मिर्ची खाने वाली बहू | Mirchi Khane Wali Bahu | Saas Bahu Story | Moral Stories | Family Story in Hindi

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” मिर्ची खाने वाली बहू ” यह एक Saas Bahu Story है। अगर आपको Hindi Stories, Family Stories या Saas Bahu Ki Kahaniyan पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।


पूनम अपने गांव में अपने माँ-बाप के साथ रहती थी। उसे तीखा और चटपटा खाना कुछ ज्यादा ही पसंद था। एक रोज़ उसकी सहेली रानी उसके घर आई।

रानी, “ओय पूनम, बहुत दिन हो गए तुझसे मिले हुए।”

पूनम, “तू मुझ पर इल्ज़ाम मत लगा रानी! जब से तेरी शादी हुई है, तब से तू मुझे बिल्कुल भूली गई है।

भूल गई वो कॉलेज के दिन, जब हम कॉलेज के बाहर मोमोज़ और चौमीन खाया करते थे?”

रानी, “मुझे वो दिन याद मत दिला यार! तू इतने तीखे मोमोज़ और चौमीन बनवाती थी कि हम सब की आंखें लाल हो जाया करती थीं। तुझे याद है अपनी क्लास में वो पंकज नाम का लड़का?”

पूनम, “हाँ, हाँ, मुझे अच्छी तरह याद है। एक बार मैंने उसे लाल मिर्च की आइसक्रीम खिला दी थी, जिससे उसके कान से धुआं निकलने लगा था।”

रानी, “हाँ, और उसी दिन उसने हमारे कॉलेज से निकलकर किसी दूसरे कॉलेज में एडमिशन ले लिया था।

उसने कसम खा ली थी कि वो तुझे उस दिन के बाद कभी नहीं मिलेगा। और देख, वैसा ही हुआ, वो बंदा आज तक हमें कहीं नहीं दिखाई दिया।”

पूनम, “हाँ रानी, पंकज के कान से धुआं निकालकर बड़ा मज़ा आया था उस दिन। चल, तू बैठ, तब तक मैं तेरे लिए चाय-नाश्ता लेकर आती हूँ।”

तभी वहाँ पूनम की माँ भी आ गई।

माँ, “अरे देखो, रानी आई है! आप लोग बातें करो, मैं अभी आई।”

रानी, “नमस्ते आंटी! कैसी हो आप?”

माँ, “मैं बिल्कुल ठीक हूँ रानी। तू बहुत दिनों बाद दिखाई दी। आज शायद मैं तुझे शादी के बाद पहली बार ही देख रही हूँ।”

रानी, “हाँ आंटी, अब क्या बताऊँ! शादी के बाद जिंदगी पूरी तरीके से बदल ही जाती है।

जैसे ही मायके आई, वैसे सबसे पहले आप लोगों से मिलने चली आई।”

इतने में वहाँ पर पूनम चाय-नाश्ता लेकर आ गई। पूनम ने ब्रेड पकौड़े बनाए थे। रानी ने जैसे ही ब्रेड पकौड़े का पहला निवाला खाया,

वैसे ही उसके कान से धुआं निकलने लगा और उसकी आंखें बिल्कुल लाल हो गईं।

रानी, “पूनम, ये क्या किया तुने? तेरा तीखा खाने की आदत अभी तक नहीं गई। इतनी ज्यादा लाल मिर्च डालने की क्या जरूरत थी?”

पूनम, “मैंने तो अपने हिसाब से बहुत ही कम लाल मिर्च डाली थी। मुझे तो ये पकोड़े बिलकुल फीके लग रहे हैं।”

रानी, “मैंने तुझसे कितनी बार मना किया है कि खाने में इतनी ज्यादा लाल मिर्च मत डाला कर!”

