गरीब राजकुमारी | Gareeb Rajkumari | Hindi Kahani | Rajkumari Ki Kahani | Raja Rani Ki Kahani | Hindi Stories

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” गरीब राजकुमारी ” यह एक Rajkumari Ki Kahani है। अगर आपको Hindi Stories, Moral Stories या Raja Rani Ki Kahaniyan पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।


रायगढ़ राज्य में एक बहुत ही शौर्यवान राजा थे। उनकी एक बेटी थी, मैथिली। वो बचपन से ही बहुत लाड़-प्यार में पली-बढ़ी थी,

इसलिए बहुत घमंडी हो गई थी। वह किसी भी गरीब की इज्जत नहीं करती थी।

राजा, “मैथिली, कहाँ हो आप? हमें मंदिर जाना है।”

मैथिली, “क्या फिर से मंदिर?”

राजा, “गुड़िया, आज तुम्हारा जन्मदिन है, तो मैंने सोचा है कि मैं तुम्हारे हाथों से गरीबों को कुछ कंबल दान करवाऊँ।”

मैथिली, “पिताजी, अगर आपको कंबल दान करना था तो आप ही कर देते। मुझे मंदिर में ले जाने की क्या जरूरत है?”

बहुत कहने पर राजकुमारी मंदिर जाने को तैयार हुई। पर मंदिर में राजकुमारी सबको कंबल फेंक कर देती है।

राजा, “बेटा, थोड़ा इज्जत से कंबल दो।”

तब एक गरीब राजकुमारी को आशीर्वाद देने के लिए उसके सिर पर हाथ रखता है।

मैथिली, “ये क्या कर रहे हो तुम? दूर रहो मुझसे।”

फिर एक किसान वहाँ पर फलों की टोकरी लेकर खड़ा हो जाता है।

किसान, “महाराज, मैंने सुना है कि आज राजकुमारी जी का जन्मदिन है, तो मैं उनके लिए कुछ मीठे फल लेकर आया हूँ।”

राजा, “राजकुमारी, देखो तुम्हें बेर बहुत पसंद है ना? ये लो।”

मैथिली, “क्या..? ये भिखारी मेरे लिए फल लेकर आए हैं और आपको लगता है कि मैं इस भिखारी के हाथों से ले लूँगी?”

फिर वह फलों की टोकरी को लात मारकर सारे फल नीचे गिरा देती है।

मैथिली”इन्हें कह दो, ले जाएं अपने फल।”

राजा, “राजकुमारी, ये क्या बदतमीजी है? माफी मांगो इनसे, ये बड़े हैं तुमसे।”

मैथिली, “नहीं पिताजी, मैं नहीं मांगूगी माफी-वाफी।”

और वहाँ से चली जाती है। राज्य में लोग आपस में बात करते हुए,

पहला व्यक्ति, “अरे! देखा आज राजा की बेटी कितने घमंड के साथ सबसे पेश आ रही थी।”

दूसरा व्यक्ति, “भाई, अपनी औलाद को हमारे राजा राह पर नहीं ला पाए। कहाँ हमारे राजा का बर्ताव और कहाँ राजकुमारी का घमंडी स्वभाव?”

पहला व्यक्ति, “सही कहा भाई, पता नहीं राजा कभी उसे सुधार पाएंगे या नहीं? किसी के साथ बात तक करने नहीं आती राजकुमारी को।”

शाम को राजकुमारी के जन्मदिन की दावत में सब लोग भोजन कर रहे होते हैं।

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मैथिली, “पिताजी, आपने क्या बनवाया है? आपको पता है ना मुझे पालक की सब्जी बिल्कुल पसंद नहीं है और ये दही बड़ा में दही इतना खट्टा!”

और थाली पर से उठकर चली जाती है। राजा बहुत अपमानित महसूस करता है।

शाम को जब राजा अकेला बगीचे में बैठा होता है, तब उसके कंधे पर कोई हाथ रखता है।

राजा, “मौसी, आप?”

मौसी, “हाँ बेटा, आज मैंने सोचा कि आज राजकुमारी के जन्मदिन पर उससे मिलकर उसे आशीर्वाद दे दूँ। पर यहाँ आकर देखा तो…”

राजा, “मौसी, मुझे लगता है मेरी ही परवरिश में कोई कमी रह गई है, पर अब मैं क्या करूँ कि वह सबकी इज्जत करना सीख जाए?”

