हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” साया ” यह एक Sachhi Bhoot Ki Kahani है। अगर आपको True Horror Stories, Scary Stories in Hindi या Bhoot Ki Kahaniyan पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
मोबाइल की रिंग बजती है। एक हाथ फ़ोन की तरफ बढ़ता है और उसी हाथ की दो आँखें जब मोबाइल की स्क्रीन पर गईं,
तो चिढते हुए फ़ोन ऑफ कर दिया। तभी वेद के बगल में लेटी एक लड़की ने फुसफुसाते हुए कहा, “कौन था?”
वेद, “और कौन होगा? तुम्हारी दोस्त नताशा का फ़ोन था। बोल दिया तुमको आज बुखार है, फिर भी परेशान कर रही है?”
लड़की, “मेरे साथ तो तुम खुश रहते हो ना? फिर परेशान कब से रहने लगे?”
इतना कहकर वो लड़की वेद के चेहरे को इधर-उधर चूमने लगी और दोनों एक-दूसरे की बाहों में सिमटने लगे।
वेद की नज़र जब ज़मीन पर गई, तो उसे चारों तरफ लंबे-लंबे बिखरे बाल ही दिखे और
एक लड़की का साया लंबे बालों के बीच बैठा वेद को संभोग करते हुए देख रही थी, मानो जैसे वेद के लिए एक आम बात थी।
उसने इस लड़की को इग्नोर किया और अपनी आँखें बंद कर परम सुख का आनंद लेने लगा।
सुबह-सुबह का वक्त…
मलाड से अंधेरी जाने वाली लोकल ट्रेन हो या बस भीड़, मगर आज न जाने क्यों रह-रह कर वेद को बस कृति का ही ख्याल सता रहा था।
खैर, किसी तरह ऑफिस पहुँच कर उसने तुरंत ही कृति को फ़ोन लगाया, उसकी खैरियत ली और दिन भर के काम के बाद जब ऑफिस से छूटा, तो सीधा घर का रास्ता पकड़ा।
ना दोस्तों से कोई बातचीत, ना साथ वाले कर्मियों से कोई डिस्कशन किया। रास्ते में मूंगरे के फूल का गजरा, जो कृति को बेहद पसंद था, रोज़ घर जाता था।
वेद घर पहुंचते ही सीधा कृति के कमरे में गया और उसका माथा चूमा।
कृति भी वेद के छुअन से जाग गई थी।
कृति, “ओ हनी,श! तुम कब आये? मुझे पता ही नहीं चला।”
कृति वेद से कहते हुए उसे चूमने लगी। दोनों बस जबरदस्त रोमांस होने लगा।
कुछ देर बाद कृति अपना सिर वेद की गोद में रखकर लेट गई थी। वेद कृति के बालों में हाथ फेर रहा था।
और तभी अपने ठीक ऊपर एक लड़की उल्टी लटकी दिखी, मानो जैसे वो उल्टा ही छत पर चल रही थी। और उस लड़की के बाल पूरे घर में किसी जड़ की तरह पसरे हुए थे।
वेद भी उस लड़की को मुस्कुराता हुआ उसकी आँखों में देख लम्हों की पुरानी यादों में खोता चला जा रहा था।
शाम का वक्त था। वेद और कृति मुंबई की बारिश में भीग रहे थे। दोनों का मन एक-दूसरे के आलिंगन को तड़प रहा था।
दोनों जैसे ही फ्लैट में आए, ताबड़तोड़ चुम्बन करने लगे। कृति भी कसमसा गई थी। उसने वेद को खुद से दूर करते हुए कहा,
कृति, “एसी भी क्या बेसब्री है वेद? मैं कहीं भागी थोड़े ही ना जा रही हूँ।”
इतना कहकर कृति सीधा बेडरूम में चली गई और दरवाजा बंद कर लिया। वेद दरवाजे की तरफ बढ़ ही रहा था कि तभी दरवाजे के आर-पार होते हुए वही लंबे बालों वाली लड़की निकलकर वेद के सामने खड़ी हो गई।
