हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” तीन बहनों का एक पति ” यह एक Moral Story है। अगर आपको Hindi Stories, Moral Stories या Bedtime Stories पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
वंदना, “रीती… नीती… प्रीती, कहां हो? चलो अब खाना खालो।”
रीती, “अभी आते हैं माँ।”
वंदना की आवाज लगाते ही उसकी तीनों बेटियां रीती, नीती और प्रीति अपने घर की तरफ बढ़ती हैं।
रीती हमेशा बीच में चलती थी और उसके दोनों तरफ कंधे पकड़ कर नीती और रीती चला करती थी।
दरअसल प्रीति और नीती देख नहीं सकती थीं और रीती देख तो सकती थी पर वो पैरों से लाचार थी। तो रीती बैसाखी के सहारे थी और नीती और प्रीति रीती के सहारे।
वंदना, “कितनी बार कहा है, ज्यादा दूर मत जाए करो?”
नीती, “रीती दीदी हैं ना हमारे साथ।”
वंदना, “अरे! कब तक तुम तीनों साथ रह पाओगी? एक दिन तो तुम तीनों को अपने-अपने घर जाना ही होगा। फिर क्या करोगी, बोलो?”
प्रीति, “तो फिर हम शादी ही नहीं करेंगी। रीती दीदी का कंधा पकड़कर ऐसे ही चलती रहेंगी हमेशा।”
वंदना का कोई बेटा नहीं था, बस तीनों बेटियां थीं और वो भी अपाहिज। वंदना को इस बात का बहुत दुःख था।
वंदना का पति श्याम एक छोटा किसान था और बड़ी मेहनत से अपना और अपने परिवार का पेट पालता था।
फिर 1 दिन…
वंदना, “रीती, कहां हो?”
रीती, “माँ, मैं रोटी बना रही हूँ।”
वंदना, “अरे! सारा दिन तू ही काम करती रहती है। अपनी दोनों बहनों को भी तो कुछ सिखा।”
रीती, “माँ, मैं हूँ ना। और वैसे भी वो दोनों कैसे करेंगी?”
वंदना, “ऐसा नहीं है मेरी बच्ची। जब तू अपने घर चली जाएगी तो इन्हें भी तो ससुराल जाना पड़ेगा, फिर कैसे काम चलेगा?
अंधे भी तो अपने हिसाब से काम करते हैं ना? और हम कोई अमीर घर से तो है नहीं कि ये काम नौकर चाकर करेंगे।”
रीती, “पर माँ, वो कैसे कर पाएंगी? आप खुद ही सोचो ना कि अगर आप देख ना पाओ तो आप कैसे पता करोगी कि कौन सी शक्कर है और कौन सा नमक?
कैसे पता करोगी कि कौन सी मूली है और कौन सी गाजर? माँ, मैं तो कहती हूँ कि आप मेरी शादी मत करो। मैं कमाऊंगी और सबका ख्याल रखूँगी।”
रीती की बात सुनकर वंदना की आँखों में आंसू आ गए। ये बात नीती और प्रीति ने भी सुन ली और वो दोनों भी चुपके-चुपके रोने लगीं।
तीन बहनों का एक पति | Teen Bahano Ka Ek Pati | Hindi Kahani | Pati Patni Ki Kahani | Husband Wife Story
फिर उसी शाम…
रीती, “माँ – पिताजी, मैंने सोच लिया है हम तीनों बहनें या तो शादी ही नहीं करेंगी या फिर हमारी शादी ऐसे घर में करना जहां तीन भाई हों।
बाकी हमें कुछ नहीं चाहिए। ना अमीर घर और ना ही कोई बहुत सुंदर लड़के, बस हमें अलग मत करना पिताजी, क्योंकि मेरे बिना इनका और इनके बिना मेरा गुज़ारा ही नहीं है।”
रीती की वो बात श्याम और वंदना को लग गई। और फिर एक दिन श्याम भागा-भागा घर आया।
श्याम, “अरे! सुनती हो… एक खुशखबरी लाया हूँ।”
वंदना, “क्या है जी, जल्दी बताओ।”
श्याम, “वो किशनपुर है ना? वहाँ किशोरीलाल जी का परिवार रहता है। उनके तीन बेटे हैं और तीनों ही कुंवारे हैं।
वो अपने बेटों की शादी करना चाहते हैं। इससे बढ़िया मौका नहीं मिलेगा।
अगर उन तीनों लड़कों से अपनी बेटियों की शादी हो जाती है तो वो हमेशा साथ रह सकेंगी।”
वंदना, “पर वो हमसे रिश्ता जोड़ेंगे क्या? वो तो…।”
श्याम, “अरे! यही तो बताना है तुम्हें। अब इसे भगवान की लीला ही कहो। वो तीनों भाई भी ज़रा कम देख पाते हैं, इसीलिए शायद वो मान जाएं।”
वंदना, “अच्छा, तब तो आप फटाफट बात चलाओ।”
अगले ही दिन श्याम किशोरी लाल के घर पहुंचा और उससे अपनी बेटियों के रिश्ते की बात की।
किशोरी लाल ने भी रिश्ते के लिए हाँ कर दी और शाम से शादी की तैयारियां शुरू कर दीं।
तीनों बहनें भी बहुत खुश थीं। फिर शादी की तारीख भी आ गई। लेकिन फेरों से ठीक पहले…
किशोरी लाल, “एक मिनट रुको पंडित जी, इतनी जल्दी भी क्या है?”