माँ, “रानी बेटा, तू जल्दी से मीठी चाय पी ले। थोड़ा आराम मिल जाएगा।”

ऐसे दिन बीतते गए और पूनम की भी शादी तय हो गई। लड़के वाले उसे देखने आए।

मिर्ची खाने वाली बहू | Mirchi Khane Wali Bahu | Saas Bahu Story | Moral Stories | Family Story in Hindi

माँ, “आइए, आइए, इस गरीब खाने में आपका स्वागत है।”

लड़के के पिता, “अरे, ऐसे क्यों बोलती हैं आप? आपका घर तो अच्छा-खासा महल जैसा लग रहा है।”

माँ, “अरे, आप भी कमाल करते हैं। ये तो सिर्फ एक कहावत के तौर पर कहा मैंने।”

लड़के के पिता, “जी, आपने बिल्कुल सही समझा।”

माँ, “अरे पूनम बेटा, देखो, लड़के वाले तुम्हें देखने आए हैं। जल्दी से चाय-नाश्ता अगर बन गया हो, तो लेकर आ जाओ।”

थोड़ी देर बाद पूनम चाय-नाश्ता लेकर आ गई, लेकिन जैसे ही उसने लड़के को देखा, वह हैरान हो गई।

पूनम, “पंकज! तुम?”

पंकज, “पूनम! तुम?”

लड़के के पिता, “पंकज, तुम एक-दूसरे को पहले से जानते हो? कहीं तुम दोनों का पहले से कोई लफड़ा तो नहीं चल रहा?”

पूनम, “अरे नहीं आंटी जी, मुझे पक्का यकीन है कि मुझे देखते ही आपका बेटा मुझसे शादी करने से मना कर देगा।”

लड़के के पिता, “लेकिन क्यों बेटी? तुम तो अच्छी-खासी दिखती हो, फिर ये तुम्हें मना क्यों करेगा?”

पंकज, “पापा, मैंने जिस लड़की की वजह से कॉलेज छोड़ा था, वो लड़की कोई और नहीं, बल्कि पूनम ही थी।

पूनम हर वक्त मुझे धोखे से इतना तीखा भेलपुरी और गोलगप्पे खिला देती थी कि मेरे कान से धुआं निकल जाता था।

एक बार तो इसने हद ही कर दी, आइसक्रीम में सिर्फ लाल मिर्च पीसकर डाल दी और मुझे खिला दी।

आपको पता है, मैं बीमार पड़ गया था उस दिन। उसी दिन से मैंने वो कॉलेज छोड़ दिया।”

पंकज, “लेकिन अब तो तुम काफी सुंदर हो गई हो, पूनम।”

यह सुनकर सारे लोग हंसने लगे।

पूनम, “चिंता मत कीजिए, इसीलिए मैंने आज कोई भी तीखा नाश्ता बनाया ही नहीं है। सिर्फ बिस्किट और चाय ही लाई हूँ आप लोगों के लिए।”

लड़के के पिता, “ये अच्छा किया तुमने, पूनम।”

पंकज और उसके माता-पिता ने चाय का कप उठाया और पीने लगे। लेकिन जैसे ही उन्होंने चाय पी, एक बार फिर से उनकी आंखें लाल हो गईं और कान से धुआं निकलने लगा।

पंकज, “अरे पूनम! ये क्या किया तुमने? चाय में भी कोई लाल मिर्च डालता है क्या?”

पूनम, “अरे, मैं तो हमेशा चाय में लाल मिर्च डालकर ही बनाती हूँ। मसाला चाय का नाम तो सुना ही होगा आप लोगों ने, यह है लाल मिर्च वाली मसाला चाय!

अगर आप लोगों को अच्छी नहीं लगी तो शादी के बाद नहीं बनाऊंगी।”

लड़के के पिता, “चलो ये अच्छा हुआ कि लड़का और लड़की पहले से ही एक-दूसरे को जानते हैं।”

इस तरह से पंकज और पूनम की शादी हो गई, जो कि कॉलेज फ्रेंड भी रह चुके थे।

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शादी के बाद पहले दिन, पूनम अपनी पहली रसोई में सबके लिए खाना बनाकर ले आई।

सास, “येलो बेटी, ये क्या है?”