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वेद बस लड़की को देखते हुए मुस्कुरा रहा था। तभी कृति ने बाथरूम के अंदर से ही कहा, “थोड़ा रुख जाओ बाबा, कपड़े तो चेंज कर लूँ।”
ड्रेस चेंज करके कृति लंबे बालों वाली लड़की से आर-पार गुजरती हुई सीधा वेद की गोद में आकर बैठ गई।
वेद, “बड़ा प्यार उमड़ रहा है। बड़ी मेहरबान हो। अभी तो थोड़ी देर पहले ही हाथ छुड़ाके भाग गई थी, जैसे हम आपके कोई ना हों, पराये हों।”
वेद कृति से कह रहा था, पर कृति वेद के सीने पर अपने दांत गढ़ाए हुए उसे उत्तेजित कर रही थी कि अचानक ही वेद का सीना छिल गया,
जिसके दर्द से वेद ने तुरंत ही कृति को बालों से पकड़ दूर करते हुए कहा, “जब जब तुम मुझसे दूर होती हो ना, मेरा मन करता है कि मैं तुम्हें मार डालूं।”
इतना कहकर वेद कृति के होठों को चूमने ही जाना था कि अचानक उसका ध्यान भटक गया
और अगले ही पल उसने देखा कि उसके हाथ में कृति के सिर्फ बाल हैं, जिन्हें ले जाकर उसने अलमारी की दराज में रख दिया और आईने के सामने बैठकर रोने लगा।
तभी कृति ने पीछे से आकर उसके कंधे पर हाथ रखा और उसके आंसू पोंछने लगी। वेद ने भी कृति का माथा चूमा
और उसे गले लगाते हुए कहा, “तुम मुझे छोड़कर कभी नहीं जाओगी ना? अगर तुमने ऐसा सोचा भी, तो मैं तुम्हें मार दूंगा।”
कृति, “नहीं, कभी नहीं जाउंगी। मैं कहाँ जा रही हूं? तुम्हारे पास ही तो हूँ ना?”
वेद उसे उठाकर सीधा बेडरूम में ले गया। फिर उसका माथा थपथपाते हुए उसे सुला दिया।
कृति को गहरी नींद में सुलाने के बाद वेद ने वापस आकर अपने लिए खाना ऑर्डर किया और लैपटॉप पर कुछ काम करने लगा।
तभी वेद की नज़र पर गिरे लाल रंग पर गई। शायद वो खून था। वेद ने तुरंत एक कपड़ा लिया और उसे साफ करने ही जा रहा था
कि उसे वही लंबे बालों वाली लड़की टेबल के नीचे अपना ही मांस खाती दिखी। वेद एकटक उस लड़की को देख मुस्कुरा रहा था।
कि अचानक ही डोर बेल बजी। वेद ने पहले खिड़की से झांककर देखा तो डिलिवरी बॉय खाना लेकर आया था।
वेद खाना लेकर दरवाजा बंद कर ही रहा था कि तभी डिलिवरी बॉय ने अपनी नाक सिकोड़ते हुए कहा, “साहब, एक बात बोलूं?
आप एक हफ्ते से मुझे इसी वक्त पे खाना मंगवाते आ रहे हो, पर जब जब आप खाना लेने के लिए दरवाजा खोलते हो तो आपके घर में बिलकुल अंधेरा रहता है।
सच कहूं तो मुझे आपके पीछे लड़की नजर आती है, जिसके लंबे-लंबे बाल हैं, और वो कोने में बैठी मुझे ही देख रही है।
पता नहीं क्यों, हर बार आपके घर से इतनी सड़ी हुई बदबू क्यों आती है? कोई रूम फ्रेशनर वगैरह मारने का ना साहब?”
डिलिवरी बॉय की सारी बातें सुनने के बाद वेद ने कहा, “अच्छा मजाक कर लेता है तू। कपिल के शो में ट्राई क्यों नहीं करता?”
इतना कहकर वेद ने दरवाजा बंद कर लिया। टेबल पर खाना लगा ही रहा था, कि तभी कृति रेंगते हुए वेद के पास आ रही थी और उसके ठीक पीछे वो लंबे बालों वाली लड़की भी।
कृति, “कितना वक्त हो गया ना, हम दोनों को एक साथ बाहर डिनर किए हुए?”