किशोरी लाल, “हाँ तो श्याम जी, ज़रा दहेज़ का हिसाब तो समझाओ।”
श्याम, “पर दहेज की तो बात ही नहीं हुई थी किशोरी लाल जी, और जितना मुझसे बन पड़ा, उतना तो मैं कर ही रहा हूँ।”
किशोरी लाल, “अरे! तो हम अपने लिए कहां कुछ मांग रहे हैं? आप तीन-तीन बेटियां दे रहे हो, कल को बच्चे कहीं घूमने जाएंगे तो हर जगह ऑटो और बस के धक्के खाते फिरेंगे क्या?
आप ऐसा करो कि एक ऐसी कार दे दो जिसमें सात लोग आ जाएं, बस बाकी कुछ नहीं चाहिए।”
श्याम, “पर ऐसी कार तो बहुत महंगी आएगी। मैं गरीब कहाँ से लाऊंगा, किशोरी लाल जी?”
किशोरी लाल, “अरे! तो अभी की बात कौन कर रहा हैं? हम आपकी तीनों बेटियों को ब्याह कर ले जा रहे हैं, ठीक है?
ठीक एक महीने बाद आप कार ले आना और अगर नहीं ला पाए तो अपनी बेटियों को वापस ले जाना।”
मुखिया, “बहुत बेगैरत आदमी हो, किशोरी लाल। अपने बेटों की शादी करने आए हो या सौदा करने आए हो बे?”
तीन बहनों का एक पति | Teen Bahano Ka Ek Pati | Hindi Kahani | Pati Patni Ki Kahani | Husband Wife Story
किशोरी लाल, “मुखिया, तुम चुप करो। अगर इतना ही प्यार आ रहा है ना इन लंगड़ी और अंधी बेटियों पर, तो तुम ही ले जाओ इन्हें अपने घर बहू बनाकर।”
मुखिया, “करा देता, पर मेरा एक ही बेटा है। और अगर तीन होते ना, तो तुम्हारे सामने इनसे शादी कराता और तुम्हे जूते मारकर बाहर निकाल देता इस गांव से, जूते मार कर।”
किशोरी लाल, “हां हां…तो हम जा रहे हैं। अब ढूंढ लेना ऐसा घर इन लंगड़ी और अंधियों के लिए, जहाँ बिना दहेज के तीनों की शादी हो जाए। हम भी देखते हैं।”
मुखिया, “विमल बेटा, इधर आ।”
मुखिया, “श्याम भाई, बताओ… आप मेरे बेटे के साथ अपनी कौन सी बच्ची की शादी करना चाहते हो, बताओ?”
रीती, “मुखिया जी, आपकी इस दरियादिली के लिए बहुत बहुत धन्यवाद! लेकिन हम तीनों अलग नहीं रह सकतीं।
मेरी बहनें मेरे ही सहारे हैं, तो या तो हम तीनों एक ही घर जाएंगे या फिर…।”
मुखिया, “शादी तो होगी बेटी और इस लालची किशोरी लाल के सामने ही होगी।”
मुखिया, “श्याम भाई, मेरा एक ही बेटा है और आपको अजीब लगेगा, लेकिन अब कोई चारा नहीं है।
मैंने जुबान दे दी है। मैं तुम्हारी तीनों बेटियों का हाथ अपने बेटे विमल के लिए मांगता हूँ। बताओ, आपको मंजूर है?”
मुखिया की बात सुनकर वहाँ हर आदमी हैरान था। पर तभी रीती के कंधे पकड़ कर नीती और प्रीति मुखिया के सामने खड़ी हो गईं और उनके पैर छुए।
फिर उसी मंडप में तीनों बहनें हमेशा के लिए एक साथ हो गईं। और इस तरह तीनों बहनों ने अग्नि को साक्षी मानकर एक ही लड़के से शादी कर ली और वह लड़का बन गया तीन बहनों का एक पति।
और किशोरी लाल अपने तीनों बेटों के साथ खाली हाथ वहाँ से बेइज्जत होकर चला गया।
दोस्तो ये Moral Story आपको कैसी लगी, नीचे Comment में हमें जरूर बताइएगा। कहानी को पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया!