्किल है।

वैसे भी ये गधा बूढ़ा हो चुका है और अब किसी काम का नहीं है। इसे निकालने से कोई फायदा नहीं। मेरी मानो तो इसे इसी गड्ढे में मिट्टी डालकर दफना देते हैं।”

धोबी, “नहीं नहीं भाई, ये मेरा गधा है। मुझे इससे बहुत प्यार है। इसे जिंदा दफन कैसे कर सकता हूँ?

और कोई रास्ता है तो बताओ, जिससे इसे निकाला जा सके?”

पहला किसान, “देखो भाई, मैं समझ सकता हूँ कि तुम्हें इस गधे से बहुत प्रेम है, पर इसके अलावा हमारे पास कोई और रास्ता नहीं है। इसे ऐसे ही मरने देने से बेहतर है कि इसे दफनाकर मुक्ति दे दो।”

पहले तो धोबी तैयार नहीं हुआ, पर किसानों के समझाने पर वह मान गया।

धोबी, “तुम लोग ठीक ही कह रहे हो। जंगली जानवर का शिकार होने से इसे दफनाना ही ठीक रहेगा।

तुम लोग अपने-अपने फावड़े से मिट्टी डालने में मेरी मदद करो।”

दोनों किसान अपने फावड़े से जल्दी-जल्दी गड्ढे में मिट्टी डालने लगते हैं।

रज्जो, “अरे! ये लोग मुझे इस गड्ढे से निकालने के बजाए मेरे ऊपर मिट्टी क्यों डाल रहे हैं? कहीं ये लोग मुझे यहीं दफनाने का इरादा तो नहीं कर रहे हैं?”

गधे को अहसास हो गया कि उसे दफनाया जा रहा है। उसकी आँखों में आँसू आ गए और वह चिल्लाने लगा। कुछ देर तक चिल्लाने के बाद गधे ने अचानक चिल्लाना बंद कर दिया।

धोबी, “ये गधा अचानक चिल्लाना बंद क्यों कर दिया? ज़रा देखूं, क्या बात है?”

धोबी ने गड्ढे में झांका तो वह गधे को देख कर हैरान रह गया। गधा अजीब हरकत कर रहा था।

जैसे ही उसकी पीठ पर मिट्टी गिरती, वह अपनी पीठ हिला कर मिट्टी नीचे गिरा देता और खुद उस मिट्टी पर चढ़कर ऊपर आ जाता। यह प्रक्रिया लगातार चलती रही।

जैसे ही गधे की पीठ पर मिट्टी डाली जाती, वह उसे हिलाकर नीचे गिरा देता और खुद उस पर चढ़ जाता।

धीरे-धीरे गड्ढा मिट्टी से भर गया। अंत में गधे ने ज़ोर से छलांग लगाई और गड्ढे से बाहर निकल आया।

पहला किसान, “अरे! ये कैसे हो गया? हम तो इसे दफना रहे थे, फिर ये अचानक बाहर कैसे निकल आया? ये तो कोई चमत्कार ही लगता है।”

धोबी, “ये कोई चमत्कार नहीं है, ये मेरे गधे की अक्लमंदी है। जब हम इस पर मिट्टी फेंक रहे थे, तो ये अपनी पीठ से मिट्टी गिरा देता

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और उस पर खड़े होकर एक कदम ऊपर आ जाता। इसने खुद को मिट्टी के नीचे दबने नहीं दिया। इसने विपत्ति में अपनी अक्ल दिखाई और खुद को बचा लिया।”

पहला किसान, “वाह! तुम्हारा गधा तो बहुत समझदार निकला। आज इसने साबित कर दिया कि कोई भी समस्या कितनी भी बड़ी क्यों ना हो, उसका समाधान जरूर होता है? अब तो इसके सामने हम लोग गधे हो गए।”

धोबी, “सच में, आज रज्जो ने हमें सिखा दिया कि हर मुश्किल में समझदारी से काम लो, तो उसका हल जरूर निकलता है। चल रज्जो, आज घर पर तेरे नए जन्म की खुशियां मनाएंगे।”


दोस्तो ये Animal Story आपको कैसी लगी, नीचे Comment में हमें जरूर बताइएगा। कहानी को पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया!


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