वेद, “हां हनी, नेक्स्ट संडे हम जरूर बाहर जाएंगे।”
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वेद ने कृति से कहते हुए उसे अपनी बाहों में कस के भर लिया। कृति भी उसकी बाहों में सिमटती ही चली जा रही थी
और अगले ही पल जब वेद ने खाना प्लेट में निकाला, तो सिर्फ बाल ही बाल निकले, वो भी खून से सने हुए।
वेद ने तुरंत ही प्लेट खुद से दूर की और कृति को बाहों में भरकर बेडरूम की ओर चल दिया।
कृति के सिर से लगातार बाल झढ़ रहे थे कि तभी बेडरूम का दरवाजा खुला और फिर बंद हो गया।
एक लंबे रोमांस के बाद दोनों सो चुके थे। अगली सुबह वेद ब्रेकफास्ट बनाकर ऑफिस निकल गया।
और जब वापस घर आया, तो बहुत सारे डिओ, परफ्यूम, स्प्रे, रूम फ्रेशनर और बुके अपने साथ लेकर आया।
रूम फ्रेशनर, परफ्यूम और डिओ की खुशबू से सारा घर महक रहा था।
फिर रोज़ की तरह वेद ने अपने लिए खाना ऑर्डर किया। वो डाइनिंग टेबल पर बैठा डिलिवरी बॉय का इंतजार कर ही रहा था
कि उसके ठीक सामने वो लंबे बालों वाली लड़की बैठी अपने ही पैर नोच-नोचकर खा रही थी।
तभी डोर बेल बजी। वेद ने खिड़की से देखा, तो दरवाजे पर डिलिवरी बॉय खड़ा था।
डिलिवरी बॉय, “वाह साहिब! क्या छकास रूम करके लाए, पर एक लाइट तो जला लेते।”
इतना कहकर डिलिवरी बॉय वेद के कंधों के किनारे से झांकता हुआ अंधेरे को देखने लगा, पर अगले ही पल उसके पैरों तले जमीन खिसक गई,
क्योंकि जिस लड़की को वो ढूंढ रहा था, वो कहीं और नहीं बल्कि वेद के कंधे पर ही बैठी हुई थी। इस पर वेद बोला,
वेद, “ऐसा कुछ नहीं है, मेम साहब अंदर ही हैं।”
डिलिवरी बॉय,”अपन समझ गया साहिब, पक्का शादी की सालगिराह होयेगा। ऐसी सजावट तो तभी जोइच होती है।
डेलिवरी बॉय की बात सुन वेद की आँखों में आंसू आ गए थे। उसने तुरंत ही दरवाज़ा बंद किया और जाकर कृति से लिपट कर सिसक सिसक कर रोने लगा।
कृति ने भी बिना कुछ कहे वेद को अपनी बाहों में भर लिया और वो लम्बे वालों वाली लड़की भी वेद से लिपट खून के आंसू रो रही थी।
तीनों की सिसकियों से कमरा गूंज रहा था। आज भी वेद बिना खाये ही कृति की बाहों में लिपटकर सो गया।
अगली सुबह संडे था। वेद बाज़ार से एक बड़ा सा फ्रिजन लेकर आया था। उसने पहले तो फ्रीजर में बिस्तर लगाया और फिर उसमें कृति को लिटा दिया।
कुछ दिन गुजरते रहे। वेद का यही रूटीन चालू रहा, पर अब उसने सबके फ़ोन उठाने बंद कर दिए थे।
क्योंकि सब यही कहते थे कि कृति से बात करवाओ और वेद का यही जवाब होता कि कृति सो रही है। वेद की दिनचर्या किसी मशीन की तरह हो गई थी।
वही सुबह का नाश्ता बनाना, कृति को देना, खुद खाना, ऑफिस चले जाना, शाम को लौटते वक्त रोज़ वही बुके, गजरे, परफ्यूम लेकर आना, सब ऐसे ही चल रहा था।
तभी एक दिन अचानक डोर वेल बजी। वेद ने जब दरवाजा खोला, तो सामने नताशा थी, जिसे देख वेद चौंक गया।
इससे पहले कि वो नताशा को रोक पाता, नताशा सीधा घर के अंदर चली आयी और कृति को आवाज लगाते हुए कहा।
