शराबी पति | Sharabi Pati | Hindi Kahani | Pati Patni Ki Kahani | Moral Stories | Bedtime Stories in Hindi

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” शराबी पति ” यह एक Husband Wife Story है। अगर आपको Hindi Stories, Moral Stories या Pati Patni Ki Kahaniyan पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।


एक प्यारे से गांव तारानगर में किरन और जगन नाम के दो पति-पत्नी रहते थे। जगन एक नंबर का बेवड़ा व्यक्ति था।

हर वक्त नशा किया करता था, जिससे किरन बहुत ज्यादा परेशान थी।

जगन, “पी ले पी ले ओ मेरे राजा, पी ले पी ले ओह मोरे जानी। अरे! जगन है मेरा नाम, रोज़ पीना है मेरा काम। अरे! ढिंक चिक्का ओय ओय।”

किरन, “हे भगवान! पता नहीं ये बेवड़ा आदमी इस वक्त कहां होगा? अगर हाथ लग जाए ना, तो आज इसका सारा नशा उतार दूंगी।”

किरन, “ए जी, आप यहां क्या कर रहे हैं? मैं आपको कब से ढूंढ रही हूं?”

जगन, “अरे भाग्यवान! तुझे दिखता नहीं क्या? मैं यहां नदी के किनारे मछलियां पकड़ रहा हूं।”

किरन, “अच्छा! तो अब आप मछुआरे बन गए? लेकिन, आपने जो मछलियां पकड़ी हैं, वो सब कहां हैं?”

जगन, “अब तुम्हें क्या बताऊं, भाग्यवान? मैंने उन सारी मछलियों को आजाद कर दिया और वो अभी नदी में पानी पीने गई हैं।”

किरन, “अरे! आपका दिमाग तो खराब नहीं हो गया है? लगता है आज आपने कुछ ज्यादा ही पी ली? चलिए, अब घर चलिए।”

जगन, “नहीं भाग्यवान, आज मैं घर नहीं आऊंगा। आज मैं इन सारी मछलियों को घर लेकर ही आऊंगा।”

किरन, “इस आदमी को फ़ोन समझाए कि इसके पास मछलियां पकड़ने का कोई जाल ही नहीं हैं। इतना कहकर किरन गुस्से में अकेले ही घर चली जाती है।

जगन, “अरे! बोतल इतनी जल्दी कैसे खत्म हो गई यार? अब इस बोतल का इस दुनिया में कोई काम नहीं है।”

जैसे ही जगन उस बोतल को पीछे की तरफ फेंकता है, तभी वो बोतल जाकर एक कुत्ते को लग जाती है और कुत्ता जगन के पीछे पड़ जाता है।

जगन, “अरे! भागो यार। अरे कुत्ते! मेरे पीछे क्यों पड़ गया? कोई बचाओ यार, कुत्ता काट लेगा यार मुझे।”

जगन किसी तरह अपने घर पहुंच जाता है।

जगन, “अरे भाग्यवान! मुझे बचा लो, नहीं तो ये कुत्ता मुझे काट लेगा। अरे! कोई बचाओ यार।”

किरन, “कहां है कुत्ता? आप खामखां डर रहे हैं? यहां कोई कुत्ता नहीं है।”

जगन, “बाप रे! आज तो मैं बाल-बाल बच गया यार। अगर कहीं वो कुत्ता मुझे काट लेता, तो मुझे 14 इंजेक्शन लगाने पड़ते।”

किरन, “ए जी, उठिए। देखिए तो, सूरज सर पर चढ़ आया है और आप हैं कि उठने का नाम ही नहीं ले रहे।”

जगन, “अरे! क्या हुआ भाग्यवान? तुम मुझे सुबह-सुबह मुर्गे की तरह क्यों जगा रही हो? चलो अब जाओ यहां से और मुझे सोने दो।”

यह कहकर जगन फिर से सो जाता है।

किरन, “हे भगवान! मैंने क्या पाप किए थे, जो मुझे ऐसा आलसी और कामचोर पति मिला? बस दिन भर सोते रहता है।”

किरन जगन को बहुत जगाती है, लेकिन जगन उठता ही नहीं है।

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किरन, “लगता है ये ऐसे नहीं मानेंगे। अब घी टेढ़ी उंगली से ही निकालना होगा।”

जगन, “अरे कोई बचाओ! अरे किरन! ये तुम क्या कर रही हो? मुझे बहुत तेज़ लग रही है। अरे किरन! मुझे छोड़ दो।”

किरन, “बहुत हो गया आपका रोज़-रोज़ का। मैं अब आपको और नहीं झेल सकती।

काम-धंधा कुछ करते नहीं हैं, जिससे हमें दो वक्त का खाना नसीब हो जाए।

अब जाइए और कुछ कमा कर लाइए। और हां, पैसों के बिना इस घर में कदम मत रख देना।”

जगन, “अरे भाग्यवान! तुम चिंता क्यों करती हो? देखना, एक दिन हम दोनों बहुत अमीर हो जाएंगे और सारी दुनिया हमारी जय-जयकार करेगी।”

किरन, “तेवर तो ऐसे दिखाते हैं जैसे खुद अंबानी के बेटे हों। अब जाइए और जाकर कुछ कमा कर लाइए, नहीं तो आज आपकी खैर नहीं।”

फिर किरन गुस्से में जगन को घर से निकाल देती है।

जगन, “अरे! अब मैं क्या करूं? मुझे तो कुछ काम भी नहीं आता और एक तो ऊपर से ये किरन ने भी मुझे घर से निकाल दिया है। हे ऊपरवाले! अब तू ही कुछ रास्ता दिखा।”

जगन रास्ते से जा ही रहा होता है कि तभी उसे एक वैद्य जी की दुकान दिखाई देती है।

जगन, “अरे वाह! ये तो वैद्य जी की दुकान है। यहां कुछ काम मांग कर देखता हूं। हो सकता है वैद्य जी मुझे कुछ काम दे दें।”

जगन, “अरे वैद्य जी… ओह वैद्य जी। अरे! सुनिए तो, मुझे आपसे थोड़ा काम है।”

वैद्य जी, “क्या हुआ? क्यों मेरा दिमाग खा रहे हो? क्या काम है तुझे मुझसे?”

जगन, “वैद्य जी, मेरा नाम जगन है। मुझे काम की सख्त जरूरत है। क्या आप मुझे काम दे सकते हैं?

अगर आपने मुझे कुछ काम दे दिया तो भगवान आपको हमेशा खुश रखेगा।”

वैद्य जी, “अरे! नहीं भाई, तुम्हारे लायक यहां कोई काम नहीं है। चलो अब जाओ यहां से और मुझे अपना काम करने दो।”

फिर जगन वैद्य जी के पैरों में गिर जाता है और उनसे गिड़गिड़ाने लगता है।

जगन, “वैद्य जी, कुछ काम दे दीजिए, नहीं तो मेरी पत्नी मुझे घर में घुसने नहीं देगी। प्लीज़ वैद्य जी, मुझे कुछ काम दे दीजिए।”

वैद्य जी, “अरे अरे! मेरे पैरों पर से उठो। हे भगवान! क्या मुसीबत गले पड़ गई? अगर इसको काम नहीं दिया तो ये आज यहां से जाने वाला नहीं है।”

जगन, “वैद्य जी, आज आपने मुझे कुछ काम नहीं दिया तो मैं आपके पैरों को छोड़ूंगा नहीं और यहीं बैठा रहूंगा।”

वैद्य जी, “अरे! उठो भाई, मैं तुम्हें काम देने के लिए तैयार हूं। बस तुम कुछ गड़बड़ मत कर देना, नहीं तो आफत हो जाएगी।”

फिर वैद्य जी जगन को सब कुछ समझाने लगते हैं।

वैद्य जी, “देखो जगन, अभी कुछ देर बाद पवन और सुरेश नाम के दो व्यक्ति दवाई लेने आएंगे।

तो तुम्हें सुरेश को लाल दवाई और पवन को नीले रंग की दवाई देनी है। और हां… याद रखना कुछ गड़बड़ नहीं होनी चाहिए, नहीं तो तुम्हें काम से निकाल दूंगा।”

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जगन, “अरे वैद्य जी! आप चिंता मत कीजिए, कोई गड़बड़ नहीं होगी। वैसे आप जा कहां रहे हैं?”

वैद्य जी, “मुझे बहुत भूख लगी है, मैं घर पर खाना खाने जा रहा हूं। कुछ घंटों बाद वापस आ जाऊंगा।”

यह कहकर वैद्य जी अपने घर पर खाना खाने के लिए चले जाते हैं और जगन दुकान को संभालने लगता है।

जगन, “किरन बहुत कहती है ना मुझसे कि मैं कभी कोई काम नहीं कर सकता, आज मैं उसको दिखा दूंगा कि जगन क्या चीज है?”

कुछ देर बाद पवन और सुरेश नाम के दो व्यक्ति दुकान पर आते हैं।

सुरेश, “अरे भाई! तुम कौन हो? हमने तो तुम्हें इस दुकान पर पहले कभी नहीं देखा। और वैद्य जी कहां हैं?”

जगन, “मेरा नाम जगन है और मैं इसी दुकान पर काम करता हूं। वैद्य जी अभी घर पर खाना खाने गए हैं।”

सुरेश, “अरे भाई! मेरा नाम सुरेश है और मुझे कई दिनों से दस्त लगे हुए हैं। क्या वैद्य जी दस्त की वो दवाई ले आए?”

जगन, “ओह! अच्छा तो तुम दोनों का नाम ही पवन और सुरेश है। वैद्य जी ने मुझे तुम दोनों के बारे में बताया था और कहा था कि वो दवाई तुम्हें दे दूं।”

पवन, “हाँ भाई, जल्दी से हमें वो दवाई दे दो। मेरा भी बहुत तेज़ पेट दुख रहा है।”

जगन, “अरे! मैं तो भूल ही गया कि वैद्य जी ने लाल दवाई किसे देने के लिए कहा था और नीली दवाई किसे?”

सुरेश, “अरे भाई! जल्दी दवाई दे दो, हमें देर हो रही है।”

जगन, “हाँ हाँ, एक मिनट रुको, अभी देता हूं।

फिर जगन गलती से सुरेश को लाल की जगह नीली दवाई दे देता है और पवन को नीली की जगह लाल दवाई दे देता है।

वो दोनों जगन को पैसे देकर दवाई लेकर वहाँ से चले जाते हैं।

वैद्य जी, “अरे ओ जगन! क्या सुरेश और पवन यहाँ दवाई लेने आए थे?”

जगन, “हाँ, मैंने उन्हें वो दवाई दे दी। ये लीजिए उन दवाइयों के पैसे।”

वैद्य जी, “अरे वाह! मुझे ऐसा लगता है कि तू जल्द ही मेरी तरह एक सच्चा और अच्छा वैद्य बन जाएगा।”

जगन, “हाँ वैद्य जी। आप देखना, मैं जल्दी ही सारा काम सीख लूँगा।”

सुरेश, “अरे वैद्य जी! आपने हमें कौन सी दवाई दे दी? इससे तो दस्त बंद होने की जगह और बढ़ गए।”

पवन, “और मेरा तो केवल पेट ही दुख रहा था। अब तो उल्टी और दस्त दोनों चालू हो गए।”

पवन और सुरेश की बात सुनकर वैद्य जी को बहुत ज्यादा डर लगता है और फिर वो डरते हुए जगन से कहते हैं।

वैद्य जी, “क्यों रे जगन!:तूने इनको कौन सी कलर की दवाई दी थी? मैंने तुझे कहा था ना कि सुरेश को लाल दवाई और पवन को नीली दवाई देनी है?”

जगन, “मुझे माफ कर दीजिए, मैंने गलती से इनको गलत दवाई दे दी। कृपया करके मुझे माफ कर दीजिए। मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई।”

वैद्य जी, “तुने इतनी बड़ी गलती कर दी और तू कहता है कि मैं तुझे माफ कर दूं? रुक, तुझे अभी बताता हूँ।”

जगन, “अरे! कोई बचाओ नहीं तो ये वैद्य आज मुझे छोड़ेगा नहीं। अरे पवन और सुरेश! मुझे पिटने से बचाओ भाई।”

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पवन, “अबे सालिक, तुने हमारे दस्त लगवा दिए हैं और तू कहता है कि हम तुझे बचा लें। तुझे तो सूली पर लटका देना चाहिए।”

सुरेश, “अरे वैद्य जी! इसको इतना मारो कि इसकी सारी अक्ल ठिकाने आ जाए। हाँ, और ये भूल कर भी अभी ऐसा काम ना करे, मारो साले को।”

जगन, “अरे वैद्य जी! मुझे छोड़ दो। प्लीज़ मुझे जाने दो।”

और फिर जगन वहाँ से भाग जाता है।

जगन, “आज तो मैं बाल-बाल बचा, नहीं तो वो वैद्य आज मेरी चटनी बना देता।”

आदमी, “अरे भाई! ज़रा हटना, मुझे इस पेड़ पर चढ़ना है।”

जगन, “अरे भाई! पेड़ पर तो मैं तुम्हे चढ़ जाने दूंगा, लेकिन तुम पेड़ पर चढ़ कर करोगे क्या?”

