किराये का पति | Kiraye Ka Pati | Moral Story | Husband Wife Story | Pati Patni Ki Kahani

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” किराये का पति ” यह एक Husband Wife Story है। अगर आपको Hindi Stories, Moral Stories या Pati Patni Ki Kahaniyan पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।


विभा (अजय की मां), “अब, एक बार फिर सोच लीजिए राय साहब, हम कभी सपने में भी आपके परिवार की बराबरी नहीं कर सकते।”

विनीत राय (सोनिया के पिता), “बहन जी, अब ये सब मत सोचिए। अजय से पहली मुलाकात के बाद ही मुझे विश्वास हो गया था

कि उससे अच्छा पति और आप लोगों से अच्छा परिवार मेरी बेटी के लिए और कोई हो ही नहीं सकता। बस एक गुजारिश है आपसे।”

विभा, “अरे! कहिए ना।”

विनीत राय, “सोनिया मेरी इकलौती बेटी है तो लाड़ प्यार ने उसे थोड़ा बिगाड़ दिया है, तो बस कभी उसकी किसी बात का बुरा मत मानिएगा। बच्ची समझ कर माफ़ कर दीजिएगा उसे।”

अजय के पिता, “आप बिलकुल चिंता मत कीजिए राय साहब। हम आपका जितना ऐशो आराम भले ही ना दे सकें, लेकिन लाड़ प्यार में कोई कमी नहीं रखेंगे, ये वादा है हमारा।”

विनीत राय, “मैं जानता हूँ भाई साहब। अच्छा, अब मैं चलता हूँ। शादी की बहुत सी तैयारियां करनी हैं।”

अजय, “रुकिए अंकल, एक रिक्वेस्ट थी आपसे।”

विनीत राय, “मैं तुम्हारी हर रिक्वेस्ट एक्सेप्ट करूँगा, बेटे। अगर तुम मुझे अंकल की जगह पापा कह कर बुलाओगे।”

अजय, “जी पापा, वो मैं कहना चाहता हूँ कि मेरी और सोनिया की शादी बहुत सिंपल तरीके से हो।

इस बारे में सोनिया से भी बात हो गई है मेरी। हम सिंपल कोर्ट मैरिज करना चाहते हैं।”

विनीत राय, “लेकिन बेटा, ये… ये कैसे हो सकता है?”

अजय, “प्लीज़ पापा।”

विनीत राय, “ठीक है बेटा, तुम और सोनिया जैसा चाहते हो, वैसा ही होगा। बस तुम दोनों हमेशा खुश रहो।”

इतना कहकर विनीत राय ने अजय के माता-पिता के सामने हाथ जोड़े और वहाँ से चले गए।

दरअसल विनीत राय एक जाने-माने बिजनेसमैन थे और यहाँ उनकी इकलौती बेटी सोनिया की शादी की बात हो रही थी।

खास बात यह थी कि इतना अमीर आदमी अपनी इकलौती बेटी का रिश्ता एक ऐसे घर में कर रहा था, जो हैसियत में उनसे बहुत ही कम था।

अजय एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करता था और उसकी सैलरी से बस घर का खर्च ही चल पाता था।

लेकिन जब से अजय को पता चला था कि उसके पिता के ब्रेन में ट्यूमर है, तब से अजय के दिन का चैन और रातों की नींद गायब हो गई थी।

इसी बीच उसकी ज़िन्दगी में सोनिया ने एंट्री ली और अब सब बदलने वाला था।

शादी के तुरंत बाद…
सोनिया, “अजय, और कितना वेट करना पड़ेगा मुझे यहाँ पर?”

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अजय, “बस 2 मिनट। माँ… माँ, प्लीज़ थोड़ा जल्दी करिए ना।”

विभा, “हाँ बेटा, बस आ गई मैं। वो मैं पूजा की थाली मंदिर में रख कर भूल गई थी। अब सब ठीक है।”

विभा, “बहू, अब तुम इस कलश को अपने पैर से गिराकर अंदर प्रवेश करो।”

सोनिया (उबाऊ स्वर में), “ओह गॉड, ये सब कब खत्म होगा?”

यह देखकर विभा कुछ कहती, उससे पहले ही अजय ने उससे कहा।

अजय, “माँ, जल्दी से आरती करो ना। मेरी तबियत कुछ ठीक नहीं लग रही।”

विभा, “अरे! ऐसे कैसे? रुक जा थोड़ा। शादी की रस्में तो वैसे भी तुम दोनों ने होने नहीं दीं। अब कम से कम बहू का गृह प्रवेश तो अच्छे से हो जाने दो।”

विभा, “बहू यहीं रुको, पहले मैं तुम्हारी आरती उतारती हूँ।”

सोनिया, “जस्ट ए मिनट आंटी जी, इतना सब कुछ मुझसे नहीं होगा। व्हाट रब्बिश? एक तो वैसे इतनी गर्मी है, ऊपर से आपके नाटक खत्म ही नहीं हो रहे।”

सोनिया, “अजय, मेरा रूम किधर है?”