पूनम, “पिताजी, ले लो। आज आपकी बहू की पहली रसोई थी ना, इसलिए पापा की तरफ से ये छोटा सा शगुन है।”

इसके बाद सभी लोग खाना खाने लगे, लेकिन खाना खाते ही एक बार फिर से सबकी आंखें लाल हो गईं और कान से धुआं निकलने लगा।

ससुर, “पूनम, खाने में लाल मिर्च डाली है या लाल मिर्च में ही खाना डाल दिया है? थोड़ा सा इतना तीखा खाना! बाप रे बाप, जल्दी से मुझे पानी दो।”

सास, “पूनम, तुम ये सब जानबूझकर कर रही हो ना? अरे बदला तो मुझे तुमसे लेना चाहिए।

उल्टा तुम हमसे किस बात का बदला ले रही हो? इतनी ज्यादा लाल मिर्च डालने की क्या जरूरत थी?

जल्दी से पानी लाओ, बेचारी पिताजी तो कुछ बोल भी नहीं पा रहे हैं।”

पूनम, “माफ कीजिए, मुझे लाल मिर्च खाने की बहुत बुरी आदत है। बिना लाल मिर्च के खाना मुझे बहुत ही फीका लगता है,

इसीलिए मैं भूल गई। मैं आप लोगों के लिए जल्दी से हलवा बनाकर लाती हूँ।”

सास, “अरे सुनो, उसमें भी लाल मिर्च मत डाल देना! क्योंकि जब तुम चाय में लाल मिर्च डाल सकती हो, तो हलवे में भी जरूर डाल दोगी?”

पूनम, “अच्छा, वो आपने याद दिला दिया, वरना सच में मैं तो हलवा भी लाल मिर्च डालकर ही बनाती हूँ। बिना लाल मिर्च की मेरी सारी डिश अधूरी रहती हैं।”

पूनम एक बार फिर से किचन में गई और सबके लिए हलवा और पूरी बनाकर लाई।

तब जाकर उन लोगों का पेट भरा और उन्हें थोड़ा अच्छा महसूस हुआ।

सास, “बहू, आज के बाद अगर तुने इतना तीखा खाना बनाया, तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।

थोड़ा-बहुत तीखा हम लोग भी खाते हैं, लेकिन तू तो एक किलो लाल मिर्च ज़रा से खाने में डाल देती है।”

पूनम, “ठीक है सासु माँ, आप परेशान मत हो, मैं खुद की वजह से आप लोगों को तीखा नहीं खिलाऊंगी।”

अगले दिन पूनम ने सभी के लिए कम तीखा खाना बनाया।

ससुर, “शुक्र है ऊपर वाले का कि तुमने आज तो नॉर्मल खाना बनाया हम सबके लिए। ये लो, आज मैं अपनी तरफ से शगुन देता हूँ इस बात के लिए।”

ससुर हंसने लगे, और पूनम भी वहीं पर बैठकर खाना खाने लगी। लेकिन उसने एक पेट भर-भर कर लाल मिर्च रख ली।

पूनम एक निवाला खाती, उसके बाद एक पूरी लाल मिर्च खा जाती। यह देखकर सारे लोग हैरान रह गए।

सास, “बहू, ये क्या कर रही है तू? पूरी एक लाल मिर्च एक बार में खा जा रही है? इससे तेरी तबीयत खराब हो जाएगी।”

पूनम, “क्या करूँ सासु माँ, मजबूरी है। जो खाना मैंने आप लोगों के लिए बनाया है, वो तो मुझे बहुत फीका लग रहा है।

मुझे लाल मिर्च खाने की आदत है, इसलिए मैं ऊपर से लाल मिर्च खा रही हूँ।”

मिर्ची खाने वाली बहू | Mirchi Khane Wali Bahu | Saas Bahu Story | Moral Stories | Family Story in Hindi