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नताशा, “कहां हो भाई, कृति तुम? तुम तो ईद का चाँद हो गई हो यार। हम तो तुम्हारे दीदार को तरस गए।”
नताशा के ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने से वेद चिढ़ गया था, पर उसने मुस्कुराते हुए नताशा से कहा।
वेद, “अरे बाबा! चिल्ला क्यों रही हो? वो ज्यादा दूर नहीं, बस बगल वाले कमरे में हैं। तुम बैठो, अभी उसे बुलाकर लाता हूँ।”
इतना कहकर वेद बेडरूम के अंदर गया और जाते ही दरवाजा बंद कर लिया।
फिर फ्रीज़र के अंदर बैठी कृति को लिटाकर उसे कपड़ों से ढक दिया। तभी नताशा दरवाजा खटखटाने लगी।
नताशा, “अरे! क्या फिर से शुरू हो गये क्या तुम लोग? थोड़ा तो सब्र रखो, मेहमान आया है घर में। मेरे जाने के बाद जी भरकर करते रहना।”
नताशा की बात सुनकर वेद को याद आया कि उसने दरवाजा तो बंद किया था, लेकिन उसे लॉक नहीं किया था।
नताशा भी कृति को ढूंढते हुए बेडरूम में आ गई। उसकी नजरें कृति को ही ढूंढ रही थीं। और अचानक ही उसकी नजर फ्रीज़र पर पड़ी।
वो सीधा फ्रीज़र की तरफ बढ़ती है और बोलती है, “मुझे पता है कृति, तू इसी में छुपी हुई है।”
लेकिन जैसे ही नताशा ने फ्रीज़र खोला, उसके होश उड़ गए। उसके पैरों तले जमीन खिसक गई।
फ्रीज़र बालों से भरा हुआ था और उसी बीच कृति की लाश बिछी हुई थी। एंजाइम्स की वजह से कृति का जिस्म पूरा सूख चुका था।
वह सिर्फ हड्डियों से चिपके हुए मांस का ढांचा रह गई थी, जिसमें से बदबू मार रहा था।
नताशा कुछ समझ पाती, तभी उसके सिर पर डंडे का प्रहार हुआ, जिससे वह वहीं बेहोश हो गई।
वेद, ” तुम्हें ये सब नहीं देखना चाहिए था, नताशा। आई ऍम रियली वेरी वेरी सॉरी।
वेद एक ट्रॉली बैग में भरकर कृति का सूखा जिस्म जोकि अब सिर्फ हड्डियों का एकमात्र ढांचा रह गई थी।
वेद कार में रखकर कहीं बाहर जा रहा था। घंटों बीतने के बाद जब नताशा को होश आया, तो वो फ्लैट में बिल्कुल अकेली थी।
घंटों बीतने के बाद जब नताशा को होश आया, तो वह फ्लैट में बिल्कुल अकेली थी।
होश आने के बाद उसने सीधा पुलिस को इन्फॉर्म किया। मामले की गंभीरता को भांपते हुए पुलिस तुरंत हरकत में आ गई।
पुलिस पर वेद का फ़ोन साइबर सेल वालों ने ट्रैक किया। उसकी लोकेशन पुणे एक्सप्रेस वे के आसपास दिखाई दे रही थी।
पुलिस जब नताशा को लेकर उस जगह पर पहुंची, तो पता चला कि वो एरिया बहुत पुराना कब्रिस्तान था और गेट के बाहर वेद की गाड़ी भी खड़ी हुई थी।
पूरा कब्रिस्तान छानने के बाद वेद कृति की लाश के साथ एक कब्र के गड्ढे के पास दिखाई दिया।
पुलिस ने वेद को देखते ही उसे वार्न किया, “अपने आप को पुलिस के हवाले कर दो। पुलिस कुछ नहीं करेगी, नरमी से पेश आएगी।”
पुलिस की वार्निंग सुनकर भी वेद कुछ नहीं बोला, लेकिन जब पुलिस आगे बढ़ने लगी, तो उसने चीखते हुए कहा, “प्लीज़, मुझे मेरी कृति के साथ रहने दो।