अजय ने फौरन घर के सबसे बड़े कमरे की तरफ इशारा कर दिया और सोनिया भी तुरंत उस कमरे की तरफ बढ़ गई।

अजय, “माँ, वो मैं सोनिया की तरफ से…।”

विभा, “अरे अरे! कोई बात नहीं बेटा। तू जा बहु के पास और देख उसे कोई परेशानी ना हो।”

इसके बाद अजय सिर झुकाकर उसी कमरे की तरफ़ बढ़ गया, जिसमें सोनिया गई थी। वह सोनिया की हरकत पर शर्मिंदा था

और अंदर जाकर वह सोनिया से कुछ कहता, उससे पहले ही सोनिया उल्टा उस पर ही भड़क गई।

सोनिया, “ये सब क्या है अजय? यहाँ रहूंगी मैं? एसी कहां है? और कितना छोटा कमरा है ये, ऊपर से इंटीरियर भी कितना बेकार है इस रूम का?”

अजय, “सोनिया, तुम भूल रही हो कि तुम अपने पापा के घर में नहीं हो। ये हमारे घर का सबसे अच्छा और बड़ा कमरा है, जो तुम्हें और मुझे दिया गया है रहने के लिए।”

सोनिया, “ओह मिस्टर! मैं कुछ नहीं भूली हूँ, लेकिन लगता है तुम्हारी याददाश्त ठीक करनी पड़ेगी मुझे।”

सोनिया की बात पूरी होने से पहले वहाँ अजय की माँ विभा चाय और नाश्ता लेकर आ गई, जिसे देखकर सोनिया चुप हो गई और अजय ने चाय की ट्रे लेते हुए कहा।

अजय, “अरे माँ! मैं कर लेता ना।”

विभा, “कोई बात नहीं बेटा। सब ठीक तो है ना?”

अजय, “सब ठीक है माँ, बस वो सोनिया थोड़ी थक गई है तो आराम करना चाहती है।”

अजय, “अब आप जाओ, आप भी आराम करो।”

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इतना कहकर अजय अपनी माँ को उसके कमरे में छोड़ने चला गया और फिर उसके वापस आने के बाद…

अजय, “सोनिया, हमारी बात हुई थी ना। बस कुछ दिनों के लिए तुम… मेरा मतलब है कि आप… आप थोड़ा सा एडजस्ट कर लो, प्लीज़।”

सोनिया, “देखो अजय, मुझे यहाँ कुछ ही महीने रहना है। तो प्लीज़ तुम थोड़ा एडजस्ट कर लो ना।

सबसे पहले तो अपनी माँ को समझाओ कि मेरी सास बनने की कोशिश ना करें और इस रूम का कुछ करो, प्लीज़।”

अजय, “ठीक है, आप अभी सो जाओ। मैं कल कुछ करता हूँ।”

इतना कहकर अजय ने बिस्तर से एक तकिया उठाया और नीचे फर्श पर जाकर लेट गया। सोनिया भी बड़बड़ाते हुए बिस्तर पर सो गई और फिर अगले दिन…

अजय के पिता, “अजय, ये एसी तुमने खरीदा क्या?”

अजय, “हाँ पापा, वो सोनिया को आदत नहीं है ना बिना एसी के रहने की, तो इसीलिए लेना पड़ा।”

अजय के पिता, “अरे! तो मुझसे कहते ना। तुम्हारा पहले ही इतना खर्चा हो गया था। रुको, मैं अभी बैंक जाकर…।”

अजय, “नहीं पापा, पैसे हैं मेरे पास। और हाँ, आप शाम को रेडी रहना। हॉस्पिटल जाना है।”

अजय के पिता, “हॉस्पिटल… लेकिन क्यों बेटा?”

अजय, “आपके ऑपरेशन की बात करनी है? अब हम ज्यादा देर नहीं करेंगे।”

विभा, “लेकिन बेटा, उसके लिए तो…।”

अजय, “फिक्र मत करो माँ, पैसों का इंतजाम हो गया है। अब सब ठीक हो जाएगा।”

इतना कहकर अजय वहाँ से चला गया और विभा और विष्णु एक दूसरे का चेहरा देखते रह गए।

दूसरी तरफ अजय सोनिया से अपने कमरे में जाकर कहता है, “अब एसी लग रहा है, और कुछ चाहिए तो बता दीजिएगा।”

सोनिया, “चाहिए तो बहुत कुछ लेकिन रहने दो, तुम उतना सब कर नहीं पाओगे। किराए के पति हो तो इससे ज्यादा क्या ही उम्मीद लगाऊं तुमसे?”