मौसी, “मेरे पास एक तरकीब है। देख, मैं राजकुमारी के लिए कंगन लेकर आई हूँ।”

राजा की मौसी राजकुमारी को कंगन पहनाती हैं, पर वो कंगन राजकुमारी को चुभ जाता है।

मैथिली, “मौसी, ये क्या कर रही हो? बहुत दर्द हो रहा है। नहीं पहनना मुझे कोई कंगन।”

कुछ दिन बाद राजा का पूरा राज्य दूसरा राजा हड़प लेता है। राजा राजकुमारी को लेकर एक छोटे से गांव में जाकर रहने लगता है।

राजा, “बेटा, अब हमें यही रहना पड़ेगा।”

मैथिली, “क्या यहीं? पर पिताजी, मैं इस झोपड़े-पट्टी में कैसे रहूंगी?

आपको पता है ना, इन गरीबों को देखकर मेरा दम घुटता है और आप मुझे इन्हीं के बीच में रहने के लिए कह रहे हैं?”

राजा, “हाँ बेटा, पर तुम्हें तो पता ही है ना कि अब मेरा पूरा राज्य मुझसे छिन चुका है, तो हमें कुछ दिनों के लिए यहाँ रहना होगा।”

फिर राजा और राजकुमारी दोनों उसी झोपड़पट्टी में रहने लगते हैं। एक दिन राजा को काम के सिलसिले से कहीं बाहर जाना पड़ा।

राजा, “बेटा, कुछ दिनों के लिए मुझे दूसरे राज्य में जाना पड़ेगा, बहुत जरूरी काम है।”

मैथिली, “पर पिताजी, मैं यहाँ अकेली इन लोगों के बीच में नहीं रह सकती, आप मुझे भी अपने साथ ले चलिए ना।”

राजा, “नहीं बेटा, वहाँ तुम्हारी जान खतरे से खाली नहीं होगी।”

मैथिली, “तो फिर आप भी मत जाइए।”

राजा, “काम बहुत जरूरी है, नहीं तो तुम्हें छोड़कर मैं बिल्कुल नहीं जाता। अच्छा सुनो, यहाँ पर तुम्हें ही खाना बनाना होगा

और हाँ, सारा काम भी तुम्हें ही करना पड़ेगा। तुम थोड़ा अपना ध्यान रखना और हाँ, अगर कुछ समझ ना आए तो आसपास किसी से मदद ले लेना।”

राजा वहाँ से चला जाता है।

मैथिली, “बहुत जोर की भूख लग रही है, पर अब यहाँ तो मुझे ही खाना बनाना पड़ेगा। पर ये चूल्हा, ये कैसे जलाऊँ? कैसे जलता है ये?”

राजकुमारी चूल्हा जलाने की बहुत कोशिश करती है, पर फिर भी नहीं जलता। उसे ऐसे देख एक बूढ़ी औरत उसके पास आती है।

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बूढ़ी औरत, “क्या हुआ बेटा?”

मैथिली, “कुछ नहीं, तुम्हें क्या? जाओ और जाकर अपना काम करो।”

बूढ़ी औरत, “अरे! अपना काम ही कर रही थी, पर मैंने घर में इतना धुआँ निकलते देखा तो देखने आ गई कि क्या हुआ?

यहाँ आकर देखा तो तुम चूल्हा जलाने की कोशिश कर रही थी। लाओ, मैं तुम्हारी मदद कर दूँ।”

मैथिली, “मैंने कहा ना, मुझे तुम्हारी जरूरत नहीं है। मैं खुद चूल्हा जला लूँगी।”

बूढ़ी औरत, “अच्छा ठीक है, तो तुम ऐसी ही कोशिश करती रहना।”

मैथिली, “अच्छा सुनो, जला दो चूल्हा।”

फिर बुढ़िया चूल्हा जला देती है और खाना बनाने में भी राजकुमारी की मदद करती है। तभी उसकी पोती, गंगा उसे बुलवाने आती है।

गंगा, “अरे! तुम कितनी सुंदर हो?”

गंगा, “दादी, ये राजकुमारी हैं ना?”

राजकुमारी के बालों को हाथ लगाकर,

गंगा, “तुम्हारे बाल कितने सुंदर हैं?”

मैथिली, “दूर रहो मुझसे!”

बूढ़ी औरत, “अच्छा बेटा, मैं चलती हूँ। रात बहुत हो गई है।”

बूढ़ी औरत, “गंगा, तू यहीं राजकुमारी जी के पास रुक जा और उनकी मदद करना।”

मैथिली, “नहीं, मुझे किसी की जरूरत नहीं है। जाओ तुम यहाँ से!”

बूढ़ी औरत, “अरे! पर यहाँ रात में कभी-कभी जंगली जानवर घर में घुस आते हैं बेटा। तुम अकेली हो।

तुम्हारे पिता ने मुझे तुम्हारा ध्यान रखने के लिए कहा था, तो इसे यहीं पर रुक जाने दो।”

मैथिली, “ठीक है, ठीक है। पर तुम मुझसे दूर रहना, समझी?”

रात को गंगा राजकुमारी के साथ रुक जाती है, पर राजकुमारी गंगा से परेशान हो जाती है।

मैथिली, “अच्छा सुनो, मुझे दूध पीना है। यहाँ पर दूध कहाँ मिलेगा?”

गंगा, “वो तो ठीक है, पर आप पहले मुझे ये बताओ कि आप गाय का दूध पिएंगी या भैंस का?”

मैथिली, “अरे! किसी का भी दूध ले आओ।”

गंगा, “तो आप एक काम कीजिए, आप मेरे साथ चलिए। मैं आपको तबेले से ताजा-ताजा दूध पिलाऊंगी।”

मैथिली, “क्या तबेला..? ये क्या होता है?”

गंगा, “चलो, आज मैं आपको दिखाती हूँ।”

फिर गंगा राजकुमारी को तबेले में लेकर जाती है।

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मैथिली, “अरे! ये तुम मुझे कौन सी जगह पर ले आई हो? यहाँ कितनी बदबू आ रही है?”

गंगा, “अरे राजकुमारी जी! ये तबेला है। यहाँ पर ऐसी ही बदबू आती है, पर हमें तो इस बदबू की आदत है।

और ये देखिए, वो काका दूध निकाल रहे हैं। रोज़ आपके यहाँ दूध यहीं से जाता है।

तो आपको तो ये भी नहीं पता होगा कि हम जो भोजन करते हैं, वो हमारे पास कैसे आता है?”

मैथिली, “मुझे पता है कहाँ से आता है।”

गंगा, “कहाँ से आता है?”

मैथिली, “रसोई से आता है और क्या?”

गंगा, “अरे! रसोई से तो आता है, पर रसोई से पहले हम अनाज को खेत में बोते हैं।

फिर वो तीन-चार महीने उगता है, फिर कटता है, फिर उसका आटा पीसते हैं, तब वो रसोई में आता है।”

मैथिली, “अच्छा… मतलब जो खाना खाते हैं, उसके लिए इतनी मेहनत करनी पड़ती है?”

गंगा, “जी हाँ। वो देखिए, वो काका और बाकी सारे मजदूर खेत में दिन-रात ऐसे काम करते हैं।

तब जाकर हम खाना खा पाते हैं। अब चलिए, मैं आपको आपके घर तक छोड़ देती हूँ।”

गंगा और राजकुमारी दोनों घर चली आती हैं। कुछ दिनों बाद,
राजकुमारी के पास भोजन खत्म हो जाता है।

मैथिली, “अरे! अब तो घर में थोड़ा सा भी राशन नहीं बचा। एक काम करती हूँ, पास की राशन की दुकान से कुछ सामान ले आती हूँ।”

मैथिली, “काका, कुछ चावल, थोड़ा आटा और दाल दे दीजिए।”

दुकानदार, “ठीक है बिटिया।”

सामान लेकर राजकुमारी जाने लगती है।

दुकानदार, “अरे बेटी! पैसे..?”

मैथिली, “पैसे..? पर वो तो मेरे पास नहीं हैं।”

दुकानदार, “क्या…पैसे नहीं हैं? पर तुम मुझसे बिना पैसे के सामान नहीं ले जा सकती।”

मैथिली, “पर काका, मैं बहुत भूखी हूँ और घर पर कुछ भी खाने को नहीं है। मैं अभी ले जाऊं, फिर आपको बाद में पैसे चुका दूंगी।”

दुकानदार, “नहीं, मैं बिना पैसे में तो अपनी माँ तक को सामान नहीं दूं, तो तुम किस खेत की मूली हो?”