अगर किसी ने मुझे कृति से अलग करने की कोशिश की, तो मैं खुद को गोली मार लूँगा। मैं बस अपनी कृति के साथ ही जिंदा दफन होना चाहता हूँ।”
नताशा फिर भी वेद के थोड़ा और करीब जाती है और उसे समझाते हुए कहती है, “देखो, पागलपन मत करो।
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कृति मर चुकी है। आखिर तुम क्यों अपनी ज़िंदगी खराब कर रहे हो? लौट आओ वापस।”
नताशा की बात सुनकर वेद एक बार फिर चीख-चीखकर रोने लगा।
उसकी आँखों के सामने उसकी कृति की लाश थी और वही लंबे-लंबे बालों वाली लड़की कृति की लाश पर बैठकर खून के आंसू रो रही थी।
अब तक वेद जिस झूठ को नकारता आ रहा था, आज वही एक सच बनकर उसके सामने खड़ा था।
वह लंबे बालों वाली लड़की कोई और नहीं, बल्कि कृति का ही साया था।
वेद ने कभी भी कृति के साये से प्यार नहीं किया, लेकिन वो कृति की लाश आज भी बेइंतहा प्यार करता था।
पर जैसे ही उसने कृति के चेहरे को देखा, कृति भी दोनों बाहें फैला रही थी, वेद को अपने पास बुला रही थी।
वेद ने नताशा और पुलिस की आवाज़ों पर गौर कर वापस आने का मन भी किया, लेकिन दूसरे ही पल कृति की रूह का दर्द उससे देखा नहीं जा रहा था।
और वह लंबे बालों वाली लड़की कृति की लाश में समाकर एक हो चुके थे।
पुलिस भी उसे समझाने की नाकाम कोशिश कर रही थी। मगर कोई कुछ समझ पाता, इससे पहले ही वेद ने अपनी गर्दन में रिवॉल्वर लगाकर गोली दाग दी।
गोली सीधा खोपड़ी को चीरती हुई आसमान की ओर चली गई और वेद का निर्जीव जिस्म अपनी कृति के ऊपर ही धड़ाम से गिर गया।
अगले ही पल दोनों फिसलते हुए कब्र में जा गिरे। कब्र में गिरने के बाद कृति का सिर वेद के सीने पर था, जिसे देख ऐसा लग रहा था कि अब जाकर दोनों ने एक-दूसरे को पाया हो।
नताशा ने जब वेद और कृति को एक-दूसरे की बाहों में देखा, तो उसकी आँखों से आंसू आ गए थे। वो भी बैठकर दोनों को देख रोने लगी थी।
कृति को दिल की बीमारी थी। दो हार्ट अटैक पहले आ चुके थे। बाईपास सर्जरी होने के बाद भी कृति को तीसरा अटैक आया
और वो भी ऐसे वक्त पर आया, जब घर में कोई नहीं था। वेद कृति से बेपनाह प्यार करता था।
उसने कृति का ऑफिस जाना भी बंद करवा दिया था, लेकिन उसकी एक जिद की वजह से कृति ऑफिस चली जाती थी।
कुछ दिनों से कृति ज्यादा ही थकी-थकी रहने लगी थी। शायद उसकी कमजोरी के कारण उसकी बीमारी थी।
और जिस बात का डर था वही हुआ। जब कृति को तीसरा अटैक आया, उस वक्त घर में कोई नहीं था।
इस तरह सोई कृति दोबारा उठ भी न सकी और मौत का सदमा वेद को बर्दाश्त नहीं हुआ, जिससे वह अपना मानसिक संतुलन खो बैठा और चाहकर भी कृति को मरा हुआ नहीं मान पाया।
आखिर इसी बेइंतहा प्यार के पागलपन में उसने अपनी जान दे दी।
दोस्तो ये True Horror Story आपको कैसी लगी, नीचे Comment में हमें जरूर बताइएगा। कहानी को पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया!
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