आदमी, “अरे! तुम्हे इस पेड़ पर लगा इतना बड़ा मधुमक्खी का छत्ता नहीं दिख रहा है क्या? बस मुझे इसी छत्ते को तोड़ना है।”

जगन, “तो तुम इस छत्ते का अचार डालोगे क्या? अगर तुम्हें कहीं मधुमक्खियों ने काट लिया तो तुम्हे मोटू राम बना देंगी काट-काट के।”

आदमी, “अरे! नहीं भाई, इस छत्ते में मधुमक्खियाँ नहीं हैं। मैंने कल ही सारी मधुमक्खियों को भगा दिया था और आज मैं इसका शहद लेने आया हूँ।”

जगन, “अच्छा भाई, ये बताओ कि तुम इस शहद का करोगे क्या?”

आदमी, “इस शहद को मैं बाजार में बेचूंगा। इससे मुझे बहुत अच्छे पैसे मिलेंगे और मेरे घर का खर्च आराम से चल जाएगा।”

जगन, “अरे वाह! ये तो एकदम लल्लन टॉप आइडिया है। मैं भी मधुमक्खी के छत्ते में हाथ डालकर बहुत सारा शहद निकालकर उसे बाजार में भेज दूंगा।”

जगन हर ऐसे जगह पेड़ को ढूंढने लगता है जिस पर मधुमक्खी का छत्ता लगा हो और कुछ देर बाद उसे एक पेड़ दिखाई देता है।

जगन, “अरे वाह! इस पेड़ पर कितना बड़ा मधुमक्खी का छत्ता लगा है? अगर मैंने इस छत्ते में से शहद निकाल दिया ना, तो मेरी भी अच्छी कमाई हो जाएगी।”

जैसे ही जगन छत्ते को तोड़ने के लिए उस पेड़ पर चढ़ता है, तभी उसके पास बहुत सारी मधुमक्खियाँ आ जाती हैं।

जगन, “अरे बाप रे! ये मधुमक्खियाँ कहाँ से आ गईं? अरे कोई मुझे इन मधुमक्खियों से बचाओ।

अरे! आय मेरी तो कमर ही टूट गई। हाँ, काट लिया अरे मम्मी रे! पापा रे! मामा रे! फूफा रे! कोई तो बचाओ रे।”

जगन को कई सारी मधुमक्खियाँ काट लेती हैं और जगन भागते भागते अपने घर पहुँच जाता है।

जगन, “अरे किरन, जल्दी से दरवाजा और खिड़कियाँ बंद करो, नहीं तो आज कयामत आ जायेगी।”

किरन, “अरे! क्या हुआ जी? आप इतने घबराए हुए क्यों हैं और आप मुझे दरवाजे और खिड़कियाँ बंद करने के लिए क्यों कह रहे हैं?”

जगन, “अरे पहले बंद तो करो, मैं तुम्हे सब बताता हूँ।”

किरन दरवाजा और खिड़कियाँ बंद कर देती है।

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किरण, “लो अब तो मैंने दरवाजे और खिड़कियाँ भी बंद कर दी। अब बताइए, आखिर क्या बात हैं?”

फिर जगन ने किरन को मधुमक्खी के छत्ते वाली सारी बात बताई।

किरन, “ए जी, आपको ये भी पता नहीं चला कि उस छत्ते में बहुत सारी मधुमक्खियाँ हैं?”

जगन, “यहाँ उन मधुमक्खियों ने मेरा काट-काट कर तेल निकाल दिया और तुम्हें हँसी आ रही है।”

किरन, “अरे! हँसू नहीं तो और क्या करूँ? आप काम ही ऐसा करके आए हैं, जिसे सुनकर मेरी हँसी ही बंद नहीं हो रही।”

जगन और किरन आपस में बात कर ही रहे होते हैं कि तभी तेज़ हवाएं चलने लगती हैं और घर की खिड़कियाँ और दरवाजे खुल जाते हैं और सारी मधुमक्खियाँ घर के अंदर घुस जाती हैं।

जगन, “अरे! किरन भागो, ये मधुमक्खियाँ तो फिर आ गईं। लगता है आज ये हमारा पीछा नहीं जोड़ने वालीं।”

किरन, “ए जी, आप भी ना… किस मुसीबत को घर ले आए? अब ये मधुमक्खी हमें छोड़ेगी नहीं।”

जगन, “अरे! कोई बचाओ, नहीं तो मधुमक्खियां हमे छोड़ेंगी नहीं।”

किरन, “हे भगवान! कैसा पति दिया है तुने मुझे? इनसे एक काम तो ढंग से होता नहीं। अरे ! कोई हमें इन मधुमक्खियों से बचाओ।”


दोस्तो ये Moral Storyआपको कैसी लगी, नीचे Comment में हमें जरूर बताइएगा। कहानी को पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया!


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