मैथिली, “काका, सामान के बदले आप जो बोलेंगे, मैं वो करने को तैयार हूँ। पर अभी मुझे सामान ले जाने दीजिए, मैं बहुत भूखी हूँ।”

दुकानदार, “अच्छा, तो एक काम करो। मेरे खेत में कुछ काम है, तुम वो खत्म कर दो। मैं तुम्हें ये सारा सामान ले जाने दूंगा।”

मैथिली, “ठीक है, काका।”

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फिर राजकुमारी दुकानदार के खेत में उसका बताया हुआ सारा काम करती है। तब उसे अहसास होता है कि वो जिस खाने का अपमान करती थी, उसे उगाने में कितनी मेहनत लगती है।

मैथिली, “कुछ समय पहले मुझे खाने की कदर नहीं थी और आज खाने के लिए मुझे कितनी मेहनत करनी पड़ रही है।”

फिर वो काम करके अपना सामान घर ले जाती है। राजकुमारी को बहुत तेज़ बुखार आ जाता है।

गंगा, “राजकुमारी जी, राजकुमारी जी! अरे! आप तो बहुत कांप रही हैं।”

फिर गंगा राजकुमारी के हाथों को अपने हाथ में लेकर मसलने लगती है।

गंगा, “अरे! आपके हाथों में तो छाले हो गए हैं। मैं दादी को बुलाकर लाती हूँ।”

गंगा, “दादी… दादी, राजकुमारी जी को बहुत तेज़ बुखार हो गया है। उनके हाथ-पैरों में भी छाले पड़ गए हैं। आप चलो, उनके हाथ-पैरों पर आपका बनाया मरहम लगा दो।”

फिर बूढ़ी औरत राजकुमारी के हाथ-पैरों में मरहम लगाती है और गांव के कुछ लोग वैद्य को बुलाकर लाते हैं।

वो राजकुमारी की सेवा करते हैं। राजकुमारी सुबह उठती है तो देखती है कि उसके लिए सभी गांव वाले बहुत परेशान हो रहे हैं और गंगा को उसके पैर दबाता देख राजकुमारी बोलती है,

मैथिली, “अरे गंगा! तुम ये क्या कर रही हो? हटो यहाँ से।”

गंगा, “मुझे पता है राजकुमारी जी, आपको मैं बिलकुल पसंद नहीं हूँ। पर आपको कल रात से बहुत तेज बुखार था। बस, इसीलिए हम सब यहाँ पर…”

ये सब सुनकर राजकुमारी का सारा घमंड चूर-चूर हो जाता है। तभी राजा वहाँ आ जाता है।

राजा, “अरे बेटा! मैंने सुना था कि तुम्हें बहुत तेज़ बुखार हो गया है। अब तुम ठीक हो ना?”

मैथिली, “हाँ पिताजी, अब मैं ठीक हूँ।”

फिर राजकुमारी राजा को सारी बातें बताती है।

राजा, “मुझे माफ़ कर दो, मेरी बच्ची। मेरी वजह से तुझे ये सब काम करना पड़ा।”

मैथिली, “अरे! नहीं पिताजी, आप ये बताइए आपका काम हो गया?”

तभी एक सिपाही वहाँ आ जाता है।

सिपाही, “महाराज चलिए, रथ तैयार है।”

मैथिली, “कहाँ चलना है, पिताजी?”

राजा, “हमारे महल में, बेटी।”

मैथिली, “पर महल तो…?”

राजा, “नहीं बेटी, वो सब नाटक था तुम्हारे घमंड को तोड़ने के लिए।”

मैथिली, “क्या… नाटक था? पर मैं कुछ समझी नहीं।”

राजा, “हाँ बेटा, नाटक। हमारा महल सुरक्षित है और मैं तुम्हें यहाँ इसलिए लाया था ताकि तुम गरीबों की इज्जत करना सीख जाओ

और तुम्हें पता चले कि जिस भोजन का तुम अपमान करती थीं, उसे उगाने में कितनी मेहनत लगती है? अब मुझे लगता है कि तुम्हें ये सब समझ आ गया है।”

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मैथिली, “गंगा, इधर आओ। मुझे मेरे बर्ताव के लिए माफ़ करना और मैं हाथ जोड़कर सभी राज्यवासियों से क्षमा मांगती हूँ।”

मैथिली, “पिताजी, आज के बाद मैं सबके साथ मिलकर अपनी प्रजा की सेवा करूंगी।”

राजा, “वाह बेटी वाह! आखिरकार मौसी का ये प्रयास रंग लाया।”

गांव वाले, “महाराज की जय! राजकुमारी जी की जय!”

फिर राजा और राजकुमारी दोनों महल चले जाते हैं।


दोस्तो ये Hindi Story आपको कैसी लगी, नीचे Comment में हमें जरूर बताइएगा। कहानी को पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया!


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