यह सच था। असल में सोनिया और अजय की कांट्रैक्ट मैरिज हुई थी, जिसके तहत सोनिया को बस छह महीने अपने ससुराल में रहना था।

उसके बाद वह अजय से तलाक लेकर अपने घर वापस लौट सकती थी। असल में सोनिया की खराब आदतों से परेशान होकर उसके पिता विनीत राय ने उसके सामने यह शर्त रखी थी

कि उनकी जायदाद को पाने के लिए पहले सोनिया को किसी अच्छे लड़के से शादी करनी होगी और एक अच्छी बहू बन कर दिखाना होगा।

लेकिन इस मुश्किल का हल सोनिया ने अलग ही तरह से निकाला। उसने अजय की मजबूरी का फायदा उठाते हुए उसे पैसों का लालच दिया और सिर्फ छह महीनों के लिए उसे अपना किराए का पति बना लिया।

दूसरी तरफ अजय को अपने पिता का जल्द से जल्द ऑपरेशन करवाना था और इसीलिए उसने सोनिया की शर्त मान ली।

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लेकिन यह बात सोनिया और अजय के अलावा और कोई नहीं जानता था। और इस बात को छुपा कर रखना अब दोनों के लिए मुश्किल होता जा रहा था।

विभा, “बहू, अजय ऑफिस से आ गया है। मैंने खाना बना दिया है, तुम जाकर उसे परोस दो।”

सोनिया, “क्यों, वो खुद खाना नहीं ले सकता क्या?”

विभा, “बेटा, पत्नी खाना परोसे तो पति को अच्छा लगता है।”

सोनिया, “देखिये आंटी, इससे पहले कि आपकी एक्सपेक्टेशन और बड़े, मैं आपको बता देना चाहती हूँ कि आपका बेटा मेरा पति ज़रूर है लेकिन किराए का।

मैंने उसे इस शादी के लिए पूरे 10 लाख रुपए दिए हैं और हाँ, ये शादी सिर्फ छह महीने की है।

तो बस तब तक ही मैं आप लोगों और इस घर को झेल रही हूँ। एक बार मेरे पापा अपनी प्रॉपर्टी मेरे नाम कर दें, फिर मैं आपके बेटे को तलाक देकर यहाँ से हमेशा के लिए चली जाऊँगी।”

विभा के सामने अब सब कुछ शीशे की तरह साफ था, लेकिन वह यह सब बर्दाश्त नहीं कर पाई और बेहोश होकर जमीन पर गिर पड़ी।

फिर अजय को इस सबके बारे में जैसे ही पता चला, वह गुस्से में सोनिया से बोला।

अजय, “तुम्हें जरूरत क्या थी मेरी माँ के सामने ये सब बोलने की?”

सोनिया, “जरूरत थी क्योंकि तुम्हारी माँ मेरे सिर पर चढ़ रही थी। और वैसे भी किराए पर मैंने तुम्हें लिया है, तो मैं क्यों चुप रहूँ?”

अजय समझ गया था कि उसने सोनिया के रूप में बड़ी मुसीबत मोल ले ली थी, लेकिन वह भी मजबूर था। इसलिए वह चुप चाप सोनिया की सारी बत्तमीजियाँ बर्दाश्त करता रहा।

फिर एक दिन…

सोनिया, “थैंक्स पापा, मुझे नहीं लगा था कि आप इतनी जल्दी ये पेपर साइन कर देंगे। पापा, मुझे कुछ बताना था आपको”

विनीत राय, “यही ना कि अब तुम्हारा अपने ससुराल से कोई रिश्ता नहीं रहा।

हां अच्छा है, तुम अजय और उसके घर के लायक भी नहीं हो। तुम्हें जल्दी ही वापस बुलवाने के लिए ही ये पेपर साइन किए हैं मैंने।”

सोनिया, “क्या..? इसका मतलब अजय ने आपको सब कुछ बता दिया?”

विनीत राय, “हाँ और सिर्फ बताया नहीं, बल्कि तुम्हारे दिए 10 लाख रुपए भी वो वापस देकर गया है।

तुम नहीं जानती कि तुमने क्या खोया है? अजय लाखों में एक लड़का है।

वो अपने पिता के ऑपरेशन के लिए किराए का पति बनने को तैयार हो गया, तो सोचो… अपनी पत्नी के लिए वो क्या क्या कर सकता था?

लेकिन अफसोस… अब ना तो उसके पिता का ऑपरेशन हो सकेगा और ना ही तुम्हें सुधारने की मेरी ख्वाहिश पूरी हो सकेगी।”

अपने पिता की बात सुनकर सोनिया को धक्का लगा। उसे वाकई अजय के लिए बुरा लग रहा था।

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हाथ में पकड़े प्रॉपर्टी के पेपर्स उसे बहुत भारी लग रहे थे क्योंकि उसे अहसास हो गया था कि उनके बदले उसने क्या खोया है?

अब उसके सामने तलाक के पेपर्स थे लेकिन उन पर साइन करने की उसके अंदर ना तो हिम्मत थी और ना ही इच्छा।


दोस्तो ये Moral Story आपको कैसी लगी, नीचे Comment में हमें जरूर बताइएगा। कहानी को पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया!


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