ऐसे ही दिन बीतते गए। पूनम फीके खाने के साथ लाल मिर्च खाया करती थी, लेकिन इसमें उसे कुछ खास ज्यादा मज़ा नहीं आ रहा था।

इसलिए एक दिन उसने पंकज से कहा, “पंकज, चलो आज मैं तुम्हें किसी से मिलवाती हूँ।

तुमसे मिलकर मेरी फ्रेंड सरप्राइज्ड हो जाएगी, और वहाँ पर मैं कुछ तीखा भी खा लूँगी। बहुत दिन से खाया नहीं।”

पंकज, “हाँ, हाँ, चलो, लेकिन उस फ्रेंड का नाम क्या है?”

पूनम, “अगर मैंने आपको उसका नाम बता दिया, तो सरप्राइज़ कहाँ रह जाएगा? वो बेचारी ससुराल में थी, इसीलिए हमारी शादी में नहीं आ पाई।”

पंकज, “हाँ, तो फिर जल्दी से चलो।”

पंकज पूनम को कार में बैठाकर किसी रेस्टोरेंट में ले गया। वहाँ पर उसकी फ्रेंड रानी पहले से ही मौजूद थी।

रानी पंकज को देखकर हैरान हो गई और पंकज रानी को देखकर।

पंकज, “क्या बात है रानी? तुझे मैं कितने सालों बाद देख रहा हूँ! तूने तो मुझे अपनी शादी में ही नहीं बुलाया।”

रानी, “अरे बुलाती कैसे? तू तो कॉलेज छोड़कर ही चला गया था। लेकिन एक बात मेरी समझ में नहीं आ रही,

जिस लड़की की वजह से तूने कॉलेज छोड़ा, घूम-फिर कर वही लड़की तेरे पल्ले पड़ गई।”

पूनम, “बातें बाद में होती रहेंगी यार, जल्दी से पंकज, मेरे लिए कुछ तीखा मंगा दे। जब से मेरी शादी हुई है, तुम लोगों की वजह से मैं लाल मिर्च वाला खाना ही नहीं खा पा रही हूँ।”

पंकज मोमोज़, चाउमीन, बर्गर मंगाता गया और पूनम खाती चली गई। वो बहुत सारी प्लेटें खा गई।

पूनम, “अब जाकर दिल को थोड़ा सुकून मिला।”

तो इस तरह से पूनम घर में हर वक्त लाल मिर्च खाया करती थी, और जब भी मौका मिलता, वो पंकज से अपने लिए तीखी चटनी वाली मोमोज़ और बर्गर मंगाया करती थी।

ज्यादा लाल मिर्च खाने की वजह से अचानक पूनम के पेट में जलन होने लगी। एक दिन वो बेहोश होकर गिर गई। पंकज तुरंत उसे अस्पताल ले गया।

डॉक्टर, “देखिए, इनके पेट में तो खून की जगह लाल मिर्च भरी पड़ी है। इनकी रगों में खून की जगह लाल मिर्च दौड़ रही है।

ज्यादा लाल मिर्च खाने की वजह से इन्हें पाइल्स की बहुत भयंकर बीमारी हो गई है। अगर परहेज नहीं किया गया, तो बहुत बिगड़ सकता है।”

पूनम, “मुझे माफ़ कर दो, पंकज! इस बार किसी तरह मुझे बचा लो, मैं आज से लाल मिर्च कभी नहीं खाऊंगी।”

डॉक्टर, “अरे, आप फिक्र मत कीजिए। आपकी जान को कोई खतरा नहीं है, बस इतनी ज्यादा लाल मिर्च मत खाना। तीखा खाने में परहेज करना पड़ेगा, फिर सब ठीक हो जाएगा।”

उस दिन के बाद, पूनम ने लाल मिर्च खाना धीरे-धीरे कम कर दिया। अब वो पंकज के साथ खुशी-खुशी रहने लगी।


दोस्तो ये Saas Bahu Story आपको कैसी लगी, नीचे Comment में हमें जरूर बताइएगा। कहानी को पